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वित्तीय योजना

वित्तीय योजना
Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Updated on: November 23, 2022 18:55 IST

प्रधानमंत्री जन धन योजना PMJDY: अकॉउंटहोल्डर्स को सरकार दे रही है 10,000 रुपए, आप वित्तीय योजना भी करें अप्लाई

सरकार जन धन अकॉउंटहोल्डर्स को 10 हज़ार रूपये मुहैया करा रही है. प्रधानमंत्री जन धन योजना (Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana) के तहत देश भर में लगभग 47 करोड़ लोगों ने अपना अकाउंट खुलवाया है. इस अकाउंट के कई फायदे हैं, जैसे की 1 लाख 30 हज़ार का बीमा, 10 हज़ार का ओवरड्राफ्ट. अगर वित्तीय योजना अभी तक आप भी इन योजनाओं के बारे में नहीं जानते हैं तो फटाफट जान लीजिए.

प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY)

प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) वित्तीय समावेशन(Financial Inclusion) के लिये एक राष्ट्रीय मिशन है. यह वित्तीय सेवाओं (Financial Services) जैसे की बैंकिंग (करंट और सेविंग्स अकाउंट), रेमिटेंस, क्रेडिट, बीमा, पेंशन आदि की सरल तरीके से पहुंच सुनिश्चित करता है. PMJDY कई जन केंद्रित योजनाओं का कार्नर स्टोन है. चाहे वह डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) हो, कोविड-19 फाइनेंसियल असिस्टेंस, PM-KISAN, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना (MGNREGA) के तहत बढ़ी हुई मजदूरी, या जीवन और स्वास्थ्य बीमा कवर हो, इन सभी पहलों का पहला कदम प्रत्येक इंसान को एक बैंक खाता प्रदान करना है जिसे PMJDY ने लगभग पूरा कर लिया है.

योजना का उद्देश्य और मूल सिद्धांत

प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) का उद्देश्य एक किफायती मूल्य पर वित्तीय सेवाओं (Financial Services) की पहुंच और कम लागत में अच्छी टेक्नोलॉजी का उपयोग करने को सुनिश्चित करना है.

प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) जिन लोगों के पास अभी बैंक अकाउंट नहीं है, उन तक बैंक की सुविधाओं की पहुंच को सरल बनाती है. न्यूनतम कागज़ी कार्यवाई के साथ मूल बचत बैंक जमा (BSBD) खाता खोलना, KYC में छूट, e- KYC, कैंप मोड में खाता खोलना, ज़ीरो बैलेंस और शून्य शुल्क.

योजना के प्रमुख छह स्तंभ

1. यूनिवर्सल एक्सेस टू बैंकिंग सर्विसेज: शाखा और बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट्स.

2. ओवरड्राफ्ट सुविधा: रुपए की ओवरड्राफ्ट सुविधा के साथ मूल बचत बैंक खाता. हर एक अकॉउंटहोल्डर को 10 हज़ार रुपए.

3. वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम (Financial Literacy Program): बचत को बढ़ावा देना, एटीएम का उपयोग, लोन के लिए तैयार करना, बीमा और पेंशन का लाभ उठाना, बैंकिंग के लिए मोबाइल फ़ोन का उपयोग करना.

4. क्रेडिट गारंटी फण्ड का निर्माण: बैंकों की चूक के खिलाफ कुछ गारंटी प्रदान करना.

5. बीमा: 15 अगस्त 2014 से 31जनवरी 2015 के बीच खोले गए खाते पर 1,00, 000 वित्तीय योजना रुपए तक का दुर्घटना कवर और 30,000 रुपए का जीवन कवर.

6. असंगठित क्षेत्र (Unorganised Sector) के लिए पेंशन योजना.

जनधन खाते पर लाभ

1. अकॉउंटहोल्डर को इस अकाउंट में मिनिमम बैलेंस रखने का झंझट नहीं होती.

2. इसके अलावा Rupay डेबिट कार्ड दिया जाता है.

3. आप चाहे तो अपने अकाउंट पर 10 हज़ार रूपये का ओवरड्राफ्ट ले सकते है.

अगर आप भी इन योजनाओं का फायदा लेना चाहते हैं तो अपना जन धन अकाउंट बैंक में जा कर खुलवा सकते है. इसके लिए आपके पास आधार कार्ड और पैन कार्ड होना चाहिए.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में संशोधन करने के लिए सरकार तैयार

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में संशोधन करने के लिए सरकार तैयार

सरकार जलवायु संकट और नई टेक्नोलॉजी को देखते हुए किसानों के हित में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana - PMFBY) में संशोधन करने के लिए तैयार है.

आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार कृषि और किसान कल्‍याण मंत्रालय के सचिव मनोज आहूजा ने कहा है कि 2016 में इस कार्यक्रम की शुरूआत के बाद से नई चुनौतियों से निपटने के लिए इसमें बडे बदलाव किये जा चुके हैं. उन्‍होंने बताया कि 2018 में भी इस स्‍कीम में मूलभूत बदलाव किये गये थे. इनमें किसानों के लिए फसल नुकसान की जानकारी देने की अवधि 48 घंटे से बढाकर 72 घंटे करना शामिल है.

मनोज आहूजा ने कहा कि खेती जलवायु संकट का सीधा शिकार होती है, इसलिये यह जरूरी है वित्तीय योजना कि प्रकृति के उतार-चढ़ाव से देश के कमजोर किसान समुदाय को बचाया जाये. फलस्वरूप, फसल बीमा में बढ़ोतरी संभावित है और इसीलिये हमें फसल तथा ग्रामीण/कृषि बीमा के अन्य स्वरूपों पर ज्यादा जोर देना होगा, ताकि भारत में किसानों को पर्याप्त बीमा कवच उपलब्ध हो सके.

सचिव ने कहा कि उपयुक्‍त खेती के अनुरूप फसल बीमा योजना की पहुंच और इसके संचालन में इनोवेशन, डिजिटाइजेशन और टेक्नोलॉजी महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे हैं. मंत्रालय ने कहा है कि PMFBY किसानों के पंजीकरण के मामले में फिलहाल दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है, जिसके अंतर्गत हर वर्ष औसतन साढ़े पांच करोड़ पंजीकरण किये जा रहे हैं. प्रीमियम प्राप्ति के मामले में यह विश्‍व की तीसरी सबसे बड़ी योजना है.

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आहूजा ने कहा कि PMFBY फसल बीमा को अपनाने की सुविधा दे रही है. साथ ही, कई चुनौतियों का समाधान भी किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि संशोधित योजना में जो प्रमुख बदलाव किये गये हैं, वे राज्यों के लिये अधिक स्वीकार्य हैं, ताकि वे जोखिमों को योजना के वित्तीय योजना दायरे में ला सकें. इसके अलावा किसानों की बहुत पुरानी मांग को पूरा करने के क्रम में सभी किसानों के लिये योजना को स्वैच्छिक बनाया गया है.

आहूजा ने स्पष्ट किया कि कुछ राज्यों ने योजना से बाहर निकलने का विकल्प लिया है. इसका प्राथमिक कारण यह है कि वे वित्तीय तंगी के कारण प्रीमियम सब्सिडी में अपना हिस्सा देने में असमर्थ हैं. उल्लेखनीय है कि राज्यों के मुद्दों के समाधान के बाद, आंध्रप्रदेश जुलाई 2022 से दोबारा योजना में शामिल हो गया है. आशा की जाती है कि अन्य राज्य भी योजना में शामिल होने पर विचार करेंगे, ताकि वे अपने किसानों को समग्र बीमा कवच प्रदान कर सकें. ध्यान देने योग्य बात यह है कि ज्यादातर राज्यों ने PMFBY के स्थान पर क्षतिपूर्ति मॉडल को स्वीकार किया है. याद रहे कि इसके तहत PMFBY की तरह किसानों को समग्र जोखिम कवच नहीं मिलता.

आहूजा ने कहा कि एग्रीटेक और ग्रामीण बीमा का एकीकरण, वित्तीय समावेश तथा योजना के प्रति विश्वास पैदा करने का जादुई नुस्खा हो सकता है. हाल ही में मौसम सूचना और नेटवर्क डाटा प्रणालियां (विंड्स), प्रौद्योगिकी आधारित उपज अनुमान प्रणाली (यस-टेक), वास्तविक समय में फसलों की निगरानी और फोटोग्राफी संकलन (क्रॉपिक) ऐसे कुछ बड़े काम हैं, जिन्हें योजना के तहत पूरा किया गया है, ताकि अधिक दक्षता तथा पारदर्शिता लाई जा सके. वास्तविक समय में किसानों की शिकायतों को दूर करने के लिये छत्तीसगढ़ में एक एकीकृत हेल्पलाइन प्रणाली का परीक्षण चल रहा है.

प्रीमियम में केंद्र और राज्य के योगदान का विवरण देते हुये आहूजा ने कहा कि पिछले छह वर्षों में किसानों ने केवल 25,186 करोड़ रुपये का योगदान किया, जबकि उन्हें दावों के रूप 1,25,662 करोड़ रुपये चुकता किये गये. इसके लिये केंद्र और राज्य सरकारों ने योजना में प्रीमियम का योगदान किया था. उल्लेखनीय है कि किसानों में योजना की स्वीकार्यता पिछले छह वर्षों में बढ़ी है. सचिव ने बताया कि वर्ष 2016 में योजना के आरंभ होने से लेकर अब तक इसमें गैर-ऋण वाले किसानों, सीमांत किसानों और छोटे किसानों की संख्या में 282 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है.

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याद रहे कि 2022 में महाराष्ट्र, हरियाणा और पंजाब से अधिक वर्षा तथा मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से कम वर्षा की रिपोर्टें दर्ज की गईं. इसके कारण धान, दालों और तिलहन की फसल चौपट हो गई. इसके अलावा, अप्रत्याशित रूप से ओलावृष्टि, बवंडर, सूखा, लू, बिजली गिरने, बाढ़ आने और भूस्खलन की घटनायें भी बढ़ीं. ये घटनायें 2022 के पहले नौ महीनों में भारत में लगभग रोज होती थीं. इनके बारे में कई विज्ञान एवं पर्यावरण दैनिकों और पत्रिकाओं में विवरण आता रहा है.

आहूजा ने बताया कि वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम्स ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2022 में मौसम की अतिशयता को अगले 10 वर्षों की अवधि के लिये दूसरा सबसे बड़ा जोखिम करार दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मौसम मे अचानक होने वाला परिवर्तन हमारे देश पर दुष्प्रभाव डालने में सक्षम है. उल्लेखनीय वित्तीय योजना वित्तीय योजना है कि हमारे यहां दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी का पेट भरने की जिम्मेदारी किसान समुदाय के कंधों पर ही है. इसलिये यह जरूरी है कि किसानों को वित्तीय सुरक्षा दी जाये और उन्हें खेती जारी रखने को प्रोत्साहित किया जाये, ताकि न केवल हमारे देश, बल्कि पूरे विश्व में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.

PMFBY मौजूदा समय में किसानों के पंजीकरण के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है. इसके लिये हर वर्ष औसतन 5.5 करोड़ आवेदन आते हैं तथा यह प्रीमियम प्राप्त करने के हिसाब से तीसरी सबसे बड़ी योजना है. योजना के तहत किसानों के वित्तीय भार को न्यूनतम करने की प्रतिबद्धता है, जिसमें किसान रबी व खरीफ मौसम के लिये कुल प्रीमियम का क्रमशः 1.5 प्रतिशत और दो प्रतिशत का भुगतान करते हैं. केंद्र और राज्य प्रीमियम का अधिकतम हिस्सा वहन करते वित्तीय योजना हैं. अपने क्रियान्वयन के पिछले छह वर्षों में किसानों ने 25,186 करोड़ रुपये का प्रीमियम भरा है, जबकि उन्हें 1,25,662 करोड़* रुपये (31 अक्टूबर, 2002 के अनुरूप) का भुगतान दावे के रूप में किया गया है. किसानों में योजना की स्वीकार्यता का पता इस तथ्य से भी मिलता है कि गैर-ऋण वाले किसानों, सीमांत किसानों और छोटे किसानों की संख्या 2016 में योजना के शुरू होने के बाद से 282 प्रतिशत बढ़ी है.

वर्ष 2017, 2018 और 2019 के कठिन मौसमों के दौरान मौसम की सख्ती बहुत भारी पड़ी थी. इस दौरान यह योजना किसानों की आजीविका को सुरक्षित करने में निर्णायक साबित हुई थी. इस अवधि में किसानों के दावों का निपटारा किया गया, उन दावों के मद्देनजर कुल संकलित प्रीमियम के लिहाज से कई राज्यों ने औसतन 100 प्रतिशत से अधिक का भुगतान किया. उदाहरण के लिये छत्तीसगढ़ (2017), ओडिशा (2017), तमिलनाडु (2018), झारखंड (2019) ने कुल प्राप्त प्रीमियम पर औसतन क्रमशः 384 प्रतिशत, 222 प्रतिशत, 163 प्रतिशत और 159 प्रतिशत भुगतान किया.

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए उठाया ये बड़ा कदम, जानकर झूम पड़ेंगे छात्र

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने फाइंनेशियली वीक स्टूडेंट के लिए एक स्कीम लॉन्च की है। इस स्कीम की मदद से अब छात्र अपनी पढ़ाई पूरी कर सकेंगे। इस योजना के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 12 दिसंबर 2022 तक है।

Shailendra Tiwari

Written By: Shailendra Tiwari @@Shailendra_jour
Updated on: November 23, 2022 18:55 IST

दिल्ली यूनिवर्सिटी- India TV Hindi

Image Source : FILE PHOTO दिल्ली यूनिवर्सिटी

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए एक स्कीम शुरू की है। दिल्ली यूनिवर्सिटी ने फाइनेंशियली कमजोर छात्रों के लिए वित्तीय सहायता योजना (Financial Support Scheme) शुरू की है। यूनिवर्सिटी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। अब किसी भी स्टूडेंट को पैसों की तंगी की वजह से अपनी पढ़ाई अधूरी नहीं छोड़नी पड़ेगी। जो छात्र इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं वे नीचे दिए गए लिंक से एप्लीकेशन फॉर्म और नोटिफिकेशन डाउनलोड कर सकते हैं। इस योजना के लिए आवेदन करने की अंतिम तिथि 12 दिसंबर 2022 तक है।

दो कैटेगरी के छात्र कर पाएंगे आवेदन

यूनिवर्सिटी द्वारा अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर जारी नोटिस के अनुसार, फीस माफी में एग्जाम फीस और हॉस्टस फीस को छोड़कर छात्रों द्वारा भुगतान किए गए फीस के सभी घटक शामिल हैं। इस योजना के लिए वे अभ्यर्थी पात्र होंगे, जो दिल्ली यूनिवर्सिटी में इसके विभाग या दो श्रेणियों से संबंधित संस्थानों में पढ़ रहे हैं- श्रेणी 1 की पारिवारिक आय 4 लाख से कम है और श्रेणी 2 की पारिवारिक आय 4 लाख से 8 लाख के बीच है। पहली श्रेणी के लिए, विश्वविद्यालय 100 प्रतिशत शुल्क माफ करेगा और दूसरी श्रेणी के लिए शुल्क में 50 प्रतिशत तक की छूट है।

ये रहे जरूरी डॉक्यूमेंट

इस स्कीम के लिए स्टूडेंट को कुछ आवश्यक डॉक्यूमेंट भी देने होंगे, जैसे- पारिवारिक आय प्रमाण पत्र, माता-पिता के आईटीआर की कॉपी, अंतिम परीक्षा की मार्कशीट की कॉपी, डिग्री/स्नातकोत्तर डिग्री कोर्स में छात्र की कॉपी, विभिन्न मदों के तहत अलग-अलग राशि का उल्लेख करने वाली शुल्क रसीद और बैंक पासबुक।

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भ्रष्ट्राचार के खिलाफ सरकार सख्त : वित्तीय अनियमितता करनेवाले अभियंताओं के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति

Ranchi : सरकारी पद का दुरुपयोग, आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी एवं प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए सुनियोजित ढंग से वित्तीय अनियमितता करनेवालों के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा लगातार सख्त कार्रवाई की जा रही है. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हरेन्द्र कुमार मिश्रा, तत्कालीन कार्यपालक अभियंता, पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल, पश्चिमी सिंहभूम एवं दीप नारायण साहा, तत्कालीन सहायक अभियंता पेयजल एवं स्वच्छता अवर प्रमंडल, हाटगम्हरिया के विरुद्ध धारा- 420/409/467/468/471/120-बी के तहत अभियोजन स्वीकृत्यादेश दिया है. उपरोक्त के खिलाफ पश्चिमी सिंहभूम, चाईबासा जिलान्तर्गत हाटगम्हरिया थाना काण्ड संख्या-28/2016 19.10.2016 भारतीय दंड विधान 1860 की धारा 420/409 के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज की गयी है. वर्तमान में कांड का अनुसंधान जारी है एवं अनुसंधान के क्रम में भारतीय दंड विधान की अन्य धाराओं को जोड़ा गया है.

यह है आरोप

अनुसंधान के क्रम में यह बात प्रकाश में आयी है कि प्राथमिकी अभियुक्तों द्वारा लघु ग्रामीण जलापूर्ति योजना के तहत परमसाई गांव में योजना राशि प्राप्त करने के बाद योजना कार्य को अधूरा रखने, खराब गुणवत्ता, एकरारनामा के अनुसार सामानों को नहीं लगाने तथा योजना के अन्तर्गत निर्गत राशि का निकासी कर गबन किया गया है. इस प्रकार उपरोक्त वर्णित प्राथमिकी अभियुक्तों द्वारा सरकारी पद का दुरुपयोग, आपराधिक षडयंत्र, धोखाधड़ी एवं प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए सुनियोजित ढंग से वित्तीय अनियमितता करते हुए सरकारी राशि गबन करने का आरोप है.

मालूम हो वित्तीय योजना कि पूर्व में भी भ्रष्टाचार के खिलाफ मुख्यमंत्री ने सख्त कदम उठाए हैं. मुख्यमंत्री ने अनिल कुमार सिंह, तत्कालीन अंचल अधिकारी, हेहल, रांची के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति के मामले में प्राथमिकी दर्ज करने, अनुसूचित जनजाति, अनसूचित जाति अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग विभाग, झारखण्ड, द्वारा भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो पलामू थाना कांड संख्या 10/2021 के प्राथमिकी अभियुक्त मनोज कुमार, सहायक, जिला कल्याण कार्यालय, पलामू एवं सुभाष कुमार, जिला कल्याण पदाधिकारी, पलामू के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 (संशोधित अधिनियम, 2018) की धारा-7 (ए) के तहत अभियोजन स्वीकृत्यादेश, अरविन्द कुमार, तत्कालीन अध्यक्ष, झारखण्ड राज्य विद्युत नियामक आयोग, आर. एन. सिंह, सदस्य (अभियंत्रण), झारखण्ड राज्य विद्युत नियामक आयोग एवं गौरव बुधिया, प्रोपराईटर, मेसर्स बिहार फाउण्डरी एण्ड कास्टींग लि० के एवं अन्य के विरुद्ध निगरानी जांच कराये जाने की स्वीकृति दी है.

51 हजार रुपए के इनाम का सीएम के नाम से जमकर प्रचार, अभी तक घोषणा को ही वित्तीय स्वीकृति का इंतजार

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जयपुर। राज्य में मिलावटी खाद्य सामग्रियों की रोकथाम के लिए किए जा रहे सरकारी प्रयास ही "मिलावटी" साबित हो रहे हैं। मिलावटखाेर की सूचना देने वाले मुखबिर को 51 हजार रुपए राशि का इनाम देने का प्रचार तो शुरू कर दिया गया, लेकिन अभी तक इसके लिए वित्तीय स्वीकृति की प्रक्रिया ही पूरी नहीं हुई है। जबकि राजधानी सहित प्रदेश भर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के फोटो सहित बड़े-बड़े होर्डिंग्स इसके लिए लगाए जा चुके हैं। यानि, जिस योजना में इनाम का प्रचार राज्य सरकार मुख्यमंत्री के फोटो लगाकर कर रही है, उसके लिए नकदी का इंतजाम ही अभी खाद्य सुरक्षा आयुक्तालय के पास नहीं है।

योजना की हालत यह ह कि सवा सात करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में मात्र एक ही मुखबिर हनुमानगढ़ जिले से सामने आया है, लेकिन उसे भी कोई राशि जारी नहीं हुई है। विभाग अभी तक उसकी सूचना की पुष्टि भी नहीं कर पाया है।

इस योजना के तहत राशि भी तीन चरणों में दी जाएगी। सबसे पहले 5 हजार रुपए, नमूना अमानक मिलने पर 25 हजार रुपए दिए जाएंगे। इसके बाद यदि संबंधित व्यापारी अपील में नहीं जाता है तो शेष राशि दी जाएगी। अपील में जाने पर मामले का निस्तारण व्यापारी के खिलाफ जाने पर राशि मुखबिर को मिलेगी।

राज्य में लिए जाने वाले खाद्य सामग्रियों के नमूनों में से करीब 5 प्रतिशत तक मिलावटी पाए जाते हैं। इनमें अमानक और मिसब्रांड के साथ जानलेवा श्रेणी के भी होते हैं। ऐसे में जनता की सेहत की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री की मंशा पर मुखबिर के लिए 51 हजार रुपए की स्मार्ट राशि तय की गई थी। इसके बावजूद इस योजना को कोई रेस्पांस नहीं मिला। माना जा रहा है कि सरकारी प्रक्रिया में उलझने के डर से मुखबिर इसके लिए आगे नहीं आ रहे और सरकार भी उनके डर को दूर करने के लिए विशेष प्रचार अभियान नहीं चला रही। जबकि राज्य में जयपुर, अलवर, टोंक जिले सहित पश्चिम राजस्थान के कई जिले मिलावटी खाद्य सामग्रियां तैयार करने के गढ़ माने जाते हैं।

राज्य में शुद्ध के लिए युद्ध अभियान के तहत अब तक चलाने वाले सभी अभियान कागजी, दिखावटी और व्यापारियों को डराने तक ही सीमित रह गए हैं। राज्य सरकार ने सिस्टम को मजबूत करने के लिए कड़ी सजा के प्रावधान का बिल विधानसभा में पारित किया, लेकिन उसे भी राष्ट्रपति से अब तक मंजूरी नहीं मिली है। हैरत की बात यह है कि जनता की सेहत से सीधे जुड़े इस बिल को मंजूरी दिलाने के लिए कोई ठोस प्रयास भी राज्य सरकार नहीं किए। मौजूदा कानून में जो कार्रवाई की जाती है, उसमें भी लंबा समय नमूनों की रिपोर्ट आने में लग जाता है। उसके बाद विधिक प्रक्रिया में समय निकल जाता है। कई मामलों में तो पैनल्टी लगाकर सिर्फ वसूली की जाती है। इससे मिलावटखोर गंभीर अपराध के बाद भी बच निकलते हैं।

अभी तक हनुमानगढ़ जिले से ही एक मुखबिर सामने आया है। उसकी सूचना की पुष्टि की जा रही है। योजना के लिए राशि के लिए वित्तीय स्वीकृति की प्रक्रिया चल रही है।
सी.एल.मीणा, संयुक्त आयुक्त, खाद्य सुरक्षा आयुक्तालय

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