विश्व वित्तीय बाजार

कार्यपालक का नाम - श्री सरोज कुमार दास
उप महाप्रबंधक, ट्रेजरी (फ्रंट ऑफिस - घरेलू और विदेशी मुद्रा)
विश्व वित्तीय बाजार
एकीकृत कोषागार :
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के पास अत्याधुनिक ट्रेजरी है, जो नरीमन पॉइंट, मुंबई में बैंक के केंद्रीय कार्यालय भवन की तीसरी मंजिल से संचालित होती है। नवीनतम ट्रेजरी प्रबंधन अवधारणा के अनुरूप, बैंक ने अपने ट्रेजरी संचालन को पूरी तरह से एकीकृत कर दिया है और ट्रेजरी अपने वर्तमान स्वरूप में सभी वित्तीय बाजारों जैसे मुद्रा बाजार, ऋण बाजार, पूंजी बाजार, विदेशी मुद्रा बाजार और डेरिवेटिव बाजार में एक साथ काम करता है। ट्रेजरी एक उन्नत सॉफ्टवेयर सिस्टम से लैस है, जो नवीनतम सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों से भरपूर है और प्रशिक्षित, अनुभवी और समर्पित अधिकारियों की एक चुनिंदा टीम द्वारा संचालित है।
घरेलू संचालन
एकीकृत कोषागार में घरेलू परिचालन का मुख्य उद्देश्य चलनिधि प्रबंधन है अर्थात पर्याप्त तरलता सुनिश्चित करने के लिए अल्पावधि और दीर्घकालिक दोनों उद्देश्यों में निधियों का इष्टतम परिनियोजन। निधियों और तरलता के प्रबंधन से संबंधित गतिविधियों के अलावा, ट्रेजरी की घरेलू शाखा वित्तीय विलेख को भी संभालती है जैसे कि:
विश्व वित्तीय बाजार
पिछले सप्ताह जब दुनिया के शीर्ष नेता वॉशिंगटन में विश्व बैंक और अंतरराष्टï्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की बैठकों के लिए जुटे तो उनका स्वागत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के समक्ष आसन्न संकटों ने किया। अमेरिका में आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है लेकिन वहां राजनीतिक मतभेदों ने रंग में भंग डाल रखा है। इसकी भारी आर्थिक कीमत चुकानी पड़ सकती है। यूरोप में अत्यंत धीमी गति विश्व वित्तीय बाजार से सुधार का क्रम चालू है जबकि जापान में प्रधानमंत्री शिंजो अबे का अर्थशास्त्र काम करता नजर आ रहा है।
बहरहाल, उन नेताओं के समक्ष उभरते बाजारों की स्थिति के बारे में बेहतर तस्वीर होगी। अच्छे दिन अब शेष नहीं नजर आ रहे। इन उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों के विकास संबंधी पूर्वानुमानों को लेकर जो आशंकाएं नजर आ रही हैं, वे दरअसल उस अनुकूल बाहरी माहौल के प्रतिकूल हो जाने की वजह से पैदा हुई हैं जिनका लाभ उन्होंने पिछले पूरे दशक के दौरान उठाया था। जिंसों की ऊंची कीमतें तथा सस्ती पूंजी उसका उदाहरण है। लेकिन इस धुंधलके के बारे में कोई स्पष्टï राय होने की बात भी भ्रामक है क्योंकि मध्यम अवधि के दौरान उभरते बाजारों के विकास को गलत समझा गया है।
अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने से विश्व अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों को एक और झटके का सामना करना पड़ेगा
बीजिंग: पिछले हफ्ते अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर बढ़ाने और जून माह से बैलेंस शीट को सिकुड़ने की घोषणा की, जिसका मकसद आक्रामक मुद्रा सिकुड़न नीति से मुद्रास्फीती का मुकाबला करना है। इसने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में व्यापक चिंता पैदा की है कि इसके परिणामस्वरूप विश्व अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों को एक और झटके का सामना करना पड़ेगा।
