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फाइनेंस का महत्त्व

फाइनेंस का महत्त्व
“Do not save what is left after spending, but spend what is left after saving.”

AU फाइनेंस बैंक के विज्ञापन में आमिर खान एवं कियारा अडवानी ने किया हिन्दू परंपरा का अपमान

नई दिल्ली – आमिर खान की फिल्म #LaalSinghChaddh अभी कुछ दिन पहले ही फ्लॉप होकर गई है। फिल्म का इस कदर बहिष्कार हुआ कि फिल्म फ्लॉप ही नहीं बल्कि सुपर फ्लॉप साबित हुई। उनके द्वारा की गई फिल्म जहां वो हिन्दू धर्म के रीति रिवाजों और देवी देवताओं का अपमान करते हैं वो तो उनके पुराने खातों में शामिल ही है वहीं एक बार फिर उन्होंने हिन्दू रीति रिवाजों के साथ छेडछाड की है।

आमिर खान ने एक प्राइवेट बैंक के लिए विज्ञापन किया है। इस विज्ञापन में हिन्दू मान्यताओं और प्रथाओं में बदलाव लाने की बात आमिर खान कह रहे हैं। विज्ञापन में आमिर खान और कियारा आडवाणी एक साथ शादी के लिबास में खड़े हुए हैं और एक नए घर में प्रवेश कर रहे हैं। जैसा कि हम सब जानते हैं कि, हिन्दू मान्यता के अनुसार घर में जो महिला होती हैं वो ही सबसे पहले घर में प्रवेश करती हैं। लेकिन इन आमिर खान इस विज्ञापन के माध्यम से हिन्दू मान्यताओं परम्पराओं को तोडकर खुद घर में सबसे पहले प्रवेश करते हैं।

इस तरह के विज्ञापन को देख हिन्दुओं का गुस्सा भडक गया है और उनका कहना है कि, आखिर जिन हिन्दू धर्म में या भारतीय संस्कृति में स्त्रियों को सबसे पहले स्थान दिया गया है। इसके अलावा भारत ही नहीं विदेश में भी लेडीज फर्स्ट की बात सामने आती है ऐसे में आमिर खान कैसे उन सारे रीति रिवाजों और परम्पराओं की बदलाव करने की बात कर सकते हैं। हिन्दू धर्म में घर की लक्ष्मी मानकर स्त्रियों का घर में पहले प्रवेश किया जाता है ऐसे में आमिर खान इसे भी प्राचीन परम्परा करार दे रहे हैं। वो आमिर खान जो वीमेन एम्पावरमेंट की बात करते हैं वो भी इसप्रकार का विज्ञापन करते हुए दिख रहे हैं। ऐसे में लोग उनके इस विज्ञापन का और उस बैंक का भी विरोध करने लगे हैं।

इस विषय में हिन्दुओं की मांग है कि, AU बैंक यह विज्ञापन तुरंत सभीं सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म से हटाए, साथ ही हिन्दू परंपरा का अनादर करने के लिए बैंक एवं अभिनेता आमिर खान व कियारा अडवानी हिन्दुओं से जाहीर क्षमा मांगे ।

माइक्रो फाइनेंस में हुआ 36 फीसद का इजाफा, कर्ज की गुणवत्ता में भी आया सुधार

माइक्रो फाइनेंस में हुआ 36 फीसद का इजाफा, कर्ज की गुणवत्ता में भी आया सुधार

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। गरीबों को कारोबार आदि करने के लिए माइक्रो फाइनेंस संस्थानों से कर्ज मुहैया कराने में 36 फीसद का इजाफा हुआ है। इन संस्थानों को कर्ज उपलब्ध कराने में बैंकों की हिस्सेदारी भी बढ़कर 60 फीसद हो गई है। कोटक इंस्टीट्यूशनल सिक्युरिटीज की तरफ से सोमवार को जारी एक रिपोर्ट बताती है कि जिन राज्यों में पिछले वर्ष बाढ़ का प्रकोप काफी ज्यादा था फाइनेंस का महत्त्व उन राज्यों में एमएफआइ से कर्ज लेने पर असर पड़ा है। इसके अलावा किसी भी राज्य में एमएफआइ की तरफ से वितरित होने वाले कर्ज की रफ्तार में कोई बड़ी गिरावट नहीं आई है।

