हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं

Digital vs Physical Gold: धनतरेस पर ज्वैलरी न खरीदें, सोने में इस तरह करें निवेश, होगा जबरदस्त फायदा
Dhanteras and Diwali 2022: हमारी हिंदू परंपराओं के अनुसार धनतरेस और दिवाली पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है
Dhanteras and Diwali 2022: हमारी हिंदू परंपराओं के अनुसार धनतरेस और दिवाली पर सोना खरीदना शुभ माना जाता है। अब जब बाजार में महंगाई हैं और सोने की कीमत एक रेन्ज में कारोबार कर रहा है, तो सोने में निवेश के सही विकल्प चुनना समय की जरूरत है। देश में सोने के सिक्कों या गहनों के रूप में फिजिकल गोल्ड में निवेश करना ग्राहकों के लिए सबसे पारंपरिक विकल्प रहा है। हालांकि, डिजिटल युग की शुरुआत के साथ समाज का एक वर्ग डिजिटल गोल्ड या गोल्ड ईटीएफ भी खरीद रहा है। आइए जानते हैं गोल्ड के किस रूप में करें निवेश जहां बेहतर रिटर्न मिल सके।
फिजिकल गोल्ड
यह निवेश के सबसे पारंपरिक रूपों में से एक है। सालों से इसने मुद्रास्फीति के खिलाफ एक हेज फंड के रूप में काम किया है। भौतिक सोने के साथ हमेशा चोरी का डर बना रहता है और नुकसान होने का खतरा अलग बना रहता है। निवेश के मकसद से निवेशक को कम से कम 10 ग्राम सोना खरीदना ही होगा। अभी फिजिकल गोल्ड खरीदने पर 3 फीसदी का जीसटीए लगता है।
ब्रिटेन: किस्मत के ‘ऋषि’
अबकी दीपावली के मौके पर ब्रिटेन में कंजरवेटिव पार्टी के सांसद ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने की खबर ने भारत में अच्छा-खासा उत्साह पैदा किया। ऋषि सुनक की पारिवारिक जड़ें हिंदुस्तान में होना और उनका हिंदू धर्म का अनुयायी होना भारत में गर्वबोध का बायस बन कर आया। खुद ब्रिटेन के लिए हालांकि ऋषि सुनक एक स्थानापन्न से ज्यादा कुछ नहीं हैं, जिन्हें बीते 5 सितंबर को उनकी ही पार्टी के सांसदों ने लिज़ ट्रस के मुकाबले चौदह पर्सेंट वोट से हरा दिया था। इसके बाद सुनक का राजनीतिक कैरियर समाप्त माना जा रहा था। ऐसे में प्रधानमंत्री लिज़ ट्रस का ‘विनाशक’ मिनीबजट सुनक के लिए एक अदृश्य वरदान बन के आया। सुनक को दूसरा लाभ यह मिला कि पार्टी के भीतर उनके दो प्रतिद्वंदियों, पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और पेनी मोरदौन ने प्रधानमंत्री पद की रेस से खुद को बाहर कर लिया। इस पृष्ठभूमि में 24 अक्टूबर को कंजरवेटिव पार्टी के 195 सांसदों ने भारतीय मूल के सांसद 42 वर्षीय ऋषि सुनक को अपना नेता चुन लिया।
राजनीति में प्रतीकों की अहमियत होते हुए भी उनकी कोई अपनी ताकत नहीं होती है। यह बात ध्यान देने योग्य है कि सांसद से प्रधानमंत्री पद की सबसे तेज यात्रा करने वाले ऋषि सुनक ने अब तक ब्रिटेन को आसन्न मंदी से उबारने का अपना सियासी नजरिया जाहिर नहीं किया है। उनकी राजनीति और आर्थिकी को उनकी नस्ल या धार्मिक मान्यताओं से नहीं बल्कि एक हेज फंड मैनेजर की उनकी पृष्ठभूमि और मौजूदा आर्थिक संकट के आईने में समझा जाना होगा।
बीते 23 सितंबर को यूके के वित्त मंत्री हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं क्वासी क्वार्टेंग ने एक मिनीबजट जारी किया था। इसमें बीते 50 वर्षों में 45 अरब पाउंड की सबसे बड़ी कर कटौती की घोषणा की गई थी। इसके साथ बड़े पैमाने पर अतिरिक्त खर्च की भी बात की गई थी। इससे पहले ही सरकार ने घरेलू और व्यवसायिक ऊर्जा बिल के मद में 60 अरब पाउंड से अधिक राहत की योजना का ऐलान किया था। समस्या यह थी कि घोषित योजनाएं वित्तपोषित नहीं थीं या इनके लिए उधारी ली जानी थी। चूंकि मुद्रास्फीति पहले से ही रिकॉर्ड ऊंचाई पर थी, ऐसे में भारी उधारी की इस योजना ने सरकार के प्रति अविश्वास पैदा कर दिया।
संकट का नेतृत्वः 24 अक्टूबर को कंजरवेटिव पार्टी के 195 सांसदों ने भारतीय मूल के सांसद 42 वर्षीय ऋषि सुनक (बीच में) को अपना नेता चुन लिया
ब्रिटिश बॉन्ड बाजार 26 सितंबर को जब खुला तो प्रतिक्रिया में कीमतें भरभराकर नीचे गिरती चली गईं जिससे दशकों में गिल्ट की सबसे बड़ी बिकवाली शुरू हो गई। इसके बाद बॉन्ड यील्ड आसमान छू गया। जब गिल्ट की कीमत गिरी और यील्ड बढ़ी, तो पेंशन फंड की परिसंपत्तियों का मूल्य कम होने लगा। पेंशन फंडों ने जल्दी से नकदी जुटाने के लिए अपने गिल्ट बेचने शुरू कर दिए, जिससे गिल्ट की कीमतों में और गिरावट आई। ऐसे में वित्तीय तंत्र व पेंशन फंडों की सुरक्षा और बॉन्ड की कीमतों को स्थिर करने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड को आपातकालीन बॉन्ड-खरीद कर के दखल देना पड़ा। इस संकट का अंतिम परिणाम यह हुआ कि लिज़ ट्रस को जाना पड़ा।
अब स्थिति यह है कि बॉन्ड यील्ड वापस लिज़ ट्रस के कार्यकाल से पहले के स्तर पर आ चुका है। इसलिए ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने से सबसे ज्यादा फायदा सरकारी बॉन्ड्स को होगा। इसका नतीजा यह होगा कि आम लोग कमखर्ची पर मजबूर होंगे। सुनक के पिछले बयानों को देखें तो पता लगता है कि जनता को आर्थिक बदहाली हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं से बचाने से ज्यादा प्राथमिक काम राष्ट्रीय उधारी को कम करना है। इसीलिए अगले साल अप्रैल से सुनक ने घरेलू ऊर्जा सब्सिडी बंद करने का प्रस्ताव दिया है। वित्तीय एजेंसी मोर्गन स्टेनली का अनुमान है कि घरेलू बिल बढ़ने के साथ आवासीय ऋण 6 प्रतिशत तक जा सकता है। इसका सीधा असर देश के 40 प्रतिशत परिवारों की आजीविका पर पड़ेगा, जिनमें ज्यादातर मूल ब्रिटिश नहीं हैं। इसलिए सुनक का भारतीय मूल का होना उनकी राजनीतिक और आर्थिक सोच के हिसाब से विरोधाभासी बात है।
बहरहाल, ऋषि सुनक के लिए राहत की बात यह है कि वे इटली से लेकर स्वीडन तक दुनिया भर में मजबूत होते आर्थिक दक्षिणपंथ के स्वाभाविक पार्टनर हैं। वे आप्रवास विरोधी और ब्रेक्सिट समर्थक भी हैं। वे शीर्ष पद पर पहुंचे हैं तो उनकी किस्मत है, लेकिन सर्वे कंपनी इप्सोस के अनुसार ब्रिटेन के 62 प्रतिशत लोग हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं इस साल आम चुनाव चाह रहे हैं जबकि अगले चुनाव जनवरी 2025 में होने हैं। इसके अलावा, एक और सर्वे के मुताबिक ब्रिटेन में हर छह में से मात्र एक नागरिक दक्षिणपंथी आर्थिकी का समर्थक है। लेबर पार्टी भी यह कह रही है कि सुनक बिना जनादेश पाए प्रधानमंत्री बने हैं, इसलिए चुनाव होने चाहिए। सभी ओपिनियन पोल में लेबर पार्टी कंजरवेटिव से काफी आगे चल रही है।
