एक व्यापार

एक सीमा आदेश क्या है

एक सीमा आदेश क्या है

तहसीलदार के आदेश पर पटवारी ने किया सीमाज्ञान, कलेक्टर ने गिरदावर पटवारी को एपीओ किया, दूसरे दिन बदला मुख्यालय

श्रीमाधोपुरके जुगलपुरा गांव में सीमा ज्ञान के मामले में एक गिरदावर और पटवारी को एपीओ कर दिया गया। जबकि गिरदावर सीमाज्ञान में शामिल ही नहीं था। इतना ही नहीं एपीओ किए गए दोनों कर्मचारियों का मुख्यालय 15 मार्च को श्रीमाधोपुर किया गया था, लेकिन 16 मार्च को मुख्यालय बदलकर नीमकाथाना एक सीमा आदेश क्या है कर दिया गया। इस कार्रवाई के विरोध में पटवार संघ एकजुट हुआ तो प्रशासन ने बचाव करते हुए मामले की जांच के आदेश कर दिए।

इधर, पटवार संघ ने तीन दिन में एपीओ आदेश निरस्त नहीं करने पर सामूहिक अवकाश पर जाने की चेतावनी दी है। मामला जुगलपुरा गांव में एक कृषि भूमि के सीमाज्ञान से जुड़ा है। श्रीमाधोपुर तहसीलदार ने सांवलपुरा तंवरान पटवारी सायरमल मीणा को सीमा ज्ञान के आदेश दिए थे। आदेशों की पालना में पटवारी ने मौके पर पहुंचकर सीमा ज्ञान करवाया। सायरमल का कहना है कि नियमानुसार सीमा ज्ञान सही करवाया था। बाद में क्या हुआ। उन्हें जानकारी नहीं।

पड़ताल में सामने आया कि मामला रसूखदार लोगों से जुड़ा होने के कारण दूसरे पक्षकार ने सीमा ज्ञान को गलत बताते हुए उच्चाधिकारियों को शिकायत की। इस पर तत्काल कलेक्टर ने बिना जांच करवाए 15 मार्च को पटवारी सायरमल मीणा और गिरदावर महेश कुमावत को एपीओ कर दिया। जबकि गिरदावर सीमा ज्ञान में शामिल ही नहीं थे। दोनों का मुख्यालय श्रीमाधोपुर कर दिया गया। दबाव के कारण दूसरे दिन 16 मार्च को दोनों का मुख्यालय श्रीमाधोपुर से बदलकर नीमकाथाना कर दिया गया। मामले में जिले के पटवारी और गिरदावर एकजुट हो गए और कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए गलत तरीके से जारी किए गए एपीओ आदेश को रद्द करने की मांग की। राजस्थान कानूनगो संघ एवं पटवार संघ ने तीन दिन में एपीओ आदेश रद्द नहीं किए जाने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

तहसीलदार सुमन चौधरी का कहना है कि जुगलपुरा गांव में सीमाज्ञान के लिए सांवलपुरा तंवरान पटवारी को िनर्देश दिए थे। उन्हीं के द्वारा रिपोर्ट पेश की गई थी।

यह है सीमाज्ञान का नियम

राजस्वनियमों के अनुसार सीमाज्ञान के लिए किसान को आवेदन करना होता है। तहसीलदार द्वारा पटवारी से इस पर रिपोर्ट मांगी जाती है कि संबंधित जमीन की मौका स्थिति क्या है। मामला कोर्ट आदि में विचाराधीन है या नहीं, किसी तरह का विवाद तो नहीं। पटवारी की सकारात्मक रिपोर्ट के बाद आवेदक काश्तकार से तय शुल्क जमा लिया जाता एक सीमा आदेश क्या है है। इसके बाद पटवारी गिरदावर को सीमा ज्ञान के आदेश दिए जाते हैं।