रिपोर्ट यह भी बताती है कि एमएफआइ की तरफ से वितरित कर्ज की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है। केरल और ओडिशा में वितरित कर्ज की स्थिति ही खराब हुई है। इन दोनों राज्यों में पिछले वर्ष बाढ़ का प्रकोप हुआ था और यही वजह है कि इन राज्यों में जिन लोगों ने एमएफआइ से कर्ज लिया था उन्हें चुकाने में समस्या पैदा हुई है। बंगाल, असम और झारखंड में भी स्थिति थोड़ी कमजोर हुई है, लेकिन दक्षिणी राज्यों के मुकाबले इनकी स्थिति अभी भी काफी बेहतर है। उक्त पांचों में राज्यों में उन लोगों की संख्या बढ़ी है जो निर्धारित अवधि के एक महीने फाइनेंस का महत्त्व बाद तक (30 दिनों) तक कर्ज की वापसी नहीं कर पाए हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक बावजूद इसके असम, बिहार, बंगाल, झारखंड में माइक्रो फाइनेंस संस्थानों की तरफ से दिए जाने कर्जे की रफ्तार में 50 से 110 फीसद तक का इजाफा हुआ है। रिपोर्ट से यह बात भी सामने आती है कि इन संस्थानों का असर ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी काफी ज्यादा है। पहली तिमाही में एमएफआइ से वितरित कर्ज में ग्रामीण क्षेत्र की हिस्सेदारी 74 फीसद है जबकि शेष हिस्सेदारी शहरी क्षेत्र की है। 87 फीसद कर्ज नकद रहित दिया गया है यानी सीधे बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए हैं।

कोटक सिक्युरिटीज और पिछले दिनों आरबीआइ की जारी रिपोर्ट बताती है कि कॉरपोरेट सेक्टर ने भले ही कर्ज लेने की रफ्तार कम कर दी हो, लेकिन कम आय वाला वर्ग अभी भी अच्छी मात्र में कर्ज ले रहा है। आरबीआइ की इस रिपोर्ट के मुताबिक जुलाई, 2018 से जुलाई, 2019 के बीच बैंकों की तरफ से वितरित होने वाले एक लाख रुपये से कम राशि के कर्ज की रफ्तार 26.1 फीसद रही है।

दूसरी तरफ कॉरपोरेट सेक्टर को मिलने वाले कर्ज में महज 6 फीसद का इजाफा हुआ है। सनद रहे कि माइक्रो फाइनेंस कंपनियां बैंकों व एनबीएफसी या अन्य वित्तीय संस्थानों से कर्ज लेती हैं और उसे समाज के बेहद निम्न तबके के लोगों या छोटे स्तर के कारोबार करने वालों को कर्ज देती हैं।

वित्तीय सलाहकार कैसे बनें

वित्त के फाइनेंस का महत्त्व बारे में बढ़ती जागरूकता के साथ, सेवा क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई है जिसके परिणामस्वरूप बैंकिंग, योजना और सलाहकार जैसी वित्तीय सेवाओं का उदय हुआ है। इसने बदले में कई करियर के लिए दरवाजे खोल दिए हैं और वित्तीय सलाहकार उनमें से एक हैं। इस पेशे ने हाल के दिनों में बहुत महत्व प्राप्त किया है क्योंकि बहुत से लोग महामारी के समय में वित्तीय योजना और निवेश के महत्व को जानते हैं। वित्तीय सलाहकार बनने के लिए आप विभिन्न रास्तों से आगे बढ़ सकते हैं। इस लेख में, हम संबंधित फाइनेंस का महत्त्व विवरणों के बारे में बात करेंगे।

एक वित्तीय सलाहकार कौन है?

एक वित्तीय सलाहकार एक पेशेवर है जो अपने ग्राहकों को वित्तीय और निवेश सलाहकार सेवाएं देता है और उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है। वे अपने ग्राहकों के लिए वित्तीय योजना बनाते हैं जिसमें वित्त का उचित प्रबंधन और उनके लक्ष्यों और दृष्टि को पूरा करना शामिल है। इन लक्ष्यों में बच्चे की शिक्षा, घर खरीदना, संपत्ति या सेवानिवृत्ति योजना शामिल हो सकती है। इस पेशे का एक प्रमुख हिस्सा ग्राहकों के बीच विश्वास पैदा करना है ताकि फाइनेंस का महत्त्व वे सहज महसूस करें और अपनी संपत्ति आपको सौंप सकें। आपको वर्तमान परिदृश्य और वित्तीय बाजारों में होने वाली घटनाओं से खुद को अपडेट रखना होगा और निष्पक्ष सलाह देनी होगी। किसी भी अन्य पेशेवर की तरह एक वित्तीय सलाहकार होने के नाते भी बहुत सारी जिम्मेदारी आती है। संबंधित कौशल, ज्ञान, वांछित जुनून और लगातार बढ़ती रुचि रखने वाला व्यक्ति एक महान सलाहकार हो सकता है।

एक वित्तीय सलाहकार क्या करता है?

