कैसे पैटर्न काम करते हैं

Depression In Children: क्या अपने बच्चे को अच्छी तरह समझते हैं? हर 7 में से 1 बच्चा है लो मूड का शिकार, जानें कैसे पता चलेगा
Child Care Tips: बच्चों को भी डिप्रेशन होता है. इनकी लाइफ में भी तनाव, लो मूड, एनर्जी की कमी जैसी समस्याएं होती हैं, जिन्हें पैरेंट्स बच्चों के बहाने या नखरे समझकर अनदेखा कर देते हैं. जो सही नहीं है
By: ABP Live | Updated at : 04 Dec 2022 09:21 AM (IST)
बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण
Childhood Issues: लो मूड और डिप्रेशन ऐसी समस्याएं हैं, जो बच्चों को भी होती हैं. आमतौर पर बच्चों के बारे में यह सोच लिया जाता है कि इन छोटे बच्चों कि किस बात की चिंता, जो इन्हें डिप्रेशन होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. क्योंकि डिप्रेशन का कारण केवल करियर और गृहस्थी का तनाव ही नहीं होता. बल्कि इमोशन सिक्योरिटी फील ना होना, पैरेंट्स से सही अटेंशन ना मिलना या शोषण संबंधी कई दूसरे कारण भी होते हैं, जो बच्चों में डिप्रेशन की वजह बन जाते हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि 'डिप्रेशन इन चिल्ड्रन ऐंड अडोल्सेंट्स: ए रिव्यू ऑफ इंडियन स्टडीज' की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर 7 में से एक भारतीय बच्चा मोटिवेशन की कमी, लो मूड और डिप्रेशन के शुरुआती लक्षणों से जूझ रहा होता है. इससे भी बुरी बात ये है कि करीब 97 प्रतिशत मामलों में पैरेंट्स इस बात पर ध्यान ही नहीं पाते, जिसका बच्चे की पर्सनैलिटी, व्यवहार और मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है.
छोटे बच्चों से लेकर टीनेजर तक
- हमारे देश की पूरी आबादी में करीब 6 प्रतिशत बच्चे हैं. इनमें 13 से 15 साल की उम्र में हर 4 में से एक बच्चा डिप्रेसिव मूड्स से गुजर रहा होता है. यह वो उम्र है, जब बच्चा दुनिया, रिश्ते, समाज, अपना-पराया, सही-गलत जैसी चीजें बड़े स्तर पर सीख रहा होता है. ऐसे में यदि डिप्रेशन के कारण उसे सही राह ना मिले तो वह भटक सकता है.
बच्चों में क्यों होता है डिप्रेशन?
News Reels
- डिप्रेशन की वजह आंतरिक भी होती हैं और बाहरी भी. कई हेल्थ प्रॉब्लम्स भी शरीर में ऐसे हॉर्मोनल इंबैलेंस कर देती हैं कि व्यक्ति पहले एंग्जाइटी और फिर डिप्रेशन की चपेट में आ जाते हैं.
- आंतरिक कारणों में डिप्रेशन की एक वजह कॉन्शियस और अनकॉन्शियस थॉट्स पैटर्न भी होता है. जब लगातार नकारात्मक विचार आने रहते हैं तो बच्चों का कॉन्फिडेंस लेवल डाउन होने लगता है.
- जबकि बाहरी कारणों में सोशियो-इकनॉमिक, अनदेखा किया जाना, माता-पिता की अटेंशन ना मिलना, बुलीइंग, फिजिकल, मेंटल या इमोशल अब्यूज का शिकार होना.
बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण
- बहुत तेजी से वजन बढ़ना या तेजी से वजन घट जाना
- एनर्जी की कमी और हर समय थका हुआ दिखना
- नींद ना आना या बहुत अधिक नींद आना
- आत्मविश्वास की कमी और खुद को फालतू समझना
- कुछ अच्छा होने पर भी खुशी का अनुभव ना होना
- बात-बात पर गुस्सा आना, गुस्से में चीजें फेंकना
- मोटे-मोटे आंसुओं के साथ जोर से रोना
- परिवार और दोस्तों से दूर रहना
- खुद को चोट पहुंचाना या दूसरों को चोट देना
- आत्महत्या के विचार मन में आना या इस बारे में बात करना
बच्चे को डिप्रेशन से कैसे बचाएं
- बच्चे के साथ प्यार से पेश आएं
- बच्चे को अहसास कराएं कि हर स्थिति में आप उसके साथ हैं
- बच्चे को फिजिकल ऐक्टिविटीज में इंवॉल्व करें
- बच्चे को समय दें, उसके साथ बात करें, खेल खेलें या साथ में वॉक पर लेकर जाएं
- बच्चे के टीचर्स से मिलें और पढ़ाई संबंधी फीडबैक लेते रहें
- किसी गलती पर बच्चे को सजा देने के बाद और सजा पूरी होने के बाद उसके साथ प्यार से पेश आएं
- किसी भी गलती के लिए बच्चे को बार-बार टोंट ना मारें या उसे बुरा ना फील कराएं
- जब बच्चा भावनात्मक रूप से कठिस स्थिति से गुजर रहा हो तो उसे हिम्मत बंधाएं और मोटिवेशनल कहानियां सुनाएं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )
Published कैसे पैटर्न काम करते हैं at : 04 Dec 2022 09:21 AM (IST) Tags: Childcare Lifestyle Health हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Lifestyle News in Hindi
Depression In Children: क्या अपने बच्चे को अच्छी तरह समझते हैं? हर 7 में से 1 बच्चा है लो मूड का शिकार, जानें कैसे पता चलेगा
Child Care Tips: बच्चों को भी डिप्रेशन होता है. इनकी लाइफ में भी तनाव, लो मूड, एनर्जी की कमी जैसी समस्याएं होती हैं, जिन्हें पैरेंट्स बच्चों के बहाने या नखरे समझकर अनदेखा कर देते हैं. जो सही नहीं है
By: ABP Live | Updated at : 04 Dec 2022 09:21 AM (IST)
बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण
Childhood Issues: लो मूड और डिप्रेशन ऐसी समस्याएं हैं, जो बच्चों को भी होती हैं. आमतौर पर बच्चों के बारे में यह सोच लिया जाता है कि इन छोटे बच्चों कि किस बात की चिंता, जो इन्हें डिप्रेशन होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. क्योंकि डिप्रेशन का कारण केवल करियर और गृहस्थी का तनाव ही नहीं होता. बल्कि इमोशन सिक्योरिटी फील ना होना, पैरेंट्स से सही अटेंशन ना मिलना या शोषण संबंधी कई दूसरे कारण भी होते हैं, जो बच्चों में डिप्रेशन की वजह बन जाते हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि 'डिप्रेशन इन चिल्ड्रन ऐंड अडोल्सेंट्स: ए रिव्यू ऑफ इंडियन स्टडीज' की एक रिपोर्ट के अनुसार, हर 7 में से एक भारतीय बच्चा मोटिवेशन की कमी, लो मूड और डिप्रेशन के शुरुआती लक्षणों से जूझ रहा होता है. इससे भी बुरी बात ये है कि करीब 97 प्रतिशत मामलों में पैरेंट्स इस बात पर ध्यान ही नहीं पाते, जिसका बच्चे की पर्सनैलिटी, व्यवहार और मेंटल हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है.
छोटे बच्चों से लेकर कैसे पैटर्न काम करते हैं टीनेजर तक
- हमारे देश की पूरी आबादी में करीब 6 प्रतिशत बच्चे हैं. इनमें 13 से 15 साल की उम्र में हर 4 में से एक बच्चा डिप्रेसिव मूड्स से गुजर रहा होता है. यह वो उम्र है, जब बच्चा दुनिया, रिश्ते, समाज, अपना-पराया, सही-गलत जैसी चीजें बड़े स्तर पर सीख रहा होता है. ऐसे में यदि डिप्रेशन के कारण उसे सही राह