अमेरीका सदैव यूएस डॉलर के आधिपत्य के सहारे संकट को दुनिया में स्थानांतरित करता रहा है। पहला, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर बढ़ाने से यूएस डॉलर के आकर्षण को उन्नत किया और नवोदित बाजार की पूंजी के बाहर जाने और मुद्रा के अवमूल्य होने के खतरे को बढ़ाया। दूसरा, यूएस डॉलर में मूल्य वृद्धि से अन्य मुद्रा अवमूल्य होगी, जिससे दूसरे देशों की खरीदारी शक्ति को कम भी किया जा सकेगा और विकासमान आर्थिक इकाइयों की कठिन आर्थिक पुनरुत्थान प्रक्रिया को बर्बाद किया जाएगा।
विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली के बीच शेयर बाजार को घरेलू निवेशकों ने दी विश्व वित्तीय बाजार राहत
Updated: June 20, 2022 9:09 AM IST
Share Market News: गत आठ माह से विदेशी संस्थागत निवेशक (विश्व वित्तीय बाजार FII) लगातार बिकवाल बने हुए हैं, ऐसे में गत 15 माह से लगातार लिवाली करने वाले घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) से शेयर बाजार राहत की सांस ले पा रहा है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के मुताबिक एफआईआई ने मई में बाजार से 4.9 अरब डॉलर की पूंजी निकाली जबकि डीआईआई ने 6.1 अरब डॉलर का निवेश किया.
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एफआईआई ने गत एक साल में कुल 25 अरब डॉलर की पूंजी निकासी की है. एफआईआई की बिकवाली का यह दौर वैश्विक वित्तीय संकट के बाद का सबसे बड़ा दौर रहा है.
निफ्टी मई में माह दर माह आधार पर तीन प्रतिशत लुढ़ककर 16,585 अंक पर आ गया. यह गिरावट का लगातार दूसरा माह और मार्च 2020 के बाद तीसरा बड़ी मासिक गिरावट थी.
मई में भारतीय बाजार गिरावट झेलने वाले बाजारों में शामिल रहा. भारतीय बाजार तीन फीसदी, रूस सात फीसदी और इंडोनेशिया एक फीसदी लुढ़का. दूसरी तरफ चीन में पांच प्रतिशत, ब्राजील तीन प्रतिशत, जापान दो प्रतिशत और ताइवान तथा ब्रिटेन एक-एक प्रतिशत उछला. गत 12 माह के दौरान एमएससीआई इंडिया सात प्रतिशत की विश्व वित्तीय बाजार तेजी में रहा जबकि एमएससीआई ईएम 22 प्रतिशत की गिरावट में रहा.
क्षेत्रवार वाहन पांच प्रतिशत और कंज्यूमर एक प्रतिशत की तेजी में रहा. दूसरी तरफ धातु 16 प्रतिशत, यूटिलिटीज 11 प्रतिशत, तेल एवं गैस 10 प्रतिशत और रियल एस्टेट सात प्रतिशत की गिरावट में रहा.
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निफ्टी मई में माह दर माह आधार पर तीन प्रतिशत लुढ़ककर 16,585 अंक पर आ गया. यह गिरावट का लगातार दूसरा माह और मार्च 2020 के बाद तीसरा बड़ी मासिक गिरावट थी.
मई में भारतीय बाजार गिरावट झेलने वाले बाजारों में शामिल रहा. भारतीय बाजार तीन फीसदी, रूस सात फीसदी और इंडोनेशिया एक फीसदी लुढ़का. दूसरी तरफ चीन में पांच प्रतिशत, ब्राजील तीन प्रतिशत, जापान दो प्रतिशत और ताइवान तथा ब्रिटेन एक-एक प्रतिशत उछला. गत 12 माह के दौरान एमएससीआई इंडिया सात प्रतिशत की तेजी में रहा जबकि एमएससीआई ईएम 22 प्रतिशत की गिरावट में रहा.
क्षेत्रवार वाहन पांच प्रतिशत और कंज्यूमर एक प्रतिशत की तेजी में रहा. दूसरी तरफ धातु 16 प्रतिशत, यूटिलिटीज 11 प्रतिशत, तेल एवं गैस 10 प्रतिशत और रियल एस्टेट सात प्रतिशत की गिरावट में रहा.