वित्तीय सलाहकार बनने से पहले, आपको यह जानना होगा कि कार्य और कार्यप्रणाली क्या हैं। निवेश, बचत को संभालना, गिरवी रखना, फंड और बीमा पर निर्णय लेना, अन्य के बीच अलग-अलग खाते स्थापित करना इस पेशे में शामिल सभी पहलू हैं। संक्षेप में, एक वित्तीय सलाहकार के रूप में, आप उन सभी जटिल, भ्रमित करने वाले और डराने वाले कार्यों का ध्यान रखेंगे, जिन्हें ग्राहक नहीं जानते होंगे कि उन्हें कैसे संभालना है। अधिक विवरण में जाने पर, आपको निम्नलिखित कार्य भी करने होंगे:

1. अपने ग्राहकों से मिलें और उनके साथ बातचीत करें और उनके वित्तीय लक्ष्यों को देखें।

2. ग्राहकों के लिए अनुसंधान निवेश विकल्प और अवसर।

3. अपने ग्राहकों को निवेश विकल्पों के बारे में शिक्षित करें और उन्हें उनके जोखिम के बारे में बताएं।

4. उनके वित्तीय खातों की निगरानी करें और उनके लिए आवश्यक किसी भी परिवर्तन को चिह्नित करें।

5. निवेश की सिफारिशें करें

6. आगामी परिस्थितियों के लिए उचित योजना बनाने में सहायता करें (सेवानिवृत्ति, कॉलेज की योजना बनाना, घर खरीदना)

व्यक्तिगत वित्तीय सलाहकार बनने की पात्रता

शिक्षा की आवश्यकता:

  1. वित्त से संबंधित किसी भी क्षेत्र में किसी अच्छे विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री।
  2. जिन व्यक्तियों ने व्यवसाय, वित्त, आर्थिक कानून, लेखा, गणित में स्नातक की डिग्री उत्तीर्ण की है, उन्हें बढ़त मिलेगी।
  3. कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों को 1 से 2 साल के कार्य अनुभव की आवश्यकता होगी।
  4. वित्तीय नियोजन और वित्तीय प्रबंधन के संबंध में अच्छा ज्ञान और कौशल सेट।

प्रमाणीकरण:

  1. वित्तीय योजना मानक बोर्ड (एफपीएसबी) द्वारा प्रदान किया गया सीएफ़पी (प्रमाणित वित्तीय नियोजक) प्रमाणन
  2. सेबी द्वारा स्थापित एनआईएसएम के मॉड्यूल को पारित करके आरआईए (पंजीकृत निवेश सलाहकार)।
  3. नोट: इन प्रमाणपत्रों को प्राप्त करना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह बहुत अधिक विश्वसनीयता जोड़ता है। इसलिए वित्त पेशेवर हमेशा एक प्राप्त करने की सलाह देते हैं।

आवश्यक योग्यता:

  1. वित्तीय एनालिसिस
  2. निवेश एनालिसिस
  3. इंटरपर्सनल स्किल्स
  4. रिसर्च
  5. एनालिटिकल स्किल्स
  6. महत्वपूर्ण सोच
  7. लॉजिकल स्किल्स

वित्तीय सलाहकार कैसे बनें?

एक वित्तीय सलाहकार को पेशे के रूप में लेने के लिए, आपके पास उसी से संबंधित शैक्षिक पृष्ठभूमि होनी चाहिए। जैसा कि चर्चा की गई है, वित्त से संबंधित स्नातक की डिग्री रखने वाले व्यक्तियों के पास एक बढ़त है, लेकिन आप वित्त के क्षेत्र में विशेषज्ञता के साथ इस पेशे को भी अपना सकते हैं या आप कई कार्यक्रमों के लिए पंजीकरण कर सकते हैं जो वित्त में गहन ज्ञान प्रदान करते हैं और निवेश, योजना और जोखिम प्रबंधन, वित्तीय जैसे विषय रखते हैं। फाइनेंस के साथ MBA करने वाले छात्रों को भी बढ़त मिलेगी।

एक वित्तीय सलाहकार ऋण, कर, बीमा, निवेश और अन्य व्यक्तिगत वित्त मामलों से संबंधित सेवाएं प्रदान कर सकता है। व्यक्तिगत वित्त में गहन ज्ञान के लिए, आप मुख्य विषय के रूप में वित्त के साथ सीएफए या एफआरएम या एमबीए में पाठ्यक्रम लेते हैं।

यदि आप पहले से ही सीए या सीएस पेशेवर हैं, तो आपको अपने डोमेन में वित्तीय सलाह देने की अनुमति है।

इसके अलावा, यदि आप निवेश करना चाहते हैं, तो भारत में, आपको निवेश सलाहकार के रूप में सेबी के साथ पंजीकृत होना होगा। सेबी के साथ एक आरआईए (पंजीकृत निवेश सलाहकार) के रूप में पंजीकरण करने के लिए, आपको एनआईएसएम मॉड्यूल - निवेश सलाहकार-स्तर-I और निवेश सलाहकार-स्तर-II पास करना होगा।

