व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा

व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा
November 3, 2015
लोक शिक्षक मंच द्वारा एक से पन्द्रह नवम्बर तक WTO में शिक्षा को शामिल करने के प्रस्ताव के खिलाफ अभियान का पर्चा
हमने देखा है पहली कक्षा में बच्चों को उत्साह से स्कूल में दाखिला लेते हुए
हमने देखा है उन्हें कभी आठवीं कभी दसवीं कभी ग्यारहवीं में स्कूल पूरा ना कर पाते हुए
हमने उन्हें बारहवीं के बाद कॉलेज में दाखिले के लिए भागते-दौड़ते भी देखा है
कॉलेज के दरवाजे बंद देखकर अनियमित शिक्षा के अवसर समेटते भी देखा है
हमने व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा छोटी-छोटी नौकरियों के लिए उन्हें भटकते देखा है
हर नौकरी में अपनी मेहनत को कम दाम पर बेचते देखा है…….
दिसंबर 2015 में भारत सरकार द्वारा WTO के साथ कुछ ऐसे प्रस्तावों को अंतिम रूप देने की संभावना है जिनके तहत भारत की उच्च शिक्षा में दूरगामी व खतरनाक बदलाव होंगे| ये प्रस्ताव UPA सरकार ने 2005 में ही WTO के सामने रख दिए थे| NDA सरकार उन्हीं प्रस्तावों को आगे बढ़ाने में लगी है| अगर WTO के व्यापार सम्बन्धी नियम भारत की उच्च शिक्षा में लागू हो गये तो ये शिक्षा को पूरी तरह से बाजार की वस्तु बना देंगे।
कल हमारे स्कूलों और कॉलेजों में जो चुनौतियां दस्तक देने वाली हैं, यह उसी खतरे की घंटी है|
विश्व व्यापार संगठन (WTO) क्या है?
WTO एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था है जिसकी स्थापना 1995 में हुई थी । इसका मुख्यालय स्विट्ज़रलैंड में है। भारत को मिलाकर दुनिया के 161 देश इसके सदस्य हैं। यह सदस्य देशों के बीच विश्व व्यापार के लिए नियम-कानून तय करती है। यह नए व्यापार समझौते तैयार करने और उन्हें लागू करने का काम करती है। इसके दायरे में खेती, पेयजल, स्वास्थ्य, राशन आदि भी आते हैं। कहने को सभी सदस्य देश बराबर अधिकार रखते हैं मगर इसमें अमीर देशों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों का ही दबदबा रहता है।
अगर भारत सरकार ने दिसम्बर में होने वाली WTO की बैठक में अपने शिक्षा के प्रस्तावों को अमली जामा पहना दिया तो –
* इन देशों के कॉरपोरेट घराने या अन्य शिक्षा व्यापारी यहाँ कॉलेज, विश्वविद्यालय, अन्य तकनीकी एवं पेशेवर संस्थाएं खोल सकेंगे। विदेशी कंपनियों द्वारा जो कॉलेज व विश्वविद्यालय यहाँ खोले जाएँगे उन्हें व्यावसायिक मुनाफ़ा कमाने की पूरी छूट होगी| मतलब वे यहाँ शिक्षा संस्थानों के नाम पर दुकानें खोलेंगे जिनमें शिक्षा भी वैसे ही बिकेगी जैसे दुकानों में महंगे कपड़े बिकते हैं| आओ और अपनी औकात के हिसाब से खरीद लो और अगर नहीं खरीद सकते तो चलते बनो| ग़रीब, अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक, विकलांग और हाशिये पर धकेल दिए गए अन्य समूह इन संस्थानों में नहीं पहुँच पाएँगे, क्योंकि फीस, वजीफा, दाखिला व अन्य सुविधाओं में संविधान के सामाजिक न्याय के उसूल लागू नहीं होंगे। भारत के सभी शैक्षिक संस्थान WTO के नियमों के अधीन होंगे और किसी भी शिकायत के लिए भारत की संसद व अदालत को दखल देने तक का अधिकार नहीं होगा। मतलब देश के ज़्यादातर बच्चों के लिए ये कॉलेज वैसे ही सपनों की तरह होंगे जैसे आज मुट्ठीभर महंगे इंटरनेशनल स्कूल हैं|