भूमि समाशोधन करघे के लिए समय सीमा

Rural Fires – Why self-protection awareness is essential

“सुरक्षित वन 2022" अभियान के बारे में जागरूकता बढ़ाने के पहले चरण के बाद, नेशनल रिपब्लिकन गार्ड (GNR) ने सोशल मीडिया पर याद किया कि “मालिकों के पास अपनी जमीन को साफ करने के लिए 30 अप्रैल तक है”, आग की रोकथाम के दायरे में।

बाद में, GNR गैर-अनुपालन के मामलों में प्रशासनिक उल्लंघन के लिए रिकॉर्ड तैयार करने के साथ, प्राथमिकता के रूप में पहचाने जाने वाले परगनों में निरीक्षण शुरू करेगा।

प्राथमिकता परगनों

इस साल, सरकार ने 1,001 प्राथमिकता वाले परगनों की पहचान की, जो 2021 की तुलना में एक कम है। मार्च में प्रकाशित एक आदेश के अनुसार, इन क्षेत्रों में निरीक्षण 1 से 31 मई के बीच किया जाता है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्रों (50 मीटर) और जनसंख्या केंद्रों के साथ-साथ कैंपसाइट्स, औद्योगिक पार्क, लॉजिस्टिक्स प्लेटफॉर्म और सैनिटरी लैंडफिल पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। वन क्षेत्रों में (की एक सीमा के भीतर) 100 मीटर)।

सड़क नेटवर्क, रेलवे और बिजली पारेषण और वितरण लाइनों के लिए, 1 से 30 जून के बीच निरीक्षण किया जाएगा।

जीएनआर के अनुसार, मालिक, किरायेदार या संस्थाएं, जो किसी भी क्षमता में, ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित इमारतों से सटी भूमि रखती हैं, इस सफाई को पूरा करने के लिए बाध्य हैं।

जुर्माना

डिक्री-लॉ नंबर 82/2021 के अनुसार, जो मुख्य भूमि पुर्तगाल में ग्रामीण घरों के लिए एकीकृत प्रबंधन प्रणाली को परिभाषित करता है, व्यक्तियों के मामले में 150 से 1,500 यूरो तक “प्रकाश” श्रेणी के रूप में वर्गीकृत अपराधों के अनुपालन के लिए जुर्माना।

“गंभीर” के रूप में वर्गीकृत अपराधों के मामले में, जुर्माना का मूल्य 500 और 5,000 यूरो के बीच है।

भूमि की सफाई के लिए समय सीमा का पालन करने में मालिकों की विफलता के मद्देनजर, नगरपालिका परिषदों को बाद में यह गारंटी देनी चाहिए कि सभी ईंधन प्रबंधन कार्य किए जाते हैं, “संचार के माध्यम से और, पांच दिनों के भीतर प्रतिक्रिया के अभाव में, साइट पर पोस्ट किए जाने वाले नोटिस द्वारा"।

नौकरी की अधिकतम आयु सीमा अगले आदेश तक प्रभावी

समस्तीपुर : राज्य सरकार की नौकरियों के लिए विभिन्न कोटि के लिए निर्धारित अधिकतम उम्र सीमा की अवधि 31 दिसंबर 2015 को ही समाप्त हो चुकी थी. लेकिन अब इस अवधि का विस्तार अगले आदेश तक के लिए कर दिया गया है. जिस कारण अब अगले आदेश तक राज्य सरकार की नौकरियों के लिए विभिन्न कोटि के लिए निर्धारित अधिकतम उम्र सीमा प्रभावी रहेगा. इस संबंध में सूबे के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा संकल्प जारी कर दिया गया है.

लिहाजा अब राज्य सरकार की सेवाओं, संवर्गों व पदों पर सीधी भर्ती के लिए निर्धारित अधिकतम आयु सीमा की वैधता तिथि अगले आदेश तक प्रभावी हो गया है. जानकारी के अनुसार राज्य सरकार की सेवाओं, संवर्गों व पदों पर सीधी भर्ती के लिए निर्धारित अधिकतम आयु सीमा में वर्ष 2006 में संशोधन किया गया था.