वित्तीय सलाहकार के लिए रोजगार के अवसर

एक बार जब आप एक पेशेवर के रूप में वित्त के क्षेत्र में प्रवेश करते हैं, तो आपके लिए चुनने के लिए कई दरवाजे खुलते हैं। विशेष रूप से बैंगलोर, दिल्ली, मुंबई जैसे मेट्रो शहरों में अवसरों और एक्सपोजर की अधिकता मौजूद है। कोई भी फंड प्रबंधन, वित्तीय परामर्श, क्रेडिट परामर्श, ब्रोकरेज, निवेश बैंकिंग, धन प्रबंधन संस्थाओं, बीमा कंपनियों आदि के साथ आगे बढ़ सकता है। यहां अच्छी बात यह है कि सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में पेशकश करने के अवसर हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ शीर्ष भर्तीकर्ता एलआईसी और एनआईएसीएल हैं और निजी क्षेत्र से, एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, कोटक महिंद्रा और HNBC शीर्ष भर्तीकर्ताओं में से हैं।

कुछ बैचलर्स और मास्टर डिग्री पर विचार किया जा सकता है

  • फाइनेंसियल मार्केट्स में बैचलर्स
  • एकाउंटिंग और फाइनेंस में बैचलर्स
  • फाइनेंस में BBA
  • टैक्स और फाइनेंस में B.Com
  • फाइनेंस में M.Com
  • फाइनेंस मैनेजमेंट में MBA
  • मास्टर ऑफ़ फाइनेंसियल मैनेजमेंट
  • मास्टर ऑफ़ फाइनेंस एंड एकाउंटिंग

ZFUNDS आपको एक सफल वित्तीय सलाहकार बनने में कैसे मदद कर सकता है?

हमारे पास एक अच्छी तरह से अनुभवी और प्रशिक्षित शोध टीम है जो आपको अपनाए जाने वाले सर्वोत्तम अभ्यास के बारे में बताकर आपकी यात्रा के हर चरण में आपकी सहायता करेगी।

हमारे विशेषज्ञ पेशेवर चार्टरधारक हैं और प्रतिष्ठित संस्थानों से योग्यता रखते हैं। वे आपको अपना मार्गदर्शन और सुझाव प्रदान कर सकते हैं जो आपके व्यक्तित्व में अत्यधिक वृद्धि कर सकते हैं।

चूंकि हम म्युचुअल फंड निवेश और अन्य वित्तीय सेवाओं को सुविधाजनक बनाने वाला एक उद्यम हैं, हम म्यूचुअल फंड विश्लेषण और इसके विभिन्न पहलुओं के आधार पर विशेष प्रशिक्षण और ज्ञान प्रदान कर सकते हैं। हम निवेश की विभिन्न अवधियों का पता लगाने में भी आपकी सहायता कर सकते हैं जिसमें आप परामर्श का अभ्यास करना चाहते हैं।

जैसा कि चर्चा है, हमारे पास मेहनती विशेषज्ञों की एक टीम है। उद्योग में सर्वश्रेष्ठ द्वारा आवश्यक कौशल सेट और ज्ञान प्राप्त करने के लिए आप उनके तहत अपना पेशेवर प्रशिक्षण लेकर हमसे लाभ उठा सकते हैं।

पूछे जाने वाले प्रश्न

1. वित्तीय सलाहकार कौन है?

एक वित्तीय सलाहकार एक पेशेवर है जो अपने ग्राहकों को वित्तीय और निवेश सलाहकार सेवाएं देता है और उन्हें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करता है।

2. क्या वित्तीय सलाहकार बनने के लिए किसी प्रमाणन की आवश्यकता है?

प्रमाणन अनिवार्य नहीं है, लेकिन हमेशा एक होने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह प्रोफ़ाइल में अधिक विश्वसनीयता जोड़ता है।

3. वित्तीय सलाहकार बनने के लिए कौन से विशेषज्ञता कॉर्सेस अपना सकते हैं?

वित्त में CFA, FRM, CFP, और MBA कुछ ऐसे कॉर्सेस हैं जो वित्त में विशेषज्ञता प्रदान करते हैं।

4. क्या CA या CS वित्तीय सलाहकार हो सकते हैं?

यदि आप पहले से ही CA या CS पेशेवर हैं, तो आपको अपने डोमेन में वित्तीय सलाह देने की अनुमति है।

5. निजी क्षेत्र में वित्तीय सलाहकारों के लिए शीर्ष भर्तीकर्ता कौन हैं?

HDFC, ICICI, कोटक महिंद्रा और HNBC निजी क्षेत्र में शीर्ष नियोक्ताओं में शामिल हैं।

क्यों अधिक इनकम से भी आपकी फाइनेंसियल प्रॉब्लम्स ख़तम नहीं हो पातीं? 7 reasons!

क्यों अधिक इनकम से भी आपकी फाइनेंसियल प्रॉब्लम्स ख़तम नहीं हो पातीं?