* दरअसल निजी कॉलेजों का असर सरकारी कॉलेजों पर यूँ पड़ेगा कि उनको मिलने वाले पैसे/अनुदान धीरे-धीरे कम कर दिए जाएंगे और यूनिवर्सिटी अपना खर्चा विद्यार्थियों की फीसें बढ़ाकर पूरा करेंगी| साम्राज्यवादी ताक़तें WTO द्वारा भारत पर यह दबाव बनाएँगी कि सरकारी संस्थानों को मिलने वाली सब्सिडी कम हो ताकि उनकी शिक्षा का धंधा फल–फूल सके। जब तक सरकारी कॉलेज महंगे या बर्बाद नहीं कर दिए जाएंगे तब तक इन निजी कॉलेजों की दुकान कैसे चलेगी? अभी हाल ही में UGC ने गैर-NET स्कालरशिप को बंद करने का निर्णय लेकर इसी दबाव का प्रमाण दिया है| साथ ही विज्ञान के शोध-संस्थानों को दिये जाने वाले फंड में कटौती करने और उन्हें स्वयं फंड जुगाड़ने के लिए कंपनियों की जरूरतों के हिसाब से काम करने के आदेश सरकार जारी कर चुकी है। सरकार शिक्षा से हाथ खींचकर WTO में जाने के पूर्व संकेत दे रही है।
* इन संस्थानों में पढ़ने के लिए कर्जा लेना पड़ेगा। इसका मतलब है कि शिक्षा पर हमारे बच्चों का न हक़ होगा और न ही वह सरकारों की ज़िम्मेदारी रह जाएगी। कर्ज़ लेकर शिक्षा पाना कोई समाधान नहीं है। दुनियाभर में विद्यार्थी व उनके परिवार कर्ज़ के जाल में फंसते जा रहे हैं| हमारे देश में लाखों किसानों की आत्महत्यायें भी कर्ज़ के इस घिनौने जाल का सबूत हैं। दूसरी तरफ जो महंगी फीस और भारी कर्ज़ लेकर शिक्षा हासिल कर भी पाएगा उससे हम समाज के व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा प्रति किस वफादारी की उम्मीद रख सकते हैं?
* WTO के हस्तक्षेप से शिक्षा के चरित्र में भी ज़बरदस्त बदलाव होंगे| WTO की माँग के अनुसार अपने शिक्षा संस्थानों को व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा ढालने का मतलब होगा पूंजीवादी हितों के हिसाब से पाठ्यक्रम, शिक्षण व मूल्यांकन को बनाना| WTO पूंजीपतियों का एजेंट है और वह उन्हीं विषयों और रिसर्च को समर्थन देगा जिससे उन्हें अधिक से अधिक मुनाफा होगा। साहित्य, कला, दर्शन, समाजशास्त्र जैसे विषयों की जगह, जिनमें समाज के प्रति समझ, संवेदना व संघर्षशीलता विकसित करने की संभावना होती है, समाज से विमुख करने वाले विषयों का ज्ञान महत्वपूर्ण हो जाएगा| बाजार को व्यक्तित्व के पूर्ण विकास से कोई सरोकार नहीं है बल्कि बाजार केवल उन कौशलों को विकसित करने की ज़रूरत समझता है जो मजदूर को मशीन में बदलकर पूँजीपतियों के लिए अधिक से अधिक मुनाफा कमा कर दे सकें। देखा जाए तो शिक्षा का चरित्र ही नहीं शिक्षा का पूरा व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा उद्देश्य ही बदल जाएगा|
हमें क्या करना होगा?
एक बार WTO के साथ करार हो जाएगा तो भारत की शिक्षा नीति भारत की जनता से ज्यादा WTO को जवाबदेह होगी| हम बहुत सी चीज़ों के लिए बाध्य हो जाएँगे । यह देश की जनता की स्वायत्तता पर सीधा हमला है और ग़ुलामी का नया रूप है| यूरोपियन यूनियन व अफ्रीकन यूनियन के साथ बहुत से देश WTO को शिक्षा बेचने से पहले ही मना कर चुके हैं| हमें भी पूरी ताकत के साथ भारत सरकार को दिसंबर में यह गठबंधन करने से रोकना होगा और इसके खिलाफ देश भर में चल रहे संघर्षों के साथ खड़ा होना होगा|
लोक शिक्षक मंच आपसे आह्वान करता है कि
· WTO के खिलाफ देशभर में चल रही मुहिम से जुड़ें ।
· शिक्षा को खरीदने-बेचने का सामान बनाने का विरोध करें ।
· भारत सरकार से माँग करें कि WTO को दिए प्रस्ताव को वापिस ले ।
महंगाई-बेरोजगारी से मुक्ति, व्यापारियों को सुरक्षा, अपराधियों को सजा, बोले केजरीवाल- BJP से आगे AAP
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हमारे जो ऐलान हैं, इसकी वजह से खासकर बहुत बड़ी संख्या में युवा और महिलाएं आम आदमी पार्टी के साथ हैं. हमारे सारे सर्वे दिखा रहे हैं कि हम बीजेपी से बहुत आगे निकल गए हैं.
गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पूरी ताकत झोंक दी है. अरविंद केजरीवाल ने सोमवार के सूरत में जनता से सिर्फ आप को वोट करने की अपील करते हुए कहा कि केवल आम आदमी पार्टी ही आपको महंगाई और बेरोजगारी से मुक्ति दिलाएगी. आप की सरकार फ्री बिजली, विश्वस्तरीय शिक्षा-स्वास्थ्य और हर महिला को एक हजार रुपए महीना देगी, इससे आपको महंगाई से मुक्ति मिलेगी. पेपर लीक से मुक्ति और इसके सभी मामलों की जांच कराकर पेपर बेचने वालों को 10-10 साल की सजा दिलाएंगे. साथ ही, एक साल में सारी सरकारी भर्तियां पूरी कराएंगे और तीन हजार रुपए महीना बेरोजगारी भत्ता देंगे.
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि गुजरात की पूरी जनता इसलिए आप को वोट दे रही है, क्योंकि पूरे देश में पहली बार कोई पार्टी आई है, जो कह रही है कि हम आपको महंगाई से छुटकारा दिला देंगे. उन्होंने महिलाओं और युवाओं से कहा कि आप लोग तो हमारे साथ हैं, लेकिन इस बार आप अपने परिवार के सभी सदस्यों को भी आप को वोट देने के लिए तैयार करिए. वहीं, व्यापारियों से कहा कि आपने पैसा तो कमा लिया, लेकिन इज्जत नहीं मिली, तो क्या फायदा? हम आपको मान-सम्मान देंगे और आप बिना डर के अपना काम कर पाएंगे. हमारे सारे सर्वे दिखा रहे हैं कि हम बीजेपी से बहुत आगे निकल गए हैं. अब हमारे बीच कोई मुकाबला नहीं बचा है. इस बार गुजरात की जनता जमकर “आप” को वोट देने जा व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा रही है.
व्यापारियों ने दिया समर्थन का भरोसा
अरविंद केजरीवाल ने गुजरात के सूरत में प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि हमने गुजरात के अलग-अलग शहरों में जाकर व्यापारियों के साथ बैठक की है. सब जगह एक ही चीज निकल कर आ रही है कि गुजरात में व्यापारियों को जबरदस्त तरीके से धमकाया जाता है, उनके साथ गुंडागर्दी की जाती है, उनका अपमान किया जाता है. इस तरह से व्यापारी कैसे व्यापार कर पाएगा. यह चुनाव बदलाव का चुनाव है. सभी व्यापारियों ने हमें अपने समर्थन का भरोसा दिया है. व्यापारी खुल कर हमारे साथ नहीं आ सकते, यह उनकी मजबूरी है. लेकिन अंदरखाने एक-एक व्यापारी इस बार आम आदमी पार्टी को वोट देने वाला है.
व्यापारियों को सम्मान देगी AAP
दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने कहा कि मेरी सभी व्यापारियों से अपील भी है कि आपने पैसा तो कमा लिया, लेकिन आपको इज्जत नहीं मिली, तो क्या फायदा हुआ? अगर इनका एक छोटा सा कार्यकर्ता भी आपको फोन करके गाली-गलौज कर सकता है, आपको धमकी दे सकता है, आपके साथ गुंडागर्दी कर सकता है, तो ऐसी जिंदगी से क्या फायदा है? यह आपके पास मौका है कि आप सारा सिस्टम उखाड़ कर फेंक दो. गुजरात में आम आदमी पार्टी की सरकार आएगी, तो आपको पैसा कमाने का भी मौका होगा, हम सारे सरकारी सिस्टम को ठीक करेंगे और आपको सम्मान भी देंगे.
महिलाएं आम आदमी पार्टी के साथ
सीएम केजरीवाल ने कहा कि इस बार गुजरात की सभी महिलाएं व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा आम आदमी पार्टी को वोट दे रही हैं, क्योंकि पूरे देश के अंदर पहली बार कोई पार्टी आई है, जो कह रही है कि हम आपको महंगाई से छुटकारा दिला देंगे. देशभर में इतनी ज्यादा महंगाई हो गई है और महंगाई की मार सबसे ज्यादा महिलाओं को ही झेलनी पड़ती है, क्योंकि उनको घर चलाना पड़ता है. महीने के 15 से 20 दिन में पैसे खत्म हो जाते हैं. उसके बाद उनको समझ नहीं आता है कि घर का खर्चा कैसे चलाएं?
एक मार्च से बिजली का बिल जीरो
आम आदमी पार्टी ने जो गारंटी दी है कि एक मार्च से आपके बिजली का बिल जीरो कर देंगे, इसका महिलाओं के अंदर बहुत ज्यादा समर्थन है. इससे महिलाएं बहुत ज्यादा खुश है कि हर परिवार के अंदर दो तीन हजार रुपए बच जाएंगे. हमने यह ऐलान किया है कि हर महिला के खाते में एक-एक हजार रुपए महीना डालेंगे. महिलाओं को लगता है कि इससे उन्हें महंगाई से थोड़ी राहत मिलेगी. हमने ऐलान किया है कि गुजरात के अंदर हम प्राइवेट स्कूलों की फीस नहीं बढ़ने देंगे. दिल्ली में हमने पिछले 7 साल से प्राइवेट स्कूलों की फीस नहीं बढ़ने दी है.
प्राइवेट स्कूल फीस नहीं बढ़ा पाएगा: केजरीवाल
दिल्ली में प्राइवेट स्कूल वालों ने जितनी गुंडागर्दी मचा रखी थी, हमने उसको खत्म कर दी है. गुजरात में भी आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद कोई भी प्राइवेट स्कूल अगले 5 साल तक फीस नहीं बढ़ा पाएगा और अच्छी शिक्षा की व्यवस्था करेंगे. इससे भी परिवारों को महंगाई से मुक्ति मिलेगी. हम सभी परिवारों का सारा इलाज मुफ्त में करेंगे. इससे आपके घर का खर्चा बचेगा. पूरे देश में अकेली आम आदमी पार्टी ही एक ऐसी पार्टी है, जो आपको महंगाई से मुक्ति दिला सकती है.
युवाओं को बेरोजगारी से मुक्ति
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आप ही बेरोजगारी से मुक्ति व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा दिला सकती है. इसी वजह से गुजरात के ढेरों युवा आम आदमी पार्टी के साथ जुड़ते जा रहे हैं. हमने युवाओं से कहा है कि गुजरात के अंदर जो पेपर लीक होते हैं, इससे आपको मुक्ति दिलाएंगे. पिछले कुछ सालों में गुजरात में पेपर लीक होने के 12 केस हुए हैं, उन सभी केसों की जांच की जाएगी और इसमें लिप्त लोगों को 10-10 साल की सजा दिलाई जाएगी. अगले एक साल के अंदर सारी सरकारी नौकरियों की भर्ती पूरी कर दी जाएगी और एक भी पेपर लीक नहीं होने देंगे. हम बेरोजगारों के लिए रोजगार का इंतजाम करेंगे और जब तक उनको रोजगार नहीं मिल जाता है, तब तक तीन तीन हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा.
फ्लिपकार्ट डील पर Walmart ने कहा, व्यापारियों और किसानों को होगा फायदा
फ्लिपकार्ट और वॉलमार्ट के बीच 16 अरब डॉलर में डील हुई. वॉलमार्ट ने भारतीय कंपनी में 77 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है.
5
5
5
5
नई दिल्ली : अमेरिका की रिटेल कंपनी वॉलमार्ट ने पिछले महीने भारतीय फ्लिपकार्ट में बड़ी हिस्सेदारी खरीदी थी. फ्लिपकार्ट और वॉलमार्ट के बीच 16 अरब डॉलर (1 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा) में यह डील हुई. वॉलमार्ट ने भारतीय कंपनी में 77 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है. फ्लिपकार्ट में हिस्सेदारी रखने वाले जापानी ग्रुप सॉफ्टबैंक के सीईओ मासायोशी सोन ने भी इसकी पुष्टी की. वॉलमार्ट का दावा है कि उनकी इस डील से भारत के खुदरा व्यापारियों और किसानों को फायदा होगा और उनके लिए व्यापार के नए अवसर खुलेंगे.
वॉलमार्ट ने इस सौदे से खुदरा व्यापारियों के व्यापार पर किसी तरह के प्रभाव से इनकार किया है. वॉलमार्ट ने जारी एक बयान में कहा है कि भारत में हमारे बी-2बी व्यवसाय के माध्यम से हम न केवल छोटे किराना व्यापारियों के सफल होने का समर्थन कर रहे हैं बल्कि उन्हें आधुनिक बनाने में भी मदद कर रहे हैं.
वॉलमार्ट की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि सरकार की एफडीआई नीति मार्केटप्लेस ई-कॉमर्स मॉडल के तहत 100% एफडीआई की अनुमति देता है, फ्लिपकार्ट के साथ हमारी साझेदारी हजारों स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं और निर्माताओं को बाजार मॉडल के माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहुंच प्रदान करेगी. यह साझेदारी इस मंच के माध्यम से बाजार तक पहुंच प्राप्त करने और भारत में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए देश के किसानों के एसएमई आपूर्तिकर्ताओं का समर्थन करेगी.
कंपनी का मानना है कि फ्लिपकार्ट और वॉलमार्ट की संयुक्त क्षमताओं से भारत का अग्रणी ई-कॉमर्स मंच तैयार होगा. इससे छोटे आपूर्तिकर्ताओं, किसानों और महिलाओं के उद्यमियों के लिए नई कुशल नौकरियां और नए अवसर पैदा करते समय ग्राहकों के लिए गुणवत्ता, किफायती सामान प्रदान करके भारत को फायदा होगा.
उधर, वॉलमार्ट की इस डील को लेकर दिल्ली के कुछ व्यापारियों ने सोमवार को विरोध-प्रदर्शन किया. अखिल भारतीय व्यापारी संघ (सीएआईटी) के बैनर तले प्रदर्शन कर रहे व्यापारियों ने इस सौदे की निंदा की और कहा कि इससे बाजार में अनुचित प्रतिस्पर्धा पैदा होगी. व्यापारियों ने सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है. उन्होंने यह भी कहा कि ई-कॉमर्स को नियमित करने वाली एक संस्था को भी स्थापित किया जाना चाहिए.
सीएआईटी के महासचिव प्रवीण व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा खंडेलवाल ने बताया कि इस सौदे से अनुचित प्रतिस्पर्धा पैदा होगी और साथ ही साथ बाजार में असमानता, हिंसक मूल्य निर्धारण, ज्यादा छूट और वित्त पोषण का नुकसान भी झेलना पड़ेगा.
प्रवीण खंडेलवाल ने बताया कि सोमवार को देशभर में इसी तरह से करीब एक हजार जगहों पर धरना-प्रदर्शन किए गए, जिसमें 10 लाख ऑफलाइन और ऑनलाइन व्यापारियों ने हिस्सा लिया है. सीएआईटी ने एक बयान में कहा कि दिल्ली के करोल बाग में धरना-प्रदर्शन किया गया, तथा इसके अलावा मुंबई, नागपुर, पुणे, सूरत, अहमदाबाद, भोपाल, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, पुडुचेरी, रायपुर, राउरकेला, रांची, कोलकाता, लखनऊ, कानपुर और अन्य शहरों में भी व्यापरियों ने प्रदर्शन किया.
बिहार में समर्थन मूल्य से अधिक कीमत पर व्यापारी खरीद रहे गेहूं, प्रदेश में अब व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा तक नाममात्र की हुई खरीदारी
देश की कुछ बड़ी निर्यातक कंपनियों ने गेहूं खरीद करने के लिए स्थानीय व्यापारियों को वित्तीय मदद भी दी है. दरअसल रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया में गेहूं की कमी है. इस कमी को पूरा करने के लिए निर्यातक पूरी ताकत लगा कर गेहूं खरीद करवा रहे हैं.
बिहार में संभवत: पहली व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा बार स्थानीय बाजार में गेहूं के दाम घोषित समर्थन मूल्य 2015रुपये से अधिक हैं. खरीद के लिए स्थानीय व्यापारी किसान के दरवाजे पर पहुंच रहे हैं. देश की कुछ बड़ी निर्यातक कंपनियों ने गेहूं खरीद करने के लिए स्थानीय व्यापारियों को वित्तीय मदद भी दी है. दरअसल रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से दुनिया में गेहूं की कमी है. इस कमी को पूरा करने के लिए निर्यातक पूरी ताकत लगा कर गेहूं खरीद करवा रहे हैं. व्यापारियों से अच्छी दर मिलने की वजह से 20 अप्रैल से शुरू हुई खरीद में समर्थन मूल्य पर किसानों ने अभी तक करीब दो हजार टन गेहूं बेचा है.
जानें अभी तक की खरीदारी
10 लाख टन के लक्ष्य के विरुद्ध यह खरीदी नगण्य है. पिछले सीजन में करीब साढ़े चार लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी. प्रभात खबर की फील्ड रिपोर्ट के मुताबिक गया जिले में कुल खरीद लक्ष्य 37 हजार टन के विरुद्ध अब तक केवल 105 टन खरीद की गयी है. यहां व्यापारी दर दो हजार से 2200 रुपये प्रति क्विंटल है. औरंगाबाद अभी तक केवल 250 क्विंटल खरीद हुई है. यहां गेहूं का बाजार मूल्य 2070 से 2150 रुपये प्रति क्विंटल है. मोतिहारी में बाहर के व्यापारी किसान से प्रति क्विंटल 2050 पर खरीद कर रहे हैं. कमोबेश यही स्थिति अन्य जिलों में है. सीतामढ़ी में जरूर 1950 रुपये में खरीद हुई है.
मुख्य बातें
गुलाबबाग मंडी (पूर्णिया ) में गेहूं का बाजार मूल्य 22 से 24 सौ रुपये और भागलपुर मंडी में 21 से 23 सौ रुपये है.
तीन मई तक गेहूं खरीद का एक्चुअल डाटा 1815 टन है.
तीन मई तक 339 किसानों ने अपना गेहूं समर्थन मूल्य पर बेचा है.
बिहार में शारीरिक शिक्षक नियुक्ति के लिए मैट्रिक पास भी होंगे पात्र, शिक्षा विभाग ने जारी किया आदेश
गेहूं निर्यात में भारत के लिए अवसर
यूएन के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ)की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के टॉप फाइव गेहूं निर्यातक देशों में रूस 37.3 लाख टन निर्यात करके पहले और 18.1 मिलियन टन निर्यात कर यूक्रेन पांच वे स्थान पर है. चूंकि दोनों देश युद्धग्रस्त हैं. इसलिए उनका निर्यात ठप है. इससे गेहूं की कमी हो गयी है. भारत इसका फायदा उठा कर गेहूं का बड़ा निर्यातक बनने की ओर है.
अब तक समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद उल्लेखनीय नहीं हो सकी है. दरअसल किसान को गेहूं का बाजार मूल्य समर्थन मूल्य से अधिक मिल रहा है. बाजार में गेहूं का बाजार मूल्य अधिक होने की सबसे बड़ी वजह रूस और यूक्रेन का युद्ध है. - विनय कुमार, सचिव ,खाद्य संरक्षण एवं आपूर्ति विभाग
Prabhat व्यापारियों के लिए समर्थन और शिक्षा Khabar App :
देश, दुनिया, बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस अपडेट, टेक & ऑटो, क्रिकेट और राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए