कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल

पेट्रोलियम उत्पाद, तेलशोधक कारखानों में संशोधित कच्चे तेल (refined crude oil) (पेट्रोलियम) से प्राप्त होने वाले विभिन्न उपोत्पादों (byproducts) को कहा जाता है|
रेलमंत्री वैष्णव 22 नवंबर को अजमेर में कारखाने का निरीक्षण करेंगे
अजमेर। केंद्रीय रेल मंत्री (Union Railway Minister) अश्विनी कुमार वैष्णव 22 नवंबर को अजमेर आएंगे। पुष्ट जानकारी के मुताबिक श्री वैष्णव यहां एक कार्यक्रम में भाग लेने के अलावा देश कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल के सबसे पुराने रेल कारखानों (railway factories) का निरीक्षण करेंगे।
श्री वैष्णव जिनके पास सूचना संचार प्रौद्योगिकी एवं इलेक्ट्रॉनिक विभाग भी है मुख्य रूप से स्थानीय गोल्फ कोर्स रोड स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ग्रुप की ओर से आयोजित ‘रोजगार मेले’ (Rozgar Mela) में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे। साथ ही अजमेर रेलवे स्टेशन के अलावा देश के सबसे पुराने रेलवे के लोको एवं कैरिज कारखानों (Loco & Carriage Workshop) का निरीक्षण करेंगे।
जानें- भारत में कहां छपते हैं नोट, कहां से आता है कागज और स्याही
चीन में भारत के नोट छपने की खबर आने के बाद नोट की छपाई चर्चा में आ गई है. विपक्ष ने इस खबर को लेकर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है, जबकि केंद्र सरकार ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की इस रिपोर्ट को निराधार बताया है. सरकार का कहना है कि भारतीय रुपये सिर्फ भारत सरकार के प्रिंटिंग प्रेस में ही छापे जा रहे हैं. ऐसे में जानते हैं आखिर भारतीय नोटों की छपाई कहां होती है और इसकी स्याही-पेपर की व्यवस्था कहां से की जाती है.
पेट्रोलियम से प्राप्त किये जाने वाले उपोत्पादों के नाम इस प्रकार हैं:
I. गैसोलीन (पेट्रोल)
II. डीजल ईंधन
III. एस्फाल्ट
IV. ईंधन तेल
V. जेट ईंधन
VI. मिट्टी का तेल (केरोसिन)
VII. द्रवीभूत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी)
VIII. चिकनाई वाले तेल
IX. पैराफिन मोम
X. डामर
XI.पेट्रोकेमिकल्स
नीचे दिया गया ग्राफ यह दिखाता है कि एक बैरल तेल में कितना उत्पाद कितनी प्रतिशत मात्रा में पाया जाता है|
सोने और हीरे की खदानें भारत मे कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल कहाँ पर है और इनसें कितना सोना निकलता है
एस्फाल्ट - जिसका उपयोग सड़कों तथा अन्य स्थानों के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले एस्फाल्ट कंक्रीट का निर्माण करने के लिए बजरी को बांधकर रखने वाले पदार्थ के रूप में किया जाता है।
डामर- इस प्रयोग कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल मूलत: सड़कों को बनाने में किया जाता है| यह काले रंग का होता है| इसकी मदद से सड़क पर बिछायी जाने वाली गिट्टी ठीक से चिपक जाती है |
पेट्रोलियम कोक, जिसका उपयोग विशिष्ट कार्बन उत्पादों (जैसे कुछ प्रकार के इलेक्ट्रोड) अथवा ठोस ईंधन में किया जाता है।
मोम (पैराफिन), जिसका इस्तेमाल अन्य चीजों के अलावा जमे हुए खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग में किया जाता है। इसे पैकेज्ड ब्लॉक के रूप तैयार करने के लिए किसी स्थान तक भारी मात्रा में भेजा जा सकता है।
तेल रिफाइनरियों के द्वारा विभिन्न उत्पाद कैसे बनाये जाते हैं?
कच्चे तेल से निकालने वाले विभिन्न उत्पाद, कच्चे तेल को अलग अलग तापमानों पर संशोधित करने पर प्राप्त होते हैं जैसे सबसे अधिक तापमान 340 0 C पर बिटुमिन मिलता है 270 0 C पर डीजल, 170 0 C पर कैरोसीन, 70 0 C पर पेट्रोल और 20 0 C पर रिफाईनरी गैस मिलती है |
जानें भारत में एक नोट और सिक्के को छापने में कितनी लागत आती है?
भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति के समय तक मात्र असम में ही खनिज तेल निकाला जाता था, लेकिन उसके बाद गुजरात तथा बाम्बे हाई में खनिज तेल का उत्खनन प्रारम्भ किया गया। तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग द्वारा देश के स्थलीय एवं सागरीय भागो में 26 ऐसे बेसिनों का पता लगाया गया है, जहाँ से तेल-प्राप्ति की पर्याप्त संभावनाएं है। अंतर्राष्ट्रीय भू-गर्मिक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में खनिज तेल का भंडार 620 करोड़ टन है। तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग ने भारत का कुल खनिज तेल भंडार 1750 लाख टन बताया है।
भारत के तीन प्रमुख क्षेत्र ऐसे हैं- जहाँ से खनिज तेल प्राप्त किया जा रहा है:
1. सबसे महत्तवपूर्ण तेल क्षेत्र कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल उत्तरी-पूर्वी राज्यों असम तथा मेघालय में फैला है|
भारत में जूट उद्योग
भारत में जूट वस्त्र या जूट उद्योग अत्यधिक स्थानीय उद्योग हैं। देश की स्वतंत्रता के समय बहुत कम जूट उद्योग थे और इनकी संख्या आनुपातिक रूप से वर्षों में काफी बढ़ी है। भारत की जूट मिलें बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार प्रदान करती हैं। पश्चिम बंगाल में कोलकाता और नैहाटी देश में जूट मिलों के अधिकतम अनुपात के लिए जिम्मेदार हैं। नैहाटी की जूट मिलों को हुगली नदी के किनारे स्थापित किया गया है। कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल यह भारत में प्रमुख जूट उत्पादों के विनिर्माण केंद्रों में से एक है। देश में पहली जूट मिल 1859 की शुरुआत में कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल स्थापित की गई थी। इसकी स्थापना कुछ ब्रिटिश उद्योगपतियों ने की थी। एक निर्यात उन्मुख उद्योग होने के नाते, इसका बहुत तेजी से विस्तार हुआ था। देश के विभाजन के बाद अधिकांश मिलें भारत में बनी रहीं, लेकिन कुल जूट उत्पादक क्षेत्र का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा पड़ोसी देश बांग्लादेश में चला गया। हुगली नदी के तट के पास स्थित जूट उद्योग के अलावा, भारत में एक जूट मिल के कई अन्य केंद्र हैं। देश की स्वतंत्रता से पहले, देश के जूट मिलों को उत्तर पूर्वी राज्यों में से कुछ के द्वारा कच्चे जूट की आपूर्ति की कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल गई थी। लेकि, इसकी आजादी के बाद कुल क्षेत्र का बड़ा हिस्सा बांग्लादेश चला गया और इसीलिए भारत को हर साल भारी मात्रा में जूट का आयात करना पड़ता है। जूट उद्योग ने एक समय में सम्मानजनक विदेशी मुद्रा अर्जित की। निर्यात बाजार कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल में बढ़ती लागत और शक्तिशाली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता समस्याएं खड़ी करती हैं। कपड़ा उद्योग के तहत इसका निर्यात मुनाफा समावेशी है। वर्तमान में देश के जूट उद्योग उच्च घनत्व वाले पॉलीथीन से बने कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल अपेक्षाकृत सस्ते सिंथेटिक औद्योगिक पैकिंग कपड़ों से प्रतिस्पर्धा के कारण कठिन समय से गुजर रहे हैं। जूट की कीमत में भारी कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल वृद्धि और जूट कारखानों की कम उत्पादकता देश में जूट उद्योगों की दुर्दशा के पीछे अन्य प्रमुख कारक हैं।
तमिलनाडु में सर्वाधिक सूती वस्त्र के कारखाने कहां पाए जाते हैं?
भारत में पहली सफल कारखाना विदेशी मुद्रा पश्चिम बंगाल आधुनिक सूती वस्त्र मिल की स्थापना वर्ष 1854 में, मुम्बई में कावसजी डाबर द्वारा की गई थी। वर्तमान समय में यह उद्योग अधिक विस्तृत हो चुका है। भारत के सभी राज्यों में, विशेषकर उन राज्यों में जहां भौगोलिक परिस्थितियां अनुकूल हैं एवं कपास की प्रचुरता है, सूती वस्त्र मिलें स्थापित की गई हैं। महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, कर्नाटक एवं केरल सहित अन्य राज्यों में सूती वस्त्र मिलें स्थापित हैं। तमिलनाडु में सर्वाधिक मिलें कोयंबटूर में स्थापित की गई हैं। . अगला सवाल पढ़े
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