Financial Problems Reasons in Hindi

Financial Problems Reasons in Hindi

संदीप एक मल्टीनेशनल कम्पनी में काम करता है और महीने का 1 लाख कमाता है पर वो फिर भी अपनी finances को लेकर परेशान रहता है. बार-बार उसके मन में यही विचार आता है कि जब मैं करियर की शुरुआत में 50 हज़ार कमाता था तो भी मैं किसी तरह महीने का खर्च निकाल पाता था और आज जब मैं उसका दोगुना कमाता हूँ तो भी पैसे कम ही पड़ते हैं.

दोस्तों, क्या आप संदीप की इस स्थिति से रिलेट कर पा रहे हैं?

क्या आपके साथ भी यही हो रहा है- आपकी इनकम तो बढ़ती जा रही है लेकिन अभी भी आपकी financial problems ख़त्म नहीं हो पा रहीं.

जी हाँ, ये एक कड़वा सच है कि सिर्फ इनकम बढ़ जाने से financial problems ख़त्म नहीं हो जातीं!

पर घबड़ाइए नहीं, आप इस समस्या को फेस करने वाले अकेले व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि कई और लोग भी आपके साथ हैं.

जी हाँ, अमेरिका में हाल ही में GOBankingRates द्वारा किये गए एक सर्वे में पता चला है कि लगभग आधे अमेरिकन्स paycheck to paycheck जीते हैं. पेचेक टू पेचेक जीने का मतलब है कि आप हर महीने जितनी सैलरी पाते हैं वो सारी उसी महीने ख़तम कर देते हैं और कोई भी बचत नहीं करते हैं.

आइये, आज इस आर्टिकल में हम 7 ऐसी बातों को जानते हैं जिनके कारण आप अच्छी इनकम के बावजूद अपने finances को लेकर हमेशा परेशान रहते हैं:

1. आप Financial Planning नहीं करते:

Personal Finance category के अपने पिछले लेख – “फाइनेंसियल प्लानिंग क्या होती है और आपके लिए ये ज़रूरी क्यों है?” में मैंने फाइनेंसियल प्लानिंग की importance को बता चुका हूँ. Unfortunately, ज्यादातर लोग ये ज़रूरी काम नहीं करते हैं, खासतौर से अपने career के शुरूआती दिनों में, और इसीलिए वे अक्सर अपनी वित्तीय स्थिति को लेकर परेशान रहते हैं.

कृपया आप इस आर्टिकल को पढ़िए और इस direction में जल्द ही कोई कदम उठाइए.

2. आप पहले खुद को pay नहीं करते:

सैलरी आते ही आपको सबसे पहले अपनी एक महीने की कड़ी मेहनत के लिए खुद को पे करना चाहिए. यानी, आपको कुछ पैसे निकाल कर अलग रख देना चाहिए और बाकी के पैसों से खर्च चलाना चाहिए. For example: जिस दिन आपकी सैलरी क्रेडिट होती है उसके २-३ दिन बाद की डेट पे कोई SIP start कर सकते हैं, और अपने hard work के लिए खुद को reward कर सकते हैं.

मैंने पाया है कि ऐसी कोई भी saving arrangement करना जिसमे पैसे automatically आपके अकाउंट से कट जाते हों सही रहता है. ऐसा न होने पर पैसे कहीं न कहीं और खर्च हो जाते हैं.

3. आप आज की खुशियों को कल की ज़रूरतों से अधिक महत्त्व देते हैं:

आप 5 हज़ार रुपये की सेविंग करने के बजाये 15 हज़ार का नया मोबाइल लेने में यकीन रखते हैं वो भी तब जबकि आपका पुराना मोबाइल बिलकुल सही हो! “Living in the moment” की philosophy तभी भाति है जब “finances for the future” intact हों. पर आप पहले पार्ट में ही यकीन रखते हो और दूसरे को भूल जाते हो!

ऐसा ना करें, इन दोनों के बीच बैलेंस बनाना बहुत ज़रूरी है. ऐसा करना आपको बहुत सी financial stress से बचा सकता है.

दुनिया के सफलतम इन्वेस्टर्स में से एक वॉरेन बफे की ये बात हमेशा याद रखिये-

“Do not save what is left after spending, but spend what is left after saving.”

  • पढ़ें: वारेन बफे के पैसा कमाने के 10 मन्त्र !

4. आप ‘wants’ को ‘needs’ से अलग नहीं करते हैं:

Need: कुछ ऐसा जिसके बिना काम नहीं चल सकता.

Want: कुछ ऐसा जो आप चाहते हैं कि आपके पास हो पर उसके बिना भी काम चल सकता है.

Finances को लेकर परेशान रहने वाले लोग अपनी अपनी Want को भी Need बना लेते हैं. For example: Genuinely आपको एक कार की जरूरत है, लेकिन आप आराम से afford की जा सकने वाली एक hatchback की जगह एक SUV को अपनी ज़रूरत बना लेते हैं और फिर सालों तक उसका loan pay करते हैं.

कभी भी सिर्फ show off के लिए कोई चीज ना लें, ऐसा करना आपको कुछ दिन की खुशियाँ तो दे सकता है पर long term में वो आपके लिए problems ही कड़ी करेगा.

5. आप spendaholic हैं:

आप financially इस लिए परेशान रहते हैं क्योंकि आपको खर्च करने में मजा आता है…. आपके घर के हर कोने में कोई न कोई ऐसी चीज पड़ी है जो impulse buying का नतीजा है. आपकी वार्डरोब में ऐसे कपड़ों की भरमार है जिन्हें आपने मुश्किल से एक-दो बार ही पहना है. आपके drawer में ऐसे mobile phones पड़े हुए हैं जिनको आपने साल भर भी use नहीं किया. आपको बाहर खाने-पीने में इतना मजा आता है कि हफ्ते में दो बार बाहर ही खाते हैं या आर्डर करके घर पे मंगा लेते हैं.

अगर एक financially stable life चाहते हैं तो spendaholic नहीं frugal, यानी सोच-समझ कर खर्च करने वाला बनें.

  • Related: एक रूपये की कीमत! | फिजूलखर्ची न करने की सीख देती कहानी

6. आप जितना कमाते हैं उससे भी अधिक खर्च करते हैं:

ये कैसे possible है? बिलकुल है, आपके जेब में 3-3 क्रेडिट कार्ड जो पड़े हैं! In fact, आप सैलरी का एक बड़ा हिस्सा पिछले महीने के credit card bill के लिए ही बचा कर रखते हैं. और इस महीने की शुरुआत ही क्रेडिट कार्ड से खरीदारी के साथ करते हैं. इस तरह से आप हेमशा एक debt-trap में फंसे रहते हैं.

बेहतर तो होगा कि आप क्रेडिट कार्ड रखें ही नहीं, लेकिन अगर रखना भी है तो बस एक रखें और वो भी अपने वालेट में नहीं, और उसे सिर्फ और सिर्फ emergency में ही प्रयोग करें.

7. आप “ना” नहीं कर पाते!

As an individual आप पैसे की importance समझते हैं लेकिन आप अपने family members को “ना” नहीं कर पाते. आप अपने spouse के कहने पर कोई भी मूवी देखने चले जाते हैं…अपने बच्चे की जिद को भी “ना” नहीं कर पाते और महंगे-महंगे खिलौने खरीद लाते हैं.

ऐसे करके आप उन्हें आज कुछ खुशियाँ ज़रूर दे रहे हैं लेकिन आपको उन्ही की बेहतरी के लिए “ना” कहना सीखना चाहिए ताकि सिर्फ present नहीं future भी खुशियों से भरा रहे. और एक और कड़वी बात दिमाग में बैठा लीजिये अगर फ्यूचर में कभी पैसों की दिक्कत आई, तो आपके फॅमिली मेंबर्स उन सारे entertaining moments को भूल जायेंगे और कहीं न कहीं इस situation के लिए आपको ही जिम्मेदार ठहराया जाएगा.

इसलिए अपनी और अपने परिवार की खुशियों के लिए आपको कभी-कभी “ना” कहना सीखना होगा.

फ्रेंड्स, अगर एक लाइन में कहूँ तो-

ज्यादा पैसा आपको और ज्यादा वो बना देता है जो आप पहले से हैं.

इसीलिए अधिक पैसे कमाना नहीं अपनों पैसों को सही से manage करना ही financial problem का solution है.

और अगर आप अभी तक ऐसा नहीं कर रहे थे तो कोई बात नहीं, past cannot be changed…लेकिन फ्यूचर को हेमशा बेहतर बनाया जा सकता है. और future financially sound बनाने के लिए एक चीज जिसे मैं बहुत अधिक emphasize करता हूँ वो है- Mutual Funds.

कैसे म्यूचुअल फंड्स आपकी फाइनेंसियल प्रॉब्लम्स को कम या ख़त्म कर सकते हैं?

मैंने देखा है और खुद भी experience किया है कि पैसे बचाने का सबसे अच्छा तरीका है कि हम एक ऐसा सिस्टम सेटअप करें कि हर महीने पैसा हमारे अकाउंट से automatically deduct हो कर कहीं इन्वेस्ट हो जाए. और Mutual Funds के Systematic Investment Plans (SIPs) ठीक यही काम करते हैं.

  • Related: म्यूचुअल फंड्स क्या होते हैं… कैसे काम करते हैं?

आप 500रु के छोटे अमाउंट से भी SIP शुरू कर सकते हैं. साथ ही आप इसे जब चाहें तब स्टॉप भी कर सकते हैं. Personally मेरे लिए यह पैसे बचाने और उन्हें grow करने का सबसे अच्छा तरीका रहा है. Historically equity mutual funds में निवेश करना किसी भी bank FD, RD, या insurance plan के मुकाबले अच्छा रिटर्न देता है. साथ ही यहाँ कभी भी अपना पैसा withdraw करने की flexibility भी होती है.

इसलिए, आपको अपनी income के proportionate SIPs ज़रूर शुरू करने चाहिए. I assure you आपका उठाया यही एक कदम आपकी financial problems को बहुत हद्द तक कम या ख़त्म कर देगा. So, just go for it!

तो दोस्तों, Personal Finance की इस पोस्ट में आज इतना ही… जल्द मिलते हैं अगले article के साथ.

Till then take care…save money…invest wisely!

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Financial freedom

Zerodha

और माँ बाप हमारी जरुरतो को पूरा करने का पूरा प्रयास करते है, फाइनेंसियल चिंताए उन्हें होती है हमें नहीं, और इस तरह जब हमें कोई फाइनेंसियल चिंता नहीं होती, हम बहुत ही अच्छी चिंता से मुक्त, बेहतरीन लाइफ जी पाते है,

Financial freedom की क्यों बहुत जरुरत है –

जैसे कि हमने जगजीत सिंह के गीत की दो पक्तियों को देखा, बचपन हम ज्यादा खुश इसलिए रहते है कि हमें बाय डिफ़ॉल्ट फाइनेंसियल फ्रीडम प्राप्त होता है,

और इस तरह हमें फाइनेंसियल फ्रीडम की जरुरत इसलिए बहुत ज्यादा है, ताकि हम

  • पैसो की चिंता से आजाद होकर हम एक फ्री लाइफ को जी सके
  • हम वो कर सके जिस से हमें सच में ख़ुशी मिलती हो
  • हम अपने उन सपनो को पूरा कर सके, जिनको हम बचपन से पूरा करना चाहते है,

और इसलिए जब हम पैसे कमाना शुरू करे, तो हमारी पहली कोशिस यही होनी चाहिए कि हम जल्द से जल्द फाइनेंसियल फ्रीडम प्राप्त करे

आइये अब बात करते है की फाइनेंसियल फ्रीडम होता क्या है ?

फाइनेंसियल फ्रीडम क्या होता है ?

फाइनेंसियल फ्रीडम का हिंदी अर्थ है –वित्तीय आजादी, और आम भाषा में कहे तो पैसे कमाने की चिंता से आजादी,

और पैसे कमाने की चिंता आपको तभी नहीं होती है, जब आपके पास बहुत अधिक धन आ जाये , और आप उस धन का इस्तेमाल करके अपने लिए एक ऐसा इनकम सोर्स बना ले जिस से कि आपको बिना काम किये भी पैसे मिलते ही रहे,

फाइनेंसियल फ्रीडम एक ऐसी अवस्था होती है, जब हमें एक बेहतर जिन्दगी को जीने के लिए आवश्यक खर्च के रूप में लगने वाले पैसो की चिंता से आजाद होते है, हम पैसे के लिए काम करे या ना करे, हमारे पास पैसे आते ही रहते है, और जिनसे हम बिना पैसो की चिंता किये एक बेहतर लाइफ को जी पाते है,

जैसे – हर कोई चाहता है कि – उसे जल्द से जल्द रिटायरमेंट मिल जाये और उसे पैसे की चिंता न करनी पड़े क्योकि रिटायरमेंट के बाद काम पर नहीं जाने के बावजूद पेंशन की रकम मिलती रहेगी,

लेकिन अक्सर हमारे अर्थ्यव्यस्था में सरकार या अन्य कम्पनी में रिटायरमेंट के बाद पेंशन की बहुत कम सुविधा है, या है भी तो रिटायरमेंट की उम्र लगभग ६० वर्ष है,

और इस तरह जब कोई व्यकित 60 की उम्र में रिटायरमेंट लेता है तो उसे पेंशन के रूप में बिना काम पर जाये हर महीने पैसे मिलते रहते है, जिनसे वह व्यकित काफी हद तक फाइनेंसियली फ्री हो जाता है,

