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हर किसी के लिए एक दलाल चुनना

हर किसी के लिए एक दलाल चुनना

बीमा के बारे में जानें

यदि आप बीमा की दुनिया में नए हैं, तो आप बीमा में शामिल बुनियादी शब्दावली के बारे में नहीं जानते होंगे ।बीमा में कई बुनियादी नियम और अवधारणाएं हैं जिन्हें आपको अप्रिय वित्तीय आश्चर्य से बचने के लिए समझना चाहिए।

यदि आप इन प्रमुख अवधारणाओं को नहीं समझते हैं तो एक सस्ती और प्रभावी बीमा प्लान खोजना मुश्किल हो सकता है।ज्ञान और बीमा अवधारणाओं की एक बुनियादी समझ होने से आपको एक समझदार प्लान चुनने में मदद मिल सकती है जो आपको जोखिमों से बचाता है और आपके बड़े वित्तीय बोझ को कवर करता है।

इसलिए यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जो बीमा के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं, तो चिंता न करें, हमने आपको कवर कर लिया है। हमने बीमा के कुछ सामान्य शब्दों और अवधारणाओं की सूची बनाई है जो आपको बीमा और इससे जुड़ी हर चीज पर आपका ज्ञान बढ़ाने में मदद करेंगे। प्रीमियम से परिपक्वता लाभ तक, आपको इस लेख में वह सब मिलेगा जो बीमा के बारे में आपके लिए जानना जरूरी है।

आम बीमा शब्द

बीमा

बीमा किसी बीमा कंपनी और पॉलिसी धारक के बीच एक अनुबंध है, जिसमें बीमा कंपनी किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना के मामले में पॉलिसी धारक को नुकसान की भरपाई करने का वादा करती है। बीमा पॉलिसी धारकों की एक बड़ी संख्या में जोखिम को फैलाकर नुकसान के बारे में अनिश्चितता के जोखिम को कम करने में मदद करता है।

बीमाकर्ता

बीमाकर्ता बीमा कंपनी को संदर्भित करता है जो प्रीमियम प्राप्त करने के बाद बीमा जोखिम को कम कर देता है या स्वीकार करता है ।यह बीमा अनुबंध में एक पक्ष है जो मुआवजे का भुगतान करने का वचन देता है।

बीमित / पॉलिसी धारक

बीमित या पॉलिसी धारक उस व्यक्ति को संदर्भित करता है जो बीमा पॉलिसी खरीदता है।बीमित विभिन्न जोखिमों के खिलाफ बीमा लेता है और उसी के लिए प्रीमियम का भुगतान करता है।

ब्रोकर / एजेंट

दलाल या एजेंट बीमा कंपनी की ओर से बीमा पॉलिसी बेचने वाला व्यक्ति होता है ।वह बीमा अधिनियम के तहत पंजीकृत एक स्वतंत्र व्यक्ति है। वह भावी ग्राहकों को बीमा पर सलाह देता है।

प्रीमियम

प्रीमियम किसी बीमा पॉलिसी को खरीदने की लागत है। यह बीमित द्वारा अपने जोखिम को कवर करने और बीमा प्लान को सक्रिय रखने के लिए समय-समय पर (यानी मासिक, त्रैमासिक, अर्ध-वार्षिक या वार्षिक) भुगतान की गई राशि है। प्रीमियम की राशि जितनी अधिक होगी , उतना ही अधिक आपका जोखिम कवरेज होगा और इसके उलट कम प्रीमियम पर कम कवरेज होगा।

आश्वासन राशि / कवरेज

आश्वासन राशि या कवरेज वह राशि है जो बीमाकर्ता किसी बीमित घटना के घटित होने पर भुगतान करने के लिए सहमत होता है। यह एक गारंटीकृत राशि है जो किसी भी बोनस के जुड़ने से पहले बीमाधारक को बीमा कंपनी से प्राप्त होगी ।दूसरे शब्दों में, यह कुल राशि है जिसके लिए पॉलिसी धारक बीमाकृत है।

दावा

एक दावा पॉलिसी के तहत कवर की गई अप्रत्याशित स्थिति के मामले में बीमा अनुबंध के तहत अनुबंध लाभ प्राप्त करने के लिए पॉलिसी धारक द्वारा किए गए भुगतान के लिए एक अनुरोध है ।दावा दायर करने के लिए, पॉलिसी धारक या पॉलिसी धारक के नामित को बीमा कंपनी द्वारा प्रदत्त मानक रूप में बीमा कंपनी को लिखित या ऑनलाइन अनुरोध करना होता है।

नामित व्यक्ति / लाभार्थी

नामांकित बीमाधारक की मृत्यु होने पर पॉलिसी में नामित व्यक्ति को बीमा रसीद के रूप में संदर्भित करता है ।एक नामित व्यक्ति को एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के मामले में बीमा कंपनी द्वारा बीमा राशि और अन्य लाभ प्राप्त होंगे । ये बीमित व्यक्ति की पत्नी, बच्चे या माता-पिता हो सकते हैं।

पॉलिसी सक्रिय समय / पॉलिसी समय / पॉलिसी अवधि

पॉलिसी अवधि उस अवधि को कहते हैं जिसके लिए बीमा कंपनी जोखिम कवरेज प्रदान करती है। बीमा पॉलिसी के प्रकार के आधार पर यह एक वर्ष से लेकर सौ वर्ष या जीवनकाल तक की कोई भी अवधि हो सकती है।

संशोधन

संशोधन एक वैकल्पिक सुविधा या पूरक लाभ है जिसे उस पॉलिसी के दायरे को चौड़ा करने के लिए उस में जोड़ा जा सकता है। इनको बीमा पॉलिसी खरीदते समय या पॉलिसी की सालगिरह पर खरीदा जा सकता है । विभिन्न प्रकार के संशोधन उपलब्ध हैं, लेकिन इसका लाभ उठाने के लिए आपको एक अतिरिक्त प्रीमियम का भुगतान करना होगा।कुछ लोकप्रिय संशोधनों में गंभीर बीमारी कवर, आकस्मिक मृत्यु लाभ राइडर, अस्पताल की नकदी, प्रीमियम की छूट आदि शामिल हैं।

उत्तरजीविता / परिपक्वता लाभ

उत्तरजीविता लाभ या परिपक्वता लाभ वह राशि है जिसे बीमाधारक के पॉलिसी के कार्यकाल तक जीवित रहने पर बीमाकर्ता को चुकाना पड़ता है। इसका भुगतान तब किया जाता है जब बीमित व्यक्ति पॉलिसी में उल्लिखित वर्षों की पूर्व-निर्धारित संख्या को पूरा कर लेता है।

समर्पण मूल्य

समर्पण मूल्य बीमा कंपनी द्वारा पॉलिसी धारक को भुगतान की जाने वाली राशि है जब वह परिपक्वता अवधि से पहले बीमा पॉलिसी को बंद करने का फैसला करता है। प्रत्येक पॉलिसी समर्पण मूल्य के भुगतान को प्रोत्साहित नहीं करती है इसलिए बीमा प्लान खरीदने से पहले नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ना महत्वपूर्ण है ।

अनुग्रह अवधि

यदि पॉलिसी धारक देय तिथि तक बीमा प्रीमियम का भुगतान करने में विफल रहता है, तो बीमा कंपनी उन्हें देय भुगतान की तारीख के बाद कुछ दिनों (आमतौर पर 15 से 30 दिन) का निस्तार देती है। इस विस्तार अवधि को अनुग्रह अवधि कहा जाता है।यदि पॉलिसी धारक अनुग्रह अवधि के दौरान भी प्रीमियम राशि का भुगतान नहीं करता है, तो उसकी बीमा पॉलिसी लैप्स हो जाती है और वह उसके बाद कोई बीमा लाभ प्राप्त करने का हकदार नहीं होगा।

बहाली अवधि

यदि पॉलिसीधारक प्रीमियम अवधि से परे प्रीमियम के भुगतान पर चूक करता है तो बीमा पॉलिसी बंद हो जाती है। हालांकि, यदि पॉलिसी धारक भविष्य में पॉलिसी जारी रखना चाहता है , तो बीमा कंपनियां लैप्स पॉलिसी को पुन: सक्रिय करने का विकल्प प्रदान करती हैं ।लेकिन, सक्रियण ग्रेस अवधि की समाप्ति के बाद एक निर्धारित समयावधि में किया जा सकता है।इस अवधि को बहाली अवधि के रूप में जाना जाता है ।

अंडरराइटर

अंडरराइटर उस व्यक्ति को कहा जाता है जो बीमा में शामिल जोखिम का मूल्यांकन करता है। वह संभावित ग्राहकों के जोखिम और जोखिम का मूल्यांकन करता है, जो पॉलिसी धारक को प्राप्त होना चाहिए उस कवरेज की मात्रा तय करता है, प्रीमियम की राशि तय करता है और भावी ग्राहक के बीमा से संबंधित अन्य सभी निर्णय लेता है ।दूसरे शब्दों में, अंडरराइटर तय करते हैं कि ग्राहक को बीमा पॉलिसी दी जाए या नहीं। इसके अलावा, उनकी मंजूरी के बाद ही, बीमा कंपनी पॉलिसी धारक या नामित व्यक्ति को दावे की आय का भुगतान करती है।

निष्कर्ष

उपर्युक्त कुछ सामान्य शब्दावली बीमा से संबंधित हैं। इन शब्दों और अवधारणाओं का ज्ञान आपको बेहतर तरीके से अपने बीमा अनुबंध को समझने में मदद करेगा।

सवालों के घेरे में हर किसी के लिए एक दलाल चुनना ‘दलाल की बीवी’ के लेखक रवि बुले

रवि बुले के लेखन को मैं गंभीरता से लेता रहा हूँ. हँसते हँसते रुला देने वाली कहानियों का लेखक. पॉपुलर और सीरियस को फेंटने वाला लेखक. लेकिन इधर उन्होंने ‘दलाल की बीवी’ नामक उपन्यास में ‘मंदी के दिनों में लव सेक्स और धोखे की कहानी’ क्या लिखी कि सवालों के घेरे में आ गए. यह साहित्य की कौन सी परंपरा है? क्या लेखक ने सीरियस और पॉपुलर को फेंटते फेंटते पॉपुलर के सामने पूरा सरेंडर कर दिया है? क्या यह पतन है? जानकी पुल के सवालों के घेरे में आ गए रवि बुले. पढ़िए उनसे एक रोचक बातचीत. हम सवालों के फेंस लगाते रहे, वे उनके जवाब फेंस तोड़ कर बाहर निकलने को छटपटाते रहे- प्रभात रंजन

– हिंदी में गंभीर लेखन की एक ही परंपरा मानी जाती है-प्रेमचंद की परंपरा। आप खुद को किस परंपरा का लेखक मानते हैं?

– क्या आपको लगता है कि ‘दलाल की बीवी’ गंभीर लेखन नहीं है? सवाल यह भी है कि क्या साहित्य की कसौटी सिर्फ तथाकथित गंभीरता को ही माना जाना चाहिए? गंभीरता की आपकी परिभाषा क्या है? वैसे बहुत सारे लेखकों को देखें तो उनकी गंभीरता बीमारी की तरह उनकी रचनाओं में दिखती है। प्रेमचंद की परंपरा को मात्र गंभीर कह कर समेट देना मुझे सही नहीं लगता। वह हिंदी के सबसे ‘पापुलर राइटर’ हैं। कोई शक…? वह हिंदी पाठकों के संसार में सबसे ज्यादा ग्राह्य है। जब आप कहते हैं कि प्रेमचंद की परंपरा ही हिंदी साहित्य में गंभीर मानी जाती है तो लगता है कि हमारे साहित्य में लाइन यहीं से शुरू होती है। उनसे पहले कोई हुआ ही नहीं। कबीर, सूर और तुलसी को कहां खड़ा करेंगे? मुझे लगता है कि कोई भी जब रचना करता है तो वह किसी परंपरा में खड़ा होने के लिए नहीं रचता। वह सिर्फ अपनी बात अपने अंदाज में कहता है। फिर वह दौर या परंपरा की किसी कड़ी में जुड़ जाए तो अच्छी बात।

-यह सचमुच एक डराने वाला खयाल है। जिस समय और समाज में हम रह रहे हैं वहां अपराध का डर हर पल है। कोई भी कहीं भी शिकार हो सकता है। एक संस्कृति पनप चुकी है जिसमें सब कुछ संदिग्ध है। किसी पर विश्वास नहीं किया जा सकता। ऐसे में रची गई कहानियां कैसी हो सकती हैं? कल की क्या कहें, आज ही बच्चों को सुनाने बताने के लिए हमारे पास कौन सी बहुत सुखद बाते हैं? माता-पिता बहुत सारी बातों से बच्चों को बचा कर रखना चाहते हैं, लेकिन नहीं बचा पाते। बच्चों का आज ही संकटग्रस्त नजर आ रहा है। उपन्यास में एक बिल्ली अपने बच्चों को कहानी सुना रही है कि राजा को जब रानी से प्यार नहीं रहा तो उसे संसार की किसी भी चीज से प्यार नहीं रहा। मगर बच्चों के पास उसी राजा की कहानी है कि उसने रानी से बदला लिया। रानी की हत्या की। रानी को भ्रष्ट करने वालों को अपनी तलवार से मौत के घाट उतारा। बच्चों की कहानियों में वक्त के साथ सेंध लग चुकी है।

-कोई भी रचनाकार चाह कर भी आदर्शों को त्याग कर कुछ नहीं रच सकता। आदर्श कमोबेश रचना की नींव में होते हैं। हां, यह जरूर है कि उस नींव पर तैयार होती हुई रचना का डिजाइन कैसा बनता है। बाहर से वह रचना कैसी दिखाई देती है।

-उपन्यास का शीर्षक मुझे ऐसा चाहिए था जो आकर्षक हो। उसे देख कर सामान्य पाठक का मन किताब पढ़ने का हो। अगर यह आपको साहसी लगता है तो इसके लिए धन्यवाद। यह उपन्यास हर पाठक वर्ग के लिए है। मठाधीशों-आलोचकों से आज तक मेरा सामना नहीं हुआ। वैसे यह जानना रुचिकर होगा कि ‘दलाल’ ‘की’ ‘बीवी’ इन तीन शब्दों में ऐसा कौन सा शब्द है जिससे मठाधीश-आलोचक डर जाएं? आप बताएं कि क्या हिंदी में कुछ भी लिखने के लिए मठाधीशों-आलोचकों की अनुमति जरूरी है?

-शीर्षक के साथ एक उपवाक्य भी हैः मंदी के दिनों में लव सेक्स और धोखे की कहानी। इस कहानी के केंद्र में वेश्यावृत्ति के धंधे का एक दलाल और उसकी बार डांसर रह चुकी बीवी है। लेकिन उनसे भी बढ़ कर उनके आस-पास का संसार है, जो पल-पल बदल रहा है।

– कहते हैं मुंबई सपनों का शहर है। लेकिन आपने उपन्यास में जिस मुंबई को दिखाया है वह दुस्स्वप्न का शहर है। यथार्थ के कितने करीब है यह उपन्यास?

-मुंबई वह शहर है जिससे आप एक साथ प्यार और नफरत कर सकते हैं। यह संभवतः देश का एकमात्र शहर से जिसे कवियों, लेखकों और कलाकारों ने अपने-अपने ढंग से नाम दिए। किसी के लिए यह सपनों की नगरी है, किसी के लिए मायानगरी। किसी की नजर में हादसों का शहर है तो किसी के लिए कामयाबी की मंजिल। कोई इसे माशूका मानता है तो कोई मां। मराठी के लोकप्रिय कवि नामदेव ढसाल ने तो मुंबई को अपनी प्रिय रांड बताया है! यह महानगर स्वप्न और दुस्वप्न एक साथ है। उपन्यास में भी आप देखेंगे कि यहां सपने देखने वाली आंखें हैं तो दुस्वप्नों में दर्ज हो गए किरदार भी मौजूद हैं। उपन्यास में फंतासी भी यथार्थ ही है।

– मुझे याद आता है कि मनोहर श्याम जोशी का उपन्यास ‘कुरु कुरु स्वाहा’ में भी एक मुंबई को दिखाया गया है। उसके 35 साल बाद आपका यह उपन्यास आया है। बीच में समंदर में कितने ही ज्वार-भाटे आए। मुंबई के किन बदलावों को आप देख पाते हैं, महसूस करते हैं?

-बदलाव ही जिंदगी का लक्षण है। मुंबई ही एक ऐसा शहर है जिसके पिछले सौ सालों में बदलने का पूरा रिकॉर्ड आपको साहित्य और सिनेमा में मिल जाएगा। समुंदर में कितने ही ज्वार-भाटे आएं हों यह महानगर पूरी जीवंतता के साथ अडिग है। बीते 35 बरसों में मुंबई का आकार-प्रकार तो बदला ही है, यहां की राजनीति और लोग भी बदले हैं। बीते कुछ बरसों में यहां के लोगों में अनुशासन कुछ कम हुआ है और शहर में गंदगी बढ़ी है। यह बढ़ती आबादी का नतीजा है। ग्लैमर की दुनिया का आकर्षण ज्यों का त्यों है, मगर इस दुनिया में हर किसी के लिए एक दलाल चुनना मौके अब पहले की तुलना में काफी बढ़ गए हैं। अपराध बढ़ने के बावजूद कई शहरों के मुकाबले यह सुरक्षित है।

-उपन्यास का दलाल रूप भी है और रूपक भी। आप पाएंगे कि उपन्यास में उसका कोई नाम नहीं है। एक वक्त था जब दलाल बुरा शब्द था। दलाली बुरा शब्द था। अब नहीं है। दलाल आज ‘मिडिलमैन’ है। ‘ब्रोकर’ है। जो हर ठहरी हुई राह में बीच का रास्ता खोज निकालता है। दलाल अब स्मार्ट आदमी है और दलाली कला है। करियर है। राजनीति और प्रशासन से लेकर शिक्षा और अस्पताल तक की व्यवस्था में दलाल पूरी बेशर्मी के साथ दलाली वसूलते हैं। पूरे विश्व में दलाल अब स्थापित और सम्मानित हैं। कहीं भी जाइए आप इससे बच नहीं सकते। असली व्यक्ति अब दलाल ही है, जो चीजों को नियंत्रित करता है। यह गेमचेंजर है। किंगमेकर भी है।

-अपने समय के चाल-चरित्र को देखने-समझने के लिए। अपने आस-पास घट रही कहानियों को अनुभव करने और उनका आनंद लेने के लिए।

फाइनेंशियल इन्टरमीडियरीज

शेयर बाजार में आपके एक शेयर खरीदने से ले कर उस शेयर के आपके डीमैट एकाउंट में आने तक कई तरह की कॉरपोरेट एंटिटीज (Corporate Entities) यानी कई संस्थाएं बैकएंड में काम कर रही होती हैं, जिससे ये काम सही तरीके से हो जाए। पर्दे के पीछे काम कर रहीं ये एंटिटीज सेबी के कायदे कानूनों के मुताबिक आपके सौदे को मुमकिन बनाती हैं जिससे आपको कोई दिक्कत न हो। इन एंटिटीज को फाइनेंशियल इन्टरमीडियरीज (Financial Intermediaries) के नाम से जाना जाता है।

ये इन्टरमीडियरीज एक दूसरे के काम पर निर्भर होती हैं और एक साथ मिल कर वो इकोसिस्टम तैयार करती हैं जिसके बिना वित्तीय बाजार का चलना असंभव है। इस अध्याय में आपको इन इन्टरमीडियरीज के बारे में बताया जाएगा।

3.2 शेयर दलाल/स्टॉक ब्रोकर (The Stock Broker)

ब्रोकर या दलाल शायद शेयर बाजार का सबसे महत्वपूर्ण इन्टरमीडियरी है, इसके बारे में जाने बगैर आपका काम नहीं चलेगा। ये एक कॉपोरेट एंटिटी (Corporate Entity) है जो शेयर एक्सचेंज में ट्रेडिंग मेंबर के तौर पर रजिस्टर्ड होते हैं और इनके पास स्टॉक ब्रोकिंग का लाइसेंस होता है। और ये सेबी के नियमों के तहत काम करते हैं।

एक तरह से स्टॉक ब्रोकर आपके लिए शेयर बाजार का दरवाजा है। शेयर बाजार में आने के लिए आपको किसी ब्रोकर के पास ट्रेडिंग एकाउंट खोलना जरूरी होता है। आप ब्रोकर अपनी मर्जी से या अपनी पसंद का चुन सकते हैं।

आपका ट्रेडिंग एकाउंट आपके ब्रोकर के पास होता है जिसके जरिए आप शेयर खरीद या बेच सकते हैं।

तो मान लीजिए कि आपने ट्रेडिंग एकाउंट खोल लिया है और आप कोई सौदा करना चाहते हैं जिसके लिए आपको अपने ब्रोकर से संपर्क करना है तो इसके क्या तरीके हैं?

  1. आप खुद ब्रोकर के ऑफिस में जाएं और वहां बैठे डीलर से मिल कर उसे बताएं कि आपको क्या सौदा करना है। डीलर वहां इस तरह के ऑर्डर को पूरा करने के लिए ही बैठता है।
  2. आप अपने ब्रोकर को फोन कर सकते हैं, अपनी पहचान, क्लायंट कोड जैसी जानकरी देने के बाद अपना ऑर्डर बता सकते हैं। इसके बाद डीलर आपके सौदे को पूरा करेगा। फिर आपको फोन पर ही बता देगा कि आपका ऑर्डर पूरा हो गया।
  3. आप खुद भी सौदा कर सकते हैं। एक ट्रेडिंग टर्मिनल साफ्टवेयर के जरिए। आपको अपने कम्प्यूटर पर सिर्फ लॉग इन करना होगा और आप खुद शेयर की लाइव (LIVE) यानी उस वक्त की कीमत देख सकेंगे और ऑर्डर कर सकेंगे। इसीलिए ये सबसे ज्यादा पसंद किया जाने वाला तरीका है।

ब्रोकर आपको कुछ जरूरी सुविधाएं देता है, जैसे:

    1. बाजार में शेयर खरीदने बेचने की सुविधा।
    2. ट्रेडिंग के लिए मार्जिन। इसकी हम बाद में विस्तार से चर्चा करेंगे।
    3. अगर फोन पर ट्रेडिंग करनी है तो वहाँ ब्रोकर आपको मदद करेगा। साथ ही सॉफ्टवेयर का सपोर्ट भी जिससे आपके ट्रेडिंग में दिक्कत ना आए।
    4. हर सौदे का कॉन्ट्रैक्ट नोट जारी करना। ये नोट उस दिन के सौदे का लिखित प्रमाण होता है।
    5. आपके बैंक एकाउंट और ट्रेडिंग एकाउंट के बीच पैसा ट्रांसफर करना।
    6. बैक ऑफिस का लॉग इन बनाना, जिससे आप अपने एकाउंट की पूरी जानकारी देख सकें।
    7. अपनी तरफ से दी गयी इन सुविधाओं के लिए ब्रोकर आपसे एक फीस लेता है जिसे ब्रोकरेज चार्ज कहते हैं। हर ब्रोकर के यहां ये फीस अलग अलग होती है। आपको वो ब्रोकर चुनना होता है जहाँ फीस और सुविधाओं का सही संतुलन हो।

    3 .3 डिपॉजिटरी और डिपॉजिटरी पॉर्टिसिपेंट (Depository and Depository Participants)

    जब आप कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो उसके कागज संभाल कर रखते हैं जिसे समय आने पर आप दिखा सकें कि आपने कब और कहाँ से उसे खरीदा था। इसलिए कागज को सुरक्षित जगह पर रखना महत्वपूर्ण होता है।

    इसी तरह जब आप शेयर खरीदते हैं (जो कि वास्तव में उस कंपनी में आपकी हिस्सेदारी है) तो आपको अपनी हिस्सेदारी साबित करने के लिए शेयर सर्टिफिकेट को संभाल कर रखना होता है। क्योंकि उसी में सारी जानकरी लिखी होती है कि आपके पास कंपनी का कितना हिस्सा है।

    1996 तक शेयर सर्टिफिकेट कागज का होता था। लेकिन उसके बाद से शेयर सर्टिफिकेट डिजिटल तरीके से जारी होने लगा। कागज के शेयरों को डिजिटल में बदलने की प्रक्रिया को डीमैटेरियलाइजेशन (Dematerialization) कहा जाता है जिसे छोटे में डीमैट (DEMAT) कहा जाने लगा।

    1996 के बाद इन डीमैट शेयरों को डिजिटली रखने की जरूरत आ पड़ी और तब से एक डीमैट एकाउंट जरूरी हो गया। डीमैट एकाउंट की सुविधा देने के लिए डिपॉजिटरी को बनाया गया। डिपॉजिटरी आपके डीमैट एकाउंट आपके सभी शेयरों को डिजिटल फॉर्म में रखने का काम करती है। इसे आप अपनी डिजिटल तिजोरी भी मान सकते हैं।

    आपके ब्रोकर के पास खोला गया ट्रेडिंग एकाउंट और डिपॉजिटरी के पास खुला डीमैट एकाउंट आपस में जुड़े होते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर आप इन्फोसिस का शेयर खरीदना चाहते हैं तो आप अपने ट्रेडिंग एकाउंट पर लॉग इन करेंगे, अपनी कीमत डालेंगे और खरीदने का ऑर्डर डालेंगे और शेयर खरीद लेंगे। यहाँ आ कर ट्रेडिंग एकाउंट का काम खत्म। इसके बाद इन्फोसिस का शेयर अपने आप आपके डीमैट एकाउंट में आ जाएगा।

    इसी तरह बेचते समय आपको शेयर की कीमत और ऑर्डर ट्रेडिंग एकाउंट पर डालना होगा और शेयर आपके डीमैट एकाउंट से अपने आप निकल जाएंगे।

    अभी देश में डीमैट एकाउंट की सर्विस देने वाली सिर्फ दो डिपॉजिटरी हैं। एन एस डी एल (NSDL) यानी नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (The National Securities Depository Limited) और सी डी एस एल (CDSL) यानी सेन्ट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (Central Depository Services- India- Limited)। दोनों मे एक जैसी सर्विस मिलती है और दोनों सेबी के नियमों के तहत काम करती हैं।

    जैसे आप शेयर ट्रेडिंग एकाउंट खोलने के लिए ब्रोकर के पास जाते हैं, NSE या BSE नहीं, उसी तरह डीमैट एकाउंट खोलने के लिए आप NSDL या CDSL के पास नहीं किसी डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (Depository Participant- DP) के पास जाएंगे। ये DP आपका एकाउंट खोलने के लिए डिपॉजिटरी के एजेंट की तरह काम करते हैं और सेबी के नियमों के अधीन होते हैं।

    3.4 बैंक (Banks)

    शेयर बाजार के मामले में बैंक की भूमिका काफी सीधी होती है। ये बैंक से ट्रेडिंग एकाउंट और ट्रेडिंग एकाउंट से बैंक के बीच पैसों का ट्रांसफर करते हैं। इसके लिए ट्रेडिंग एकाउंट और बैंक एकाउंट में एक ही नाम होना जरूरी है।

    आप अपने कई बैंक एकाउंट अपने ट्रेडिंग एकाउंट से जोड़ सकते हैं। जैसे जेरोधा (Zerodha) पर एक प्राइमरी बैंक एकाउंट और तीन सेकेंडरी बैंक एकाउंट आपके ट्रेडिंग एकाउंट से जोड़ने की सुविधा है। आप शेयर खरीदने के लिए पैसे इनमें से किसी भी बैंक एकाउंट से डाल सकते हैं। लेकिन बेचते समय पैसे सिर्फ प्राइमरी बैंक एकाउंट में ही जाएंगे। आपका प्राइमरी बैंक एकाउंट आपके ट्रेडिंग एकाउंट, डिपॉजिटरी और रजिस्ट्रार एंड ट्रांसफर एजेंट (Registrar and transfer agents- RTA) से भी जुड़ा होता है।

    तो ट्रेडिंग, बैंक और डिपॉजिटरी एकाउंट आपस में इलेक्ट्रानिक तरीके से जुड़े होते हैं जिससे आप आसानी से सौदे कर सकें।

    3.5 एन एस सी सी एल (NSCCL) और आई सी सी एल (ICCL)

    नेशनल सेक्योरिटीज क्लियरिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड (National Security Clearing Corporation Limited- NSCCL) नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE)की और इंडियन क्लियरिंग कारपोरेशन लिमिटेड BSE यानी बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज की सब्सिडियरी हैं। इनका काम है एक्सचेंज पर होने वाले हर सौदे का सेटेलमेंट करना। अगर आपने बॉयोकॉन का एक शेयर 446 के भाव पर खरीदा है तो किसी ने आपको ये शेयर 446 रूपए में बेचा होगा। क्लियरिंग कॉरपोरेशन का काम ये सुनिश्चित करना है कि शेयर बेचने वाले के डीमैट एकाउंट से निकल कर खरीदने वाले के डीमैट एकाउंट में पहुंच जाए। और पैसे खरीदने वाले के बैंक से निकल कर बेचने वाले के बैंक एकाउंट में। तो कुल मिलाकर क्लियरिंग कॉरपोरेशन किसी भी सौदे में ये काम करता है:

    1. खरीदार और बेचने वाले की पहचान करना और उनके एकाउंट में पैसे और शेयर का हिसाब किताब जोड़ना।
    2. ये पक्का करना कि सौदा पूरा हो और कोई भी पार्टी सौदे से पीछे ना हट जाए।

    वैसे किसी भी निवेशक के लिए क्लियरिंग कॉरपोरेशन के बारे में बहुत विस्तार से जानना जरूरी नहीं है। उसे कभी सीधे इनसे काम नहीं पड़ने वाला। उसे सिर्फ इतना पता होना चाहिए कि एक प्रोफेशनल संस्था पूरे नियम कानूनों के साथ ये काम कर रही है।

    व्यक्ति ने व्हाट्सऐप के जरिए बुलाई कॉलगर्ल, सामने आई तो निकली उसकी बीवी

    व्यक्ति ने व्हाट्सऐप के जरिए बुलाई कॉलगर्ल, सामने आई तो निकली उसकी बीवी

    शादी करंट के तार जैसी होती है, सही जुड़ जाए तो सारा जीवन रोशन और गलत जुड़ जाए तो जिंदगी भर के झटके! ऐसा हम नहीं, बल्कि उस पति का सोचना हो सकता है, जिसने व्हाट्सऐप के जरिए कॉलगर्ल बुलाई थी, लेकिन उसके सामने जब कॉलगर्ल पहुंची तो वह उसकी बीवी निकली। यह मामला सामने आने के बाद से हर किसी के दिमाग में बस यही होगा कि अब पति का क्या होगा। मगर मामला कुछ और ही था।

    यह अजीबो-गरीब मामला उत्तराखंड के काशीपुर से सामने आया है। दरअसल, हुआ यूं हर किसी के लिए एक दलाल चुनना कि पति ने व्हाट्सऐप के जरिए एक महिला दलाल से संपर्क किया। फिर उसने कॉलगर्ल की मांग रखी। मगर जब वो कॉलगर्ल उस व्यक्ति के पास आई तो वह उसकी ही पत्नी निकली। एक-दूसरे को आमने-सामने देख दोनों के बीच जमकर लड़ाई हुई, जिसके बाद दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया है।

    रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ साल पहले दिनेशपुर के युवक की शादी काशीपुर में रहने वाली युवती से हुई थी। शादी के बाद से ही युवती पति के साथ न रहकर ज्यादातर अपने मायके में रहती थी, जिसके कारण दोनों में हमेशा अनबन होती थी।

    एक दिन युवक हर किसी के लिए एक दलाल चुनना की पत्नी की एक सहेली ने उसे बता दिया कि उसकी पत्नी कॉलगर्ल का काम करती है। इसके बाद पति ने एक महिला दलाल से व्हाट्सऐप पर संपर्क किया। युवक ने उससे कॉलगर्ल की मांग की तो महिला दलाल ने उसे तस्वीरें भेजीं और किसी एक को चुनने को कहा। पति हर किसी के लिए एक दलाल चुनना ने उन तस्वीरों में से अपनी पत्नी को खोजा और उसे चुन लिया। महिला दलाल का नंबर उसकी पत्नी की सहेली ने ही उसे दिया था।

    इसके बाद जब पत्नी कॉलगर्ल के रूप में पति के सामने आई तो दोनों में जमकर लड़ाई शुरू हो गई और दोनों ने एकदूसरे के साथ हाथापाई की। इसके बाद दोनों ने पुलिस स्टेशन में एकदूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। पत्नी ने आरोप लगाया कि उसके पति का उसकी सहेली के साथ संबंध है। जबकि, पति ने पत्नी की इस करतूत के बारे में बताया। फिलहाल, सच्चाई जानने के लिए पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है।

    खाना बाहर से ऑर्डर कर रहीं हैं? तो यहां जानिए हेल्दी फूड चुनने का तरीका

    अपने स्वास्थ्य के साथ बिना समझौता किए यदि आप बाहर का खाना खाने या घर पर कुछ खाना मंगवाने की सोच रही हैं, तो फिर आपको इन अहम बातों का ध्यान रखना चाहिए।

    bahar se hmesha healthy food order mangaye

    कुछ आसान टिप्स अपनाकर बाहर से आनलाइन हेल्दी फूड मंगाएं। चित्र : शटरस्टॉक

    क्या आप खाना बनाने के मूड में नहीं हैं और खाना बाहर खाने की सोच रही हैं या फिर बाहर से मंगवाने की? जो भी हो, अगर आप सिर्फ खाना बनाने से बचना चाहती है या रोज-रोज एक ही खाना खाने से ऊब गई हैं और उसमें कुछ बदलाव चाहती हैं, तो इस काम में ऑनलाइन ऑर्डर से आपकी मदद हो सकती है। हाल के दिनों में आप ऐसे खाना मंगाने वाले इकलौते नहीं हैं। नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन के मुताबिक, 65 फीसदी से अधिक लोग आज के समय में रोजाना ऑनलाइन फूड ऑर्डर कर रहे हैं। बिल्कुल और ऐसा करने के लिए लोगों के पास ढेर सारे विकल्प भी मौजूद हैं। भले ही इन ऑनलाइन ऑर्डर लेने वाले फूड स्टोर की छवि बेहद खराब हो। अगर हम आप से पूछें कि क्या बाहर का खाना मंगवाकर खाने से आपका स्वास्थ्य बेहतर रह सकता है? जवाब होगा हां, बिल्कुल संभव है।

    यदि आप मनमुताबिक खाना बाहर से मंगवाते समय उसमें मौजूद न्यूट्रीशनल क्वांटिटी को ध्यान में रखकर ऑर्डर करती हैं, तो वह फूड भी आपके स्वास्थ के लिहाज से हेल्दी हो सकता है।
    बाहरी फूड को लेकर हेल्थशॉट्स की टीम ने फरीदाबाद स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट्स की सीनियर डायटिशियन हर किसी के लिए एक दलाल चुनना डॉ किरण दलाल से बात की। बातचीत के दौरान उन्होंने टीम को बताया कि बाहर के फूड में से हेल्दी फूड का चुनाव कैसे किया जा सकता है। सामाजिक जीवन में बिना किसा बाधा के आप इन माध्यमों से भी अपने खानपान को हेल्दी बनाए रख सकती हैं। इसके लिए ये कुछ टिप्स आपके काम आ सकती हैं।

    ये 7 टिप्स बाहर के खाने को हेल्दी बनाने रखने में मदद कर सकती हैं

    1 बाहरी फूड की मात्रा कम रखें

    लोगों को अपनी फूड लेने की क्षमता का सही अंदाजा नही होता है। इसलिए उनके लिए ये चुनौतियों से भरा हो जाता है कि वह कितना खाना खा सकते हैं। ऐसे में वह बाहर से खाना आनलाइन आर्डर कर रहे हैं तो खाना आने के बाद खाने के शुरुआत में सलाद जरुर खाना चाहिए । फिर उसके बाद मेन फूड को खाएं।

    पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के अनुसार, जो लोग अपने मुख्य भोजन को खाने से पहले फाइबर से भरपूर हर किसी के लिए एक दलाल चुनना हेल्दी सलाद खाते हैं, वे उन लोगों की तुलना में कम कैलोरी ले पाते हैं जिन्होंने सलाद नहीं खाया है। फाइबर से लबरेज सलाद खाने के बाद आपका पेट भरा हुआ महसूस होता है और तो और ये आपके भूख को कम कर देता है। खैर, आपने अगर अपनी क्षमता से ज्यादा खाना ऑर्डर कर दिया है, तो अपने उसका आधा हिस्सा दूसरे के लिए बचाने की कोशिश करें या किसी और को खाने के लिए दे दें।

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    2 खाना आर्डर करने से पहले मेन्यू को ध्यान से पढ़ें

    यदि आप फूड मेनू से परिचित नहीं हैं, तो रेस्तरां में जाने के बाद सबसे पहले उसे देख लें। डॉ दलाल बताती हैं कि जब आप ज्यादा भूखी होती हैं या खाने के लिए परेशान होती हैं, तो जल्दबाजी में गलत निर्णय ले बैठती हैं। खाने को देखने और सूंघने के बाद डाइट प्लान कर पाना थोड़ा और मुश्किल हो जाता है, खासकर तब जब आपको भूख ज्यादा तेज लगी हो।

    रेस्तरां में पहुंचने के बाद आपको जल्दबाजी में निर्णय लेने से बचना चाहिए और खाना यानी व्यंजन का चयन करने से पहले फूड मेनू पर एक सरससी नजर डाल लेना चाहिए ताकि बाद में जब आप तक खाना आए तो पछताना न पड़े अगर ऐसा नहीं कर पाती हैं तो पछताना पड़ सकता है।
    यदि आप आए दिन बाहर का खाना खाती हैं या बार-बार बाहर का खाना आर्डर करती हैं तो जिस भी रेस्तरां से आर्डर कर रही हैं उसके वेबसाइट पर जाकर फूड मेनू और फूड की पोषण संबंधी पूरी जानकारी (यदि उपलब्ध हो तो) देख लेना चाहिए।

    3 हेल्दी स्नैक को वरीयता दें

    यदि आप ज्यादा भूखी हैं, तो इसकी संभावना बढ़ जाती है कि आप थोड़ा बहुत अधिक खाना खा सकती हैं या ज्यादा खाना लेती हैं। अधिक खाना खाने से बचने के लिए आप एक ये भी तरीका अपना सकती हैं कि रात में पेट भर खाना खाने से पहले फल, बादाम, या सूप जैसे कुछ हेल्दी स्नैक्स लेने के बाद ही शुरु करें । ऐसा करके आप अधिक खाना खाने से बच सकती हैं। डॉ दलाल कहती हैं कि दही जैसे स्नैक जो लो-कैलोरी, हाई-प्रोटीन से भरपूर है, को खाने से पेट भरा-भरा महसूस होता है और तो और ये आपको क्षमता से अधिक खाना खाने से भी बचाने में भी मदद करता है।

    4 खाना पकाने और तैयार करने के तौर-तरीके भी जांच लें

    खाना में कैलोरी की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि उसे कैसे तैयार किया गया है। आपने जिस खाने का चुनाव किया है यदि वह स्टीम्ड, ग्रिल्ड, रोस्टेड या पोच्ड फूड है तो फिर बेहतर है। दरअसल इन तरीकों से पकाए गए खाना पकाने में औसतन कम फैट का इस्तेमाल किया जाता है और तो और उसमें कैलोरी कम होती है। जबकि तले भुने, फ्राइड, कुरकुरे में आमतौर पर फैट और कैलोरी ज्यादा होती है।

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    5 सब्जियों और प्रोटीनयुक्त आहार को ज्यादा वरीयता दें

    यदि आप खाना आर्डर कर रही हैं तो ये सुनिश्चित कर लें कि उस खाने में प्रोटीन की मात्रा ज्यादा है और उसमें ढेर सारी सब्जियां मिलाई गई हैं। लेग्यूम्स, होल ग्रेन्स और चिकपीज ये सभी प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं। ब्रोकोली, सलाद, टमाटर और गाजर से बने फूड को आर्डर करें। फ्राइज़, पनीर और सॉस जैसे अनहेल्दी फूड आइटम से दूरी बनाए रखें।

    6 खाने के साथ मीठा पेय लेने से स्किप करें

    हम में ज्यादातर लोग अपने खाने के साथ कुछ मीठा भी पीने की इच्छा रखते हैं, लेकिन ये एक हेल्दी आदत नहीं है। डॉ दलाल कहती हैं कि यदि आप हेल्दी फूड मंगा रही हैं, तो उसे खाने की शुरुआत करने से पहले पानी पी लें या खाते समय पानी पी सकती हैं लेकिन इस दौरान कुछ मीठा पेय लेना ठीक नहीं है। पानी की जगह कुछ मीठा में जैसे कोला, आइस टी, नींबू पानी और सोडा जैसे या पौष्टिक ऐपेटाइज़र ले सकती हैं क्योंकि इसमें कैलोरी और शुगर दोनों कम मात्रा में होते हैं।

    7 डेजर्ट जैसी मीठी चीजों को खाने से परहेज करें

    खाना खाने के बाद भी अगर आपको भूख हो तो मीठी चीजें खाने के बजाय आप ग्रीन टी, फल या दही लें। लेकिन अगर आप डेजर्ट जैसी मीठी चीजें खाने से परहेज नही सकती हैं, तो एक पीस ऑर्डर कर लें और उसे अकेले खाने के बजाय अपने दोस्तों या परिवार के लोगों के साथ बांटकर खाएं।

    ये भी याद रखें

    भूख का एहसास मिटाने के लिए आराम से धीरे-धीरे और अच्छी तरह चबाकर हर किसी के लिए एक दलाल चुनना खाएं

    सोडियम यानी नमक ज्यादा न खाएं

    मनमुताबिक आहार लें और मन लगाकर खाएं

    हेल्दी स्वैप मंगाए (फ्राइज के बजाय सलाद देने के लिए बोलें)

    खाना मंगाने से पहले रेस्तरां के मेनू और फूड के न्यूट्रीशनल वैल्यू को चेक कर लें

    फूड मेनू जानने के लिए सर्वर की में मदद लें

    ज्यादा कैलोरी वाला पेय लेने से परहेज करें

    अगली बार जब भी आप बाहर से खाना आर्डर करें इन टिप्स को ध्यान में अपने हेल्दी फूड का लुफ्त उठाएं।

    लेखक के बारे में
    टीम हेल्‍थ शॉट्स

    ये हेल्‍थ शॉट्स के विविध लेखकों का समूह हैं, जो आपकी सेहत, सौंदर्य और तंदुरुस्ती के लिए हर बार कुछ खास लेकर आते हैं।

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