समय से पहले चुनाव करवाने का फैसला अंतिम तौर पर नए प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के हाथ में ही होगा। इसलिए सुनक का प्रधानमंत्री बने रहना इस बात पर निर्भर करेगा कि उनकी प्राथमिकता क्या है- जनता की मांग पर वक्त से पहले चुनाव का जोखिम उठाना या बचे हुए पंद्रह महीनों में जनता को आर्थिक राहत पहुंचा कर अगले चुनाव के लिए अपने को योग्य प्रत्याशी साबित करना।
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उत्तोलन: उत्तोलन के उपयोग को समझना
उत्तोलन एक वित्तीय शब्द है जिसमें चीजों को खरीदने के लिए धन उधार लेना शामिल है, यह अनुमान लगाते हुए कि भविष्य के लाभ उधार लेने की लागत को कवर करेंगे। पैसा एक निवेश के रिटर्न को अधिकतम करने, अतिरिक्त संपत्ति हासिल करने या कंपनी के लिए धन जुटाने के लिए हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं उधार लिया जाता है। जब किसी कंपनी या व्यक्तिगत व्यवसाय को अत्यधिक लीवरेज्ड कहा जाता है, तो इसका मतलब है कि उन पर ऋण इक्विटी से अधिक है। लीवरेज निवेशकों को किसी भी संपत्ति, फर्म या कंपनी में निवेश करने से पहले सही निर्णय लेने में मदद करता है।
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Corona Era में आपके घाटे को मुनाफे में बदलेगा Arbitrage fund, जानिए कैसे
नई दिल्ली। कोरोना वायरस ( Coronavirus ) के चलते पिछले कुछ महीनों से भारतीय इक्विटी बाजार ( Indian Equity Market ) काफी उतार-चढ़ाव भरा है। कोरोना वायरस लॉकडाउन ( Coronavirus Lockdown ) के पिछले साल से अबतक निफ्टी 50 ( Nifty 50 ) में 24 फीसदी गिरावट देखी गई है। जिसमें मार्च में केवल 23 फीसदी की गिरावट रही है। हालांकि अप्रैल में 14 फीसदी का उछाल भी देखा गया है। बाजार के हालात को देखते हुए करीब करीब सभी म्यूचुअल फंड ( Mutual Fund ) कैटगरी लाल हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं निशान में है। केवल आर्बिट्रेज फंड ( Arbitrage Fund ) को छोड़कर। जब बाजार में उठापटक हो रही हो तो ऐसे में आर्बिट्रेज फंड एक ऐसा हथियार है जो निवेशकों को बिना जोखिम के कमाने का मौका देता है। आइए आपको भी इसके बारे में आसान भाषा में समझने का प्रयारस करते है।
मार्केट के मौजूदा हालात में बनते मौके
आर्बिट्रेज फंड बाजार के हर समय चाहे वो खराब हो या अच्छा निवेशकों के लिए नए मौके बनाता है। फ्यूचर मार्केट कैश के मुकाबले अभी ज्यादा हाई पर है। ऐसे में निवेशक फ्यूचर मार्केट से अपना पैसा निकाल कर कैश मार्केट में लगा सकते हैं। बाजार के मैजूदा हालात को देखकर आर्बिट्रेज फंड निवेशकों को एक स्थिर रिटर्न देने में सक्षम हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं है। क्योंकि इन फंड्स में उतार चढ़ाव वाले बाजार में भी टिकने की क्षमता होती है। इसलिए इसमें बाजार के किसी भी फेज में निवेश किया जा सकता है।
आर्बिट्रेज क्या होता है ?
आर्बिट्रेज एक रणनीति के तहत बाजार के विभिन्न तरह के इंसट्रूमेंट के मूल्य अतंर से लाभ कमाता है। ये कैश और डेरिवेटिव मार्केट में कीमतों के अंतरों का फायदा उठाकर रिटर्न पैदा करते हैं। म्यूचुअल फंडों की ये स्कीम कैश सेगमेंट में शेयरों को खरीदती हैं और साथ-साथ उसी कंपनी के डेरिवेटिव सेगमेंट में फ्यूचर बेचती हैं। यह तभी किया जाता है जब फ्यूचर उचित प्रीमियम पर कारोबार करते हैं। मान लिजिए यदि एक ही वस्तु की कीमत अलग-अलग बाजारों में अलग-अलग होती है, तो आप उस वस्तु को बाजार में खरीदकर जोखिम मुक्त मुनाफा वहां से कमा सकते हैं, जहां कीमत कम होती है और साथ ही साथ उस बाजार में बेची जाती है, जहां कीमत अधिक होती है। यह महत्वपूर्ण है कि लेनदेन को खरीदने और बेचने दोनों को एक साथ हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं निष्पादित किया जाता है ताकि आप मुनाफे को लॉक किया जा सकें और कीमत जोखिमों के संपर्क में न आने पाए। आर्बिट्रेजर्स का मुख्य उद्देश होता है कि बिना जोखिम के 100 खरीद-बिक्री की जा सके या उसे हेज किया जा सके।
बीते संकटों में आर्बिटेज का प्रदर्शन
हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं
संकट काल | आर्बिट्रेज फंड | निफ्टी 50 |
जनवरी 2008 से मार्च 2009 के बीच सब प्राइम संकट | 6 | -43.42 |
अप्रैल से 2009 से दिसंबर 2010 के बीच सब प्राइम संकट के बाद | 5.17 | 48.77 |
जनवरी 2011 से जून 2013 तक का यूरोपियन क्राइसिस | 8.66 | -1.94 |
जुलाई 2013 से फरवरी 2015 के बीच यूरोपियन संकट के बाद | 6.68 | 28.07 |
चाइनीज मंदी मार्च 2015 से लेकर फरवरी 2016 के बीच | 6.85 | -21.51 |
कोविड 19 संकठट | 2.01 | -24.51 |
कुछ इस तरह से समझने का प्रयास करिए
एक्सचेंज आर्बिट्रेज : दो स्टॉक एक्सचेंजों में एक ही सिक्योरिटी की कीमतें अलग अलग होती है। उदाहरण के लिए किसी कंपनी का शेयर एनएसई पर 100 रुपए में ट्रेड कर रहा है, तो वही बीएसई पर यह 101 रुपए में ट्रेड कर रहा है। यानि आप अपने मुनाफे को बीएसई पर लॉक कर 1 रुपए का मुनाफा कमा सकते हैं।
कैश एंड कैरी आर्बिट्रेज : किसी कंपनी का शेयर कैश मार्केट में 1785 रुपए का है वही शेयर फ्यूचर एंड ऑप्शन मार्केट में 1794 रुपए का होता है। तो आप कैश मार्केट से उस शेयर को खरीद कर फ्यूचर मार्केट में उसे बेच सकते हैं और 9 रुपए का मुनाफा कमा सकते हैं। कैश एंड कैरी आर्बिट्रेज को मुख्य रुप से म्युचुअल फंड की रणनीति में काम लाया जाता है।
स्टॉक आर्बिट्रेज का इंडेक्स और बॉस्केट
यह बिल्कुल कैश एंड कैरी की तरह होता है, बस इसमें अंतर यह रहता है कि यहां स्टॉक की बजाय सूचकांक पर निर्धारण होता है। उदाहरण के लिए, निफ्टी एफएंडओ बाजार में 9,300 रुपए पर कारोबार कर रहा है, जबकि निफ्टी (सूचकांक के समान अनुपात में) के शेयरों की के बास्केट का बराबर मूल्य नकद बाजार में 9275 रुपए है। आप निफ्टी को एक साथ बेचकर और नगदी बाजार में शेयरों की बास्केट खरीदकर, निफ्टी भविष्य के अनुबंध के प्रति 25 लाभ में लॉक-इन कर सकते हैं। यह आमतौर पर आर्बिट्राज फंड हेज फंड सभी के लिए नहीं हैं द्वारा भी उपयोग किया जाता है।
क्या करहते हैं जानकार
मिराए एसेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स इंडिया प्रा. लिमिटेड के प्रोडक्ट, मार्केटिंग व कम्युमिकेशन हेड वैभव शाह के अनुसार आर्बिट्रेज फंड जोखिम वाले निवेशकों के लिए निवेश का अच्छा अवसर प्रदान करते हैं, जो इक्विटी में निवेश करना चाहते हैं और साथ ही परिसंपत्ति वर्ग से जुड़े तेज अस्थिरता नहीं चाहते हैं। निवेशकों को ध्यान देना है कि आर्बिट्रेज फंडों का प्रदर्शन इक्विटी मार्केट में उपलब्ध आर्बिट्राज अवसरों पर निर्भर करता है, और इन अवसरों में किसी भी तरह की कमी के परिणामस्वरूप प्रदर्शन में गिरावट आ सकती है।