फाइनेंसियल फ्रीडम के फायदे –

आइये अब फाइनेंसियल फ्रीडम के फायदे की बात करते है-

अगर फाइनेंसियल फ्रीडम के फायदों की बात करे तो –

इसका पहला फायदा और सबसे बड़ा फायदा है –

  • आपको अपने खचो को पूरा करने के लिए यानी पैसे कमाने की रोज रोज चिंता नही करनी होती है, और आप जिन्दगी की RAT RACE से बाहर निकल जाते है,
  • दूसरा – आप पैसे के लिए काम नही करते, बल्कि पैसा आपके लिए काम करता है, जैसे – अच्छे इन्वेस्टमेंट
  • तीसरा फायदा है – आप वो काम कर सकते है, जो करने से आपको सच में खुशी मिलती हो,
  • चौथा फायदा है – आप अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जी सकते है,और पूरी आजादी को महसूस कर सकते है, जो आपको बचपन में हुआ करती थी,
  • पाचवा फायदा – आप निश्चिंत होकर देश विदेश के अलग अलग शहरो में आजादी के साथ घुमने फिरने जा सकते है, और जब आप इस तरह घुमने फिरने का आनंद ले रहे होंगे, तब भी अपने किसी तरह के income के बारे इ सोचने की जरुरत नहीं पड़ेगी,
  • छठा फायदा ये भी है कि – फाइनेंसियली फ्री होने से आप अपने परिवार के साथ ज्यादा QUALITY TIME गुजार सकते है,
  • फाइनेंससयिी फ्री होने से आप कुछ समाज की भलाई के लिए बहुत सारे काम कर सकते है,
  • आप अपनी हजिंदगी को अपने तरीके से जी सकते है,और पूरी आजादी को महसूस कर सकते है, जो आपको कभी बचपन में हुआ करती थी,

फाइनेंसियल फ्रीडम के आवश्यक तत्व –

फाइनेंसियल फ्रीडम के लिए आपको तीन चीजे चाहिए -MONEY, TIME और SECURITY

  1. MONEY – आप तभी फाइनेंसियल फ्रीडम होंगे, जब आपके पास अपनी जिंदगी को जीने के लिए आपके पास पर्याप्त मात्रा में धन हो यानि -ENOUGH MONEY
  2. Time – अपनी मनपसंद जिंदगी जीने के लिए पर्याप्त धन के साथ, उस धन का इस्तेमाल करने के लिए आपके पास पर्याप्त मात्र में समय यानी टाइम भी होना चाहिए , यानि ENOUGH TIME
  3. Security – आपकी income कितनी सिक्योर है, मतलब आप कितने दिन तक काम नहीं करेंगे तो आपको इनकम मिलता रहेगा, फाइनेंसियल फ्रीडम के लिए ये भी बहुत इम्पोर्टेन्ट है, इस तरह इनकम की सिक्यूरिटी के लिए आपके पास पर्याप्त ENOUGH INCOME SOURCES होना जरुरी है,

फाइनेंसियल फ्रीडम कैसे प्राप्त होगा-

दोस्तों फाइनेंसियल फ्रीडम के लिए आपको अनिवार्य रूप से आपको दो चीज करने होंगे

  • पर्याप्त इनकम सोर्स बनाना जिसमे आपको काम नहीं करना पड़ता हो, जैसे – एक या कई पैसिव इनकम सोर्स
  • आपके पास धन की बहुत अधिक मात्रा होनी चाहिए, जैसे कि रिटायरमेंट फण्ड जो एक बड़ी राशी होती है, और उसका व्याज ही आपको पेंशन के रूप में मिलता रहता है,

इस तरह आपको फाइनेंसियल फ्रीडम प्राप्त करने के लिए कुछ इस तरह के कदम उठाने है –

  • आपको फाइनेंसियल प्लान बनाना होगा, जिसमे आपको क्लियर पता हो कि आपको कब तक कितना धन प्राप्त करना होगा,
  • फाइनेंसियल प्लान के अनुसार आपको बचत शुरू करना होगा, बचत के बाद इन्वेस्टिंग और पॉवर ऑफ़ compounding का इस्तेमाल करके आप रिटायरमेंट फण्ड जैसे बहुत बड़ी धनराशी भी इकठ्ठा कर सकते है,
  • आपको अपने लिए कुछ पैसिव इनकम सोर्सबनाने होंगे, जो धीरे धीरे बढ़ते जाये, – जैसे – म्यूच्यूअल फण्ड निवेश, डिविडेंड इनकम , किराये का इनकम, रोयल्टी से मिलने वाला इनकम,

अगर कुछ पैसिव इनकम के एक्साम्प्ल की बात करे जो आपको फाइनेंसियल फ्रीडम के लिए अनिवार्य रूप से चाहिए तो इस तरह के इनकम सोर्स बनाने होंगे जैसे –

  • शेयर या स्टॉक में किए गए Investment से मिलने वाला income,
  • म्यूच्यूअल फण्ड में जमा निवेश और उस पर मिलने वाला लाभ
  • किराये से मिलने वाला इनकम
  • बैंक में जमा धन राशी से मिलने वाला व्याज का income,
  • रॉयल्टी से मिलने वाला income ,
  • ऐसे बिज़नस का प्रॉफिट जिसमे आपने मेनेजर रख दिया जो सब सभाल लेता हो,
  • ऐसा बिज़नस प्रॉफिट जहा आप acive रूप से काम नहीं करते
  • ऑनलाइन इनकम सोर्सेज – वेबसाइट, ब्लॉग, एफिलिएट मार्केटिंग
  • RETIREMENT PLAN से मिलने वाला पेंसन

दोस्तों, आशा है , फाइनेंसियल फ्रीडम का ये टॉपिक आपको जरुर पसंद आया होगा, और आप आज से ही अपनी फाइनेंसियल फ्रीडम के लिए काम करना शुरू कर देंगे,

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