इसी साल अनारिक्षत वर्ग-पुरुष के लिए अधिकतम आयु सीमा 35 वर्ष से बढ़ाकर 37 वर्ष किया गया था. इसी प्रकार अन्य आरिक्षत कोटियों के लिए भी अधिकतम आयु सीमा में वृद्धि की गई थी. जिसे 31.12.2010 तक के लिए प्रभावी किया गया था, लेकिन बाद में इस तिथि को बढ़ाकर 31.12.2015 तक के लिए प्रभावी कर दिया गया. एक बार पुन: इसे अगले आदेश तक के लिए प्रभावी कर दिया गया है.

बताते चलें कि सरकारी सेवाओं की सेवानिवृति की आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष किए जाने व अन्य राज्यों में सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के लिये पिछड़े वर्गों की उम्र सीमा बिहार राज्य से अधिक होने के आलोक में राज्य सरकार की सेवाओं, संवर्गों व पदों पर सीधी भर्ती के लिए एक सीमा आदेश क्या है आरक्षण कोटिवार अधिकतम तय सीमा का निर्धारण मंत्रिपरिषद के अनुमोदन से संकल्प सं.-1735 दिनांक 22.06.2006 के तहत किया गया था.

इस संकल्प के अनुसार राज्य सरकार की सेवाओं, संवर्गों व पदों पर सीधी भर्ती के लिए अनारिक्षत वर्ग-पुरु ष के लिए अधिकतम आयु सीमा 37 वर्ष, पिछड़ा वर्ग व अतिपिछड़ा वर्ग की महिला व पुरु ष के लिए अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष, अनारिक्षत-महिला के लिए अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष व अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की महिला व पुरुष के लिए अधिकतम आयु सीमा 42 वर्ष निर्धारित किया गया. निर्धारित अधिकतम आयु सीमा 31.12.2010 तक के लिए प्रभावी बनाया गया था.

लेकिन बाद में इसे विभागीय संकल्प-ज्ञापांक 2530 एक सीमा आदेश क्या है दिनांक 29.06.2010 द्वारा 31.12.2015 तक के लिए विस्तारित किया गया. लेकिन एक बार फिर राज्य में बेरोजगारी की समस्या तथा बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने उक्त अधिकतम आयु सीमा की मियाद को 31.12.2015 एक सीमा आदेश क्या है से आगे बढ़ाकर अगले आदेश तक के लिए प्रभावी कर दिया है. इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है.

Prabhat Khabar App :

देश, दुनिया, बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस अपडेट, टेक & ऑटो, क्रिकेट और राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

एक सीमा आदेश क्या है

Lorem ipsum, dolor sit amet consectetur adipisicing elit.

स्वतंत्रता की एक सीमा है

हमारे देश में नागरिकों को दिए गए मौलिक अधिकारों में कोई भी असीम नहीं है। जैसे अनुच्छेद 19(1)(ए) के अंतर्गत दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को 19(2) में सीमाओं में बांधा गया है। संविधान के मसौदे में इस अधिकार पर अंकुश लगाने का एक आधार ‘राजद्रोह’ को माना गया है। राजद्रोह को भारतीय दंड संहिता के भाग 124-ए के तहत ऐसा आपराधिक कृत्य माना गया है, जिसके लिए उम्रकैद एवं जुर्माने के दंड का प्रावधान है।

  • प्रिवी काऊंसिल ने सरकार के प्रति असंतोष या बुरी भावनाओं को उत्तेजक शब्दों में व्यक्त करने को राजद्रोह माना था। मुख्य न्यायाधीश मॉरिस ग्वायर की अध्यक्षता में फेडरल कोर्ट ने कहा कि, ‘सरकार की असफलता पर प्रहार करने वाली अभिव्यक्ति को राजद्रोह नहीं माना जा सकता।’
  • इसी संदर्भ में 1962 में केदारनाथ बनाम बिहार सरकार के मामले में उच्चतम न्यायालय ने फेडरल कोर्ट के आदेश को अपनाते हुए कहा कि ‘सरकार की कटु से कटु आलोचना को भी तब तक राजद्रोह नहीं माना जा सकता, जब तक कि उसमें हिंसात्मक तत्वों का समावेश न किया गया हो।’
  • 1995 में भी ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने वाले के विरूद्ध 124-ए के अंतर्गत राजद्राह का मुकदमा चलाए जाने से उच्चतम न्यायालय ने इंकार कर दिया था। अगर कोई व्यक्ति हिन्दुस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाता है या भारत देश को अत्याचारी कहकर उसके पराभव की बात कहता है, तो संभवतः इसे राजद्रोह माना जा सके।
  • सरकारी विरोध को बर्दाश्त न करने वाली कई अभियोजन एजेंसी ने अनुच्छेद 124-ए का दुरुपयोग किया है। इसका एक हास्यास्पद उदाहरण वित्त मंत्री अरुण जेटली पर भी इस प्रकार का अभियोग चलाया जाना है। ऐसे मामलों में अभियोग चलाने का खंडन किया जाना चाहिए।

कुछ मामलों में अनुच्छेद 124-ए के दुरुपयोग होने से इस अनुच्छेद की सार्थकता को नकारकर इसका पूर्ण खंडन नहीं किया जा सकता। एक सीमा आदेश क्या है उचित प्रकार से व्याख्यायित एवं आरोपित किए जाने पर यह प्रावधान निश्चित रूप से देश की गरिमा, एकता और अखंडता की रक्षा करने का उत्तम अस्त्र है।

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित सोली जे सोराबजी के लेख पर आधारित।

राहत : करेंट अकाउंट्स बंद होने का मंडरा रहा खतरा फिलहाल टला, RBI ने बढ़ा दी है समय सीमा

RBI ने सर्क्यूलर जारी कर बैंकों को आदेश दिया था कि ऐसे करेंट अकाउंट्स को बंद कर दिया जाए जिन्होंने दूसरे बैंकों से लोन लिया है. बैंक से कैश क्रेडिट या ओवरड्राफ्ट की सुविधा उसी अकाउंट धारक को दी जाए जिसमें उसका करेंट अकाउंट है.

RBI ने अपने उस सर्क्युलर की आखरी तिथि की मियाद को आगे बढ़ा दिया है जिसमें बैकों को बड़ी संख्या में अपने खाताधारकों के करेंट अकाउंट्स को बंद करने के निर्देश दिए गए थे. RBI के उस सर्क्यूलर से हजारों की संख्या में खाता धारकों पर बैंक अकाउंट्स फ्रीज़ किए जाने की तलवार लटक रही थी, जो अब टाइम लिमिट बढ़ जाने से राहत महसूस कर रहे हैं. RBI के इस आदेश से MSME सेक्टर के ऐसे व्यापारियों के अकाउंट्स फ्रीज होने का खतरा छा गया था जिनका लोन अमाउंट 5 करोड़ से ज्यादा है. 5 से 50 करोड़ के लोन के लेन देन वाले करेंट खाताधारकों पर इस आदेश का असर पड़ रहा था.

नई टाइम लिमिट 31 अक्टूबर 2021

बता दें कि RBI के एक निर्देष के बाद बैंकों ने ऐसे करेंट अकाउंट्स बंद करने शुरू कर दिए थे जिन्होंने दूसरे बैंकों से लोन ले रखा है. RBI ने बैंकों को ऐसे अकाउंट्स को बंद करने के लिए 31 जुलाई तक का समय दिया था. लेकिन बैंकों से इस समय सीमा में बड़ी संख्या में अकाउंट बंद किए जाने पर असमर्थता जताई गई थी. IBA ने इस समय सीमा को बढ़ाने की मांग की थी. लिहाजा RBI ने अब इस समय सीमा को आगे बढ़ाते हुए 31 अक्टूबर 2021 कर दिया है.

RBI का मकसद कैश फ्लो पर नजर रखना

दरअसल इस नियम का मकसद कैश फ्लो पर नजर रखना और फंड्स की हेराफेरी पर लगाम कसना है. RBI ने पाया कि मौजूदा गाइडलाइंस और जुर्माने के प्रावधानों के बावजूद लोन लेने वाले कई बैंकों में करेंट अकाउंट खुलवाकर फंड्स की हेराफेरी कर रहे थे. इस आदेश के आने के बाद से बैंक के करेंट अकाउंट धारकों को काफी असुविधा का सामना करना पड़ा था.

आदेश से क्या थी परेशानी

RBI के सर्क्यूलर के आधार बंद किए गए खाताधारकों की ओर से इस बात के आरोप लगते रहे हैं कि ये कार्रवाई बैंक बिना नोटिस या बहुत कम समय देकर खातों को बंद कर रहे थे. समय पर बैंक के नोटिस के आधार पर जवाब न देने पर खाते फ्रीज किए जाने से खाताधारकों को परेशानी उठानी पड़ रही थी. इसकी शिकायतें ग्राहक बैंकों से लगातार कर रहे थे. इस आदेश से बंद किए खाताधारकों में छोटे कारोबारियों की तादाद ज्यादा है. लिहाजा उसी सेगमेंट से इस आदेश का विरोध ज्यादा होता दिखाई दे रहा है.

IBA सुलझाएगा बैंकों की समस्याएं

बताया जाता है कि ऐसे अकाउंट्स लाखों की संख्या में हैं. जिसे दी गई समय सीमा में बंद करना बैंकों के लिए मुश्किल था. बैंक इस समय सीमा में इसे लागू करने में असमर्थ होने की बात IBA के माध्यम से RBI से बताई थी. बैंकों की दिक्कतों को देखते हुए RBI ने इसलिए इस मियाद को आगे बढ़ा दिया. साथ ही इस निर्णय के पीछे खाता धारकों को हो रही दिक्कतों को कम करना भी है.

निर्देश में कहा गया है कि अगर दी गई मियाद के भीतर बैंको को ऐसे अकाउंट्स बंद करने में कोई परेशानी हो रही है तो उसे हल करने की जिम्मेदारी IBA की होगी. अगर IBA को भी दिक्कत पेश आती है तो IBA उसे RBI को बताएगा. साथ ही ये बैंक को देखने के लिए छोड़ा गया है कि हेड ऑफिस, रीजनल, जोनल स्तर पर ग्राहकों को परेशानी न हो

क्या था नियम

कैश फ्लो पर नजर रखने के इरादे से RBI ने एक सर्क्यूलर जारी कर रहा था कि जिस बैंक से कैश क्रेडिट या ओवरड्राफ्ट सुविधा दी जा रही है उसी बैंक में लोन लेनेवाले का करेंट अकाउंट होना चाहिए. इसी तरह लोन लिमिट अगर 50 करोड़ रुपए से ऊपर होने पर लोन देने वाले बैंक में ही करेंट अकाउंट होना जरूरी है. दरअसल इसके तरह के आदेश के पीछे RBI का वह नियम है जिसमें कहा गया है कि दूसरे बैंक ऐसे लोन के लिए गारंटी नहीं दें सकेंगे. लिहाजा 5 से लेकर 50 करोड़ रुपए तक के लोन उसी बैंक में संभव है जहां करेंट अकाउंट हो. ऐसे लोन लेनेवाले को दूसरे बैकों में बस एस्क्रो अकाउंट ही खोलने की इजाजत दी गई एक सीमा आदेश क्या है थी. हालांकि इस आदेश का असर उन करेंट अकाउंट धारकों पर नहीं पड़ेगा जिनका बैंकिंग सिस्टम से लोन 5 करोड़ या उससे कम है.

रेटिंग: 4.72
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 330
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *