रुझान संकेतक

हवाई उड़ानों में कमी का रुझान
पिछले हफ्ते उससे एक हफ्ते पहले के मुकाबले कम गतिविधियां देखी गईं क्योंकि अधिक लोग घर रुझान संकेतक पर रह रहे थे। सोमवार को एक सरकारी बयान के मुताबिक कोविड-19 मामले पिछले 24 घंटे में बढ़कर 16,935 हो गए। पिछले हफ्ते यह संख्या 16,678 मामले से अधिक थी। ईद-उल-जुहा की छुट्टी की वजह से गतिविधियों में कमी देखी कई। अनाम लोकेशन डेटा का इस्तेमाल करने वाली सर्च इंजन गूगल, महामारी के दौरान लोगों की गतिविधियों पर नजर रख रही है। पिछले हफ्ते के दौरान कार्यस्थलों पर जाने वालों की तादाद में गिरावट देखी गई। खुदरा दुकानों और मनोरंजन स्थलों पर जाने वाले लोगों की तादाद में रुझान संकेतक भी कमी आई क्योंकि लोगों ने किराना और दवा की दुकानों में अनिवार्य खरीदारी की है। घर में रहने पर खर्च किए जाने वाले समय में भी बढ़ोतरी देखी गई।
उड़ानों की संख्या में भी कमी आई। मिसाल के तौर पर 17 जुलाई को करीब 340,000 यात्री थे जबकि उससे पिछले रविवार को यात्रियों की तादाद 348,000 थी। विमानों की संख्या भी कम रही।
भारतीय रेलवे ने पिछले हफ्ते सामान ढुलाई की मात्रा में 4.91 फीसदी की वृद्धि दर्ज की, हालांकि उससे पिछले हफ्ते की तुलना में यह 8.28 फीसदी कम है। उसने माल ढुलाई से होने वाली कमाई में 16.49 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है। पिछले हफ्ते के दौरान यह वृद्धि 22.56 फीसदी अधिक थी।
दिन के डेटा के मुताबिक, देश में बिजली उत्पादन की मात्रा में पिछले हफ्ते 3.2 फीसदी की गिरावट दिखी लेकिन यह 2019 के स्तर की तुलना में अधिक था। देश में बिजली उत्पादकों ने पिछले हफ्ते के दौरान रोजाना औसतन 427.6 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन किया। उससे पिछले हफ्ते रोजाना 441.8 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन हुआ था। इसकी तुलना में 2019 में समान हफ्ते के दौरान बिजली उत्पादन रोजाना 381.7 करोड़ यूनिट था।
भारतीयों ने पिछले हफ्ते के दौरान करीब 342,000 वाहनों का पंजीकरण किया। यह 2019 की समान अवधि के आंकड़े की तुलना में 7.3 फीसदी कम है। उससे पिछले हफ्ते के दौरान यह अंतर अधिक करीब 17 फीसदी के स्तर पर था।
वैश्विक लोकेशन तकनीक कंपनी टॉम टॉम इंटरनैशनल के आंकड़े दर्शाते हैं कि 18 जुलाई को सोमवार सुबह 9 बजे देश के प्रमुख महानगरों में यातायात में तेजी देखी गई। नई दिल्ली में 2019 की तुलना में इसमें पिछले से पिछले हफ्ते के 42 फीसदी की तुलना में केवल 32 फीसदी की कमी थी। मुंबई में यातायात 2019 के स्तर से 31 फीसदी नीचे था जबकि 11 जुलाई को इसमें 35 फीसदी की गिरावट देखी गई थी।
बिज़नेस स्टैंडर्ड इन संकेतकों का इस्तेमाल साप्ताहिक आधार पर अर्थव्यवस्था का जायजा लेने के लिए करता है। आधिकारिक व्यापक अर्थव्यवस्था के आंकड़े एक अंतराल के बाद जारी होते हैं। वैश्विक स्तर पर विश्लेषक समान संकेतकों पर नजर रख रहे हैं। इससे जमीनी स्तर पर कोविड-19 महामारी से जुड़े प्रतिबंध की स्थिति का अंदाजा मिलता है जिसकी शुरुआत दो साल से भी अधिक वक्त पहले हुई थी। गूगल के आंकड़े एक अंतराल के साथ जारी होते हैं। ताजा आंकड़े 13 जुलाई के हैं।
Sensex Opening Bell: घरेलू बाजार मजबूती के साथ खुला, सेंसेक्स 125 अंक चढ़ा, निफ्टी 18347 पर
Sensex Opening Bell: सेंसेक्स मंगलवार को 130 प्वाइंट चढ़कर खुला। वहीं, निफ्टी 18350 के लेवल के आसपास कारोबार करता दिखा। शुरुआती कारोबार में अपोलो टायर्स के शेयरों में पांच प्रतिशत की बढ़त जबकि यूफ्लेक्स के शेयरों में चार प्रतिशत की गिरावट दिखी।
हफ्ते के दूसरे कारोबारी दिन मंगलवार को घरेलू शेयर बाजार बढ़त के साथ खुला। इस दौरान सेंसेक्स 130 प्वाइंट चढ़कर खुला। वहीं, निफ्टी 18350 के लेवल के आसपास कारोबार करता दिखा। शुरुआती कारोबार में अपोलो टायर्स के शेयरों में पांच प्रतिशत की बढ़त जबकि यूफ्लेक्स के शेयरों में चार प्रतिशत की गिरावट दिखी।
अमेरिकी बाजार में सोमवार आई गिरावट के लिए मोटे तौर पर फेडरल रिजर्व के गवर्नर क्रिस्टोफर वालर की टिप्पणियों के लिए को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। वालर ने कहा है कि कहा कि सेंट्रल बैंक को अभी भी दर वृद्धि पर रोक लगाने से पहले कुछ दूरी तय करनी है और अक्टूबर में महंगाई दरों में आई कमी से लोगों को बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए। वहीं दूसरी ओर, डाऊ जोंस 211.16 अंकों की गिरावट के साथ 33,536.70 अंकों पर बंद हुआ। यह 0.63 अंक टूटा। वहीं एसएंडपी 500 13.68 अंकों (0.89) अंकों की गिरावट के साथ 3,957.25 अंकों पर बंद हुआ।
सिंगापुर स्थित एसजीएक्स निफ्टी फ्यूचर्स जो निफ्टी 50 का एक प्रारंभिक संकेतक है 18,431.5 पर सकारात्मक रुझान के साथ कारोबार कर रहा है। जो 54 अंक या 0.29 प्रतिशत ऊपर है। वहीं, रुपया मंगलवार की सुबह थोड़ा और मजबूत होकर सोमवार के 81.26 के स्तर की तुलना में 81.13 के लेवल पर खुला। वैश्विक बेंचमार्क डॉलर के मुकाबले हाल के अधिकांश सत्रों में रुपया मजबूत हुआ है, क्योंकि इस दौरान अमेरिकी डॉलर सूचकांक काफी कमजोर हुआ है। डॉलर रुझान संकेतक रुझान संकेतक का कमजोर होना अन्य मुद्राओं के लिए सकारात्मकता लाया है।
विस्तार
हफ्ते के दूसरे कारोबारी दिन मंगलवार को घरेलू शेयर बाजार बढ़त के साथ खुला। इस दौरान सेंसेक्स 130 प्वाइंट चढ़कर खुला। वहीं, निफ्टी 18350 के लेवल के आसपास कारोबार करता दिखा। शुरुआती कारोबार में अपोलो टायर्स के शेयरों में पांच प्रतिशत की बढ़त जबकि यूफ्लेक्स के शेयरों में चार प्रतिशत की गिरावट दिखी।
अमेरिकी बाजार में सोमवार आई गिरावट के लिए मोटे तौर पर फेडरल रिजर्व के गवर्नर क्रिस्टोफर वालर की टिप्पणियों के लिए को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। वालर ने कहा है कि कहा कि सेंट्रल बैंक को अभी भी दर वृद्धि पर रोक लगाने से पहले कुछ दूरी तय करनी है और अक्टूबर में महंगाई दरों में आई कमी से लोगों को बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए। वहीं दूसरी ओर, डाऊ जोंस 211.16 अंकों की गिरावट के साथ 33,536.70 अंकों पर बंद हुआ। यह 0.63 अंक टूटा। वहीं एसएंडपी 500 13.68 अंकों (0.89) अंकों की गिरावट के साथ 3,957.25 अंकों पर बंद हुआ।
सिंगापुर स्थित एसजीएक्स निफ्टी फ्यूचर्स जो निफ्टी 50 का एक प्रारंभिक संकेतक है 18,431.5 पर सकारात्मक रुझान के साथ कारोबार कर रहा है। जो 54 अंक या 0.29 रुझान संकेतक प्रतिशत ऊपर है। वहीं, रुपया मंगलवार की सुबह थोड़ा और मजबूत होकर सोमवार के 81.26 के स्तर की तुलना में 81.13 के लेवल पर खुला। वैश्विक बेंचमार्क डॉलर के मुकाबले हाल के अधिकांश सत्रों में रुपया मजबूत हुआ है, क्योंकि इस दौरान अमेरिकी डॉलर सूचकांक काफी कमजोर हुआ है। डॉलर का कमजोर होना अन्य मुद्राओं के लिए सकारात्मकता लाया है।
फोरेक्स ट्रेंड इंडीकेटर्स
रुझान संकेतक विदेशी मुद्रा बाजार में तकनीकी विश्लेषण कर रहे हैं, जबकि व्यापारियों के लिए मुख्य उपकरणों में से एक। कारण इसकी जड़ता के रूप में संकेतक का यह सेट अक्सर मूल्य आंदोलन की दिशा इंगित करने के लिए एक ट्रेंडिंग बाजार के दौरान प्रयोग किया जाता है .
समूह की ट्रेंड इंडीकेटर्स का सबसे औसत से गणना कर रहे हैं और मूल्य श्रृंखला चौरसाई। जबकि के रूप में एक ठंड सूचक है, कि है, प्रवृत्ति में अतीत और वर्तमान को इंगित करता है इस प्रकार है, प्रवृत्ति संकेतक की मदद से यह झूठी संकेतों का एक बहुत से बचने के लिए, और बाजार में नए रुझान के उद्भव की भविष्यवाणी संभव है .
एवरेज डायरेक्शनल इंडेक्स - ADX इंडिकेटर
ADX है एक जटिल संकेतक, जो प्लस दिशात्मक संकेतक (+ DI-ग्रीन लाइन) और शून्य से दिशात्मक संकेतक का परिकलन से परिणाम (- DI-रेड लाइन), लेकिन उन सभी को प्रवृत्ति विश्लेषण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता .
मूविंग एवरेज एस्प्लेनेड - मूविंग एवरेज क्या है
आम तौर पर चलती औसत घटता विश्लेषण निम्नलिखित सिद्धांतों में शामिल :
मूविंग एवरेज ऑफ़ ओस्किल्लातोर - (OsMa) इंडिकेटर
परबोलिक SAR - परबोलिक इंडिकेटर
जब हम मूल्य चार्ट के रूप में अच्छी तरह से इसके त्वरण कारक है जो एक साथ के साथ प्रवृत्ति . बढ़ जाती है के खिलाफ अपनी स्थिति को ध्यान में रखना चाहिए सूचक का उपयोग कर। विश्लेषण का एक लोकप्रिय उपकरण जा रहा है, के बावजूद यह सीमाएँ हैं और बार-बार बदलते बाजार की स्थितियों में गलत संकेत दे सकता है .
नए संकेतक मददगार
महामारी के दौरान बहुत से विश्लेषकों और यहां तक कि नीति निर्माताओं ने भी अर्थव्यवस्था की स्थिति की बेहतर समझ के लिए गैर-परंपरागत उच्च बारंबारता (फ्रीक्वेंसी) वाले संकेतकों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है। लंबी अवधि के आंकड़ों के अभाव को मद्देनजर रखते हुए तात्कालिक सकल घरेलू उत्पाद जैसे ज्यादा परंपरागत मापकों को दर्शाने वाले सूचकांकों का इन संकेतकों से निर्माण करना इस समय विज्ञान से ज्यादा एक कला है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मासिक बुलेटिन में हाल के एक शोध पत्र में उन चुनौतियों का जिक्र किया गया है, जिन पर पार पाने की जरूरत है। लेखकों ने लिखा है कि बुंडेसबैंक जैसे केंद्रीय बैंकों ने ऐसे सूचकांक बनाए हैं, जो अर्थव्यवस्था में तिमाही दर तिमाही बदलाव की दर मुहैया कराते हैं। निस्संदेह 2020 से भारत में बहुत से वाणिज्यिक एवं निवेश बैंकों ने भी आर्थिक गतिविधियों की फिर से शुरुआत और सुधार के संकेतक विकसित किए हैं क्योंकि देशव्यापी लॉकडाउन से उबरने की दर निवेशकों के लिए सबसे अहम हो गई थी।
लेखकों ने रेल माल ढुलाई, गूगल रुझान, श्रम बल भागीदारी दर जैसे उच्च बारंबारता वाले संकेतकों पर आधारित बहुत से अलग-अलग सूचकांकों का सुझाव दिया है। दो साल पहले आरबीआई के इसी पत्र में इन्हीं संकेतकों का इस्तेमाल कर ऐसा एक सूचकांक बनाया गया था। लेकिन दो साल के अनुभव से महामारी के शुरुआती महीनों के मुकाबले ज्यादा लक्षित और सटीक सूचकांक बनाना संभव हो सकता है। असल बात यह है कि ऐसे सूचकांक महामारी की अर्थव्यवस्था के बाद भी उपयोगी होंगे। सामान्य समय में भी भारतीय आंकड़ों में बहुत देरी होती है और ये प्रभावी उपयोग के लिए नीति निर्माताओं और निवेशकों को समय पर मुहैया नहीं कराए जाते हैं। इस वजह से पत्र में कहा गया है कि उनके द्वारा सुझाए गए सूचकांकों में इस्तेमाल बहुत से उच्च बारंबारता वाले संकेतक वही हैं, जिनका इस्तेमाल केंद्रीय सांख्यिकी संगठन राष्ट्रीय आय के अत्यधिक शुरुआती या आरंभिक अनुमानों में करता है।
इस तरह नीति निर्माण के आधार के रूप में उनके इस्तेमाल के कुछ ठोस उदाहरण मौजूद हैं। अब केवल उच्च बारंबारता वाले संकेतकों के एक बड़े और ज्यादा भरोसेमंद समूह की दरकार है। इन सूचकांकों में तकनीकी विकास की बदौलत शामिल एक उपयोगी नए उच्च बारंबारता संकेतक का उदाहरण तात्कालिक सकल निपटान प्रणाली एवं खुदरा भुगतानों के तहत हस्तांतरण की मात्रा है। डेटा संग्रह और प्रशासन का डिजिटलीकरण तेजी से रुझान संकेतक हो रहा है, इसलिए सरकार को यह मानना चाहिए कि इस डेटा को लेकर खुलापन और इसे आरबीआई तथा बड़े विश्लेषक समुदाय के साथ साझा करना भारतीय अर्थव्यवस्था को समझने एवं संभालने में बड़ा मददगार होगा। आरबीआई को स्वाभाविक रूप से यह फैसला लेने में सावधानी की जरूरत होगी कि वह अपने निर्णयों में कच्चे माल के रूप में कैसे और किन संकेतकों का इस्तेमाल करेगा।
व्यापक बाजारों के सही फैसले लेने के लिए उनकी ज्यादा से ज्यादा सूचनाओं तक पहुंच होने के सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों कारण हैं। नए तकनीकी टूल को मद्देनजर रखते हुए इस बात की पूरी उम्मीद है कि भारतीय आर्थिक विश्लेषण में एक बड़ी कमी (आधिकारिक आंकड़े जारी करने में देरी के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था की सही स्थिति का पता नहीं चल पाना) को बड़ी तादाद में उच्च बारंबारता वाले संकेतकों रुझान संकेतक का इस्तेमाल कर दूर किया जा सकता है। आरबीआई किसी भी समय की तात्कालिक अर्थव्यवस्था की बेहतर समझ में संकेतकों एवं सूचकांकों के नए समूहों का इस्तेमाल कर सकता है, जबकि आधिकारिक सांख्यिकी प्रणाली भी डेटा संग्रह के दायरे को बढ़ाने और उन्हें जारी करने में देरी कम करने में इस्तेमाल कर सकती है।
प्रमुख संकेतक अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार का संकेत दे रहे हैं: भानुमूर्ति
नयी दिल्ली, 26 सितंबर (भाषा) रुझान संकेतक जानेमाने अर्थशास्त्री एन आर भानुमूर्ति ने रविवार को कहा कि प्रमुख संकेतक बता रहे हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था सुधार के रास्ते पर है और स्पष्ट रूप से कोविड-19 महामारी के बाद संकट के बादल छंटने लगे हैं। बी आर अंबेडकर स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स (बीएएसई) के कुलपति भानुमूर्ति ने आगे कहा कि आर्थिक सुधार की सीमा के लिहाज से महामारी से पहले के स्तर पर वापस आने में एक रुझान संकेतक और साल लग सकता है। उन्होंने पीटीआई-भाषा को एक साक्षात्कार में बताया, ‘‘कुछ प्रमुख संकेतकों के हालिया रुझानों के अनुसार स्पष्ट रूप से सकारात्मक संकेत हैं और भारतीय
बी आर अंबेडकर स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स (बीएएसई) के कुलपति भानुमूर्ति ने आगे कहा कि आर्थिक सुधार की सीमा के लिहाज से महामारी से पहले के स्तर पर वापस आने में एक और साल लग सकता है।
उन्होंने पीटीआई-भाषा को एक साक्षात्कार में बताया, ‘‘कुछ प्रमुख संकेतकों के हालिया रुझानों के अनुसार स्पष्ट रूप से सकारात्मक संकेत हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था महामारी के बाद संकट के बादलों से बाहर निकल रही है।’’
भानुमूर्ति ने बताया कि एक प्रमुख संकेतक जिस पर विचार किया जा सकता है, वह है मजबूत सरकारी राजस्व संग्रह। यह बजट अनुमान से अधिक है, जो वृद्धि में सुधार की उम्मीद जगाता है।
प्रख्यात अर्थशास्त्री के अनुसार भारत में आर्थिक सुधार का आधार व्यापक है, हालांकि सेवा क्षेत्र के कुछ घटक अभी भी आपूर्ति-पक्ष के व्यवधानों का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन यह स्थिति महामारी की दूसरी लहर के कारण भी हो सकती है, जिसने आर्थिक सुधार को बाधित किया।’’
भारत इस साल दुनिया में सबसे तेज वृद्धि दर हासिल करने की राह पर है।
यह पूछे जाने पर कि क्या उच्च खुदरा और थोक मुद्रास्फीति चिंता का विषय है, उन्होंने कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति दोनों के हाल के रुझान अलग-अलग हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि मौद्रिक समिति मुद्रास्फीति के दबाव को कम करने के लिए जरूरी कार्रवाई करेगी।
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