निवेश रणनीति

नवोन्मेषी कूलिंग प्रौद्योगिकियों के लिए भारत में 2040 तक 1,600 अरब डॉलर के निवेश अवसरः रिपोर्ट
नयी दिल्ली, 30 नवंबर (भाषा) तापमान में लगातार हो रही वृद्धि के बीच स्थानों को ठंडा रखने वाले विकल्पों और ऊर्जा की बचत करने वाली नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों के लिए देश में वर्ष 2040 तक 1,600 अरब डॉलर के निवेश अवसर और 37 लाख रोजगार पैदा हो सकते हैं। विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में यह अनुमान जताया गया।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर वर्ष 13 अरब डॉलर की खाद्य वस्तुएं खराब हो जाती हैं क्योंकि ताजी पैदा होने वाली खाद्य वस्तुओं में से केवल चार फीसदी के लिए ही कोल्ड चेन सुविधा उपलब्ध है।
इसके अलावा, दुनिया के तीसरा सबसे बड़े दवा विनिर्माता भारत में कोविड-19 का प्रकोप शुरू होने से पहले करीब 20 फीसदी ऐसे दवा उत्पाद बेकार हो गए जिन्हें विशेष तापमान पर रखने की जरूरत थी। वहीं 25 फीसदी टीकों के भी खराब हो जाने से देश को एक साल में 31.3 करोड़ डॉलर का नुकसान उठाना पड़ा।
‘भारत के कूलिंग क्षेत्र में जलवायु निवेश अवसर’ शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट निवेश रणनीति में कहा गया है कि वर्ष 2037 तक ठंडा करने वाले उत्पादों की मांग मौजूदा स्तर से आठ गुना अधिक होगी। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘इसका मतलब है कि हर 15 सेकेंड में नए एयर कंडीश्नर की मांग आएगी जिससे अगले दो दशक में ग्रीनहाउस गैसों का सालाना उत्सर्जन 435 फीसदी तक बढ़ सकता है।’’
इस रिपोर्ट के मुताबिक, ठंडा रखने में सक्षम परिवहन में निवेश करने से खाने-पीने की वस्तुओं में 76 फीसदी को खराब होने से बचाया जा सकेगा, जिससे कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन में भी 16 फीसदी कमी आएगी। रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘अकेले कृषि में कोल्ड चेन क्षेत्र में 17 लाख रोजगार पैदा करने की क्षमता है।’’
विश्व बैंक में निदेशक (भारत) आगस्ते तानो कुआमे ने कहा, ‘‘भारत की कूलिंग रणनीति जीवन और आजीविका बचाने में मददगार हो सकती है, कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने में मदद कर सकती है और इसके साथ ही भारत को हरित कूलिंग विनिर्माण का वैश्विक केंद्र भी बना सकती है।’’
रिपोर्ट में कहा गया कि वैकल्पिक और ऊर्जा की बचत करने वाली नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों के जरिए स्थानों को ठंडा रखने के लिए वर्ष 2040 तक देश में 1,600 अरब डॉलर के निवेश अवसर पैदा हो सकते हैं।
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
एडटेक इंडस्ट्री में आ रहे ये 5 बड़े बदलाव
यहां हम पांच ऐसी चीजों के बारे में बात करेंगे जो एडटेक सेक्टर को प्रभावित कर रही हैं और एडटेक कंपनियों को अपनी अगली रणनीति तय करने से पहले निवेश रणनीति इन्हें ध्यान में रखना चाहिए.
पिछले कुछ सालों में एडटेक सेक्टर के एजुकेशन-टू-एम्प्लॉयमेंट (एजुकेशन से लेकर रोजगार दिलाने तक पर काम करने वाले) सेगमेंट में बेहद तेज वृद्धि देखने को मिली है. इन एजुकेशन-टू-एम्प्लॉयमेंट एडटेक कंपनियों का सफर उतार-चढ़ाव भरा रहा है, क्योंकि मौजूदा कंपनियों ने बड़ी संख्या में निवेश रणनीति पूंजी लगा रखी है और हजारों नई कंपनियों मार्केट में उतर रही हैं. इस दौरान इंवेस्टर्स पूछ रहे हैं कि भविष्य में उनका यह निवेश कहां तक ले जाएगा. अब दर्जनों ऐसे एडटेक यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स हैं जिनकी वैल्यूएशन 1 अरब डॉलर से अधिक है.
यहां हम पांच ऐसी चीजों के बारे में बात करेंगे जो एडटेक सेक्टर को प्रभावित कर रही हैं और एडटेक कंपनियों को अपनी अगली रणनीति तय करने से पहले इन्हें ध्यान में रखना चाहिए.
1. 2010 की तुलना में 40 गुना बढ़ा निवेश
बेहद तेजी से हो रहे तकनीकी बदलावों और कंपनियों के डिजिटलीकरण कई कंपनियां अपने वर्कफोर्स को लगातार अपस्किल करना चाहती हैं. इस दौरान ब्रॉडबैंड एक्सेस और डिस्टेंस एजुकेशन टेक्नोलॉजी कहीं अधिक एडवांस्ड हो गए हैं. इन्होंने एडटेक सेक्टर में उछाल में सहयोग किया.
इन सब को देखते हुए वेंचर कैपिटलिस्ट (VCs) ने दुनियाभर में साल 2021 में एडटेक सेक्टर में 20.8 अरब डॉलर (करीब 17 खरब रुपये) का निवेश कर दिया. यह साल 2010 में किए गए निवेश का 40 गुना है. इस हिसाब से देखें तो एडटेक सेक्टर आगे भी बहुत तेजी से बढ़ेगा.
2. एडटेक कंपनियों का विलय पर फोकस
एडटेक कंपनियां कस्टमर्स को लुभाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश कर रही हैं. फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स से पता चलता है कि हाल के सालों में कई बड़ी कंपनियों के सेल्स और मार्केटिंग खर्च उनकी कुल रिवेन्यू का 20 से 60 फीसदी पहुंच गया है.
3. कर्मचारियों की रिस्किलिंग और अपस्किलिंग पर फोकस
बड़ी संख्या में छंटनी के दौरान कंपनियां नौकरी छोड़ने वालों से भी परेशान हैं और ऐसे में उनके लिए टैलेंट को रोकना बड़ी चुनौती बन गई है. Amazon , Walmart , Target और Google जैसे बड़े नियोक्ताओं ने टैलेंग गैप को भरने के लिए वर्कफोर्स एजुकेशन और डेवलपमेंट प्रोग्राम में बड़े निवेश की घोषणा की है. वहीं, अपस्किलिंग के डिमांड को भरने के लिए ऑनलाइन एजुकेशन कंपनियां बड़े पैमाने पर ऑफर दे रही हैं.
4. एडटेक में भारत बना लीडर
साल 2010 में अमेरिका करीब एक तिहाई ग्लोबल वीसी फंडिंग ले रहा था. हालांकि, अब एक दशक बाद निवेशकों ने भारत का रुख कर लिया है. Udacity, Coursera और edX जैसी बड़ी एडटेक कंपनियों ने भारत में निवेश करना शुरू कर दिया था.
साल 2020 में चीनी मार्केट को 63 फीसदी एडटेक फंडिंग मिल रहा था जो कि 2021 में कम होकर 13 फीसदी रह गया. वहीं, भारत में जहां 5 साल पहले एडटेक फंडिंग 16 अरब रुपया था तो वहीं वह 2021 में बढ़कर 3 खरब डॉलर हो गया, जो कि ग्लोबल निवेश का 18 फीसदी है. भारत में इंग्लिश स्पोकन की भारी मांग को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय एडटेक कंपनियां बिना अपने कंटेंट को ट्रांसलेट किए हुए बड़ी सफलता की कहानी लिख सकती हैं. Emeritus जैसी भारतीय एडटेक कंपनी अरबों डॉलर की वैल्यूएशन पर पहुंच गई है और अमेरिका में कंपनियों का अधिग्रहण कर रही है.
5. नौकरी पाने में मदद करने पर फोकस
साल 2021 में McKinsey ने 3500 से अधिक एडटेक स्टूडेंट्स का सर्वे किया था. एडटेक प्रोवाइडर्स बड़े पैमाने पर टेक्नोलॉजी औऱ कंटेंट पर बड़े पैमाने पर निर्भर नहीं रह सकते हैं. लर्नर्स पर्सनलाइज्ड मेंटरिंग, इंटरव्यू के लिए तैयारी और नौकरी पाने में मदद जैसे वैल्यू एडेड सर्विसेज चाहते हैं. उदाहरण के लिए भारत में अपग्रेड अपने स्टूडेंट्स को नौकरी पाने में मदद करने के लिए एक रिक्रूटिंग और स्टाफिंग एजेंसी का अधिग्रहण किया है.
चीन बनना चाहता है हिंद महासागर का 'दादा' ! भारत को छोड़ गुपचुप बना रहा रणनीति
बीजिंग। पूर्वी लद्दाख में तनाव के बीच चीन हिंद महासागर में भी भारत के खिलाफ रणनीति बनाने में जुटा हुआ है। चीन ने इस सप्ताह हिंद महासागर क्षेत्र निवेश रणनीति के 19 देशों के साथ बैठक की लेकिन भारत इसमें अनुपस्थित रहा है। सूत्रों के अनुसार, भारत को कथित तौर पर आमंत्रित नहीं किया गया था। ऐसा पहली बार नहीं है जब चीन कुछ अहम मुद्दों पर भारत को छोड़कर लामबंदी करता हुआ नजर आया है। पिछले साल, चीन ने भारत की भागीदारी के बिना कोविड-19 टीका सहयोग पर कुछ दक्षिण एशियाई देशों के साथ बैठक की थी। चीन पाकिस्तान और श्रीलंका सहित कई देशों में बंदरगाहों और बुनियादी ढांचे में निवेश के साथ रणनीतिक हिंद महासागर क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।
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इंडोनेशिया, पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, बांग्लादेश, मालदीव, नेपाल, अफगानिस्तान, ईरान, ओमान, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, मोजाम्बिक, तंजानिया, सेशल्स, मेडागास्कर, मॉरीशस, जिबूती और ऑस्ट्रेलिया सहित 19 देशों तथा तीन अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस बैठक में हिस्सा लिया। इस साल जनवरी में श्रीलंका के अपने दौरे के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 'हिंद महासागर के द्वीपीय देशों के विकास पर एक मंच' स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था।
भारत ने जमा रखी है मजबूत जड़ें
चीन पाकिस्तान और श्रीलंका सहित कई देशों में बंदरगाहों और बुनियादी ढांचे में निवेश के साथ रणनीतिक हिंद महासागर क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। चीन का यह मंच साफ तौर पर हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के मजबूत प्रभाव का मुकाबला करने के उद्देश्य से है, जहां हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) जैसे भारत समर्थित संगठन ने मजबूत जड़ें जमा ली हैं जिसके 23 देश सदस्य हैं। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंद महासागर क्षेत्र के तटीय देशों के बीच सक्रिय सहयोग के लिए 2015 में 'क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास' (सागर) पहल का प्रस्ताव दिया था।
समुद्री अर्थव्यवस्था को लेकर हुई चर्चा
चीन के विदेश मंत्रालय से जुड़े संगठन चाइना इंटरनेशनल डेवलपमेंट कोऑपरेशन एजेंसी (CIDCA) के बयान में कहा गया कि 21 नवंबर को विकास सहयोग पर चीन-हिंद महासागर क्षेत्रीय मंच की बैठक में 19 देशों ने हिस्सा लिया। बयान में कहा गया कि यह बैठक यूनान प्रांत के कुनमिंग में साझा विकास समुद्री अर्थव्यवस्था के परिप्रेक्ष्य से सिद्धांत और तौर-तरीके विषय के तहत हाइब्रिड यानी फिजिकल और वर्चुअल तरीके हुई। सीआईडीसीए का नेतृत्व पूर्व उप विदेश मंत्री और भारत में राजदूत रह चुके लुओ झाओहुई कर रहे हैं। संगठन की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, झाओहुई सीआईडीसीए के सीपीसी (चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी) नेतृत्व समूह के सचिव हैं।
बैठक को लेकर क्या कहा चीनी विदेश मंत्रालय ने?
इस साल जनवरी में श्रीलंका के अपने दौरे के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने 'हिंद महासागर के द्वीपीय देशों के विकास पर एक मंच' स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था। यह पूछे जाने पर कि क्या सीआईडीसीए की बैठक वही है जो वांग ने प्रस्तावित की थी, चीनी विदेश मंत्रालय ने मीडिया को स्पष्ट किया है कि 21 नवंबर की बैठक उसका हिस्सा नहीं थी।
बयान में कहा, देश के सुधारों को आगे बढ़ाना
सीआईडीसीए की आधिकारिक वेबसाइट पर कहा गया है कि संगठन का उद्देश्य विदेशी सहायता के लिए रणनीतिक दिशा-निर्देश, योजना और नीतियां बनाना, प्रमुख विदेशी सहायता मुद्दों पर समन्वय करना और सलाह देना, विदेशी सहायता से जुड़े मामलों में देश के सुधारों को आगे बढ़ाना तथा प्रमुख कार्यक्रमों को चिह्नित करना और उनके क्रियान्वयन का मूल्यांकन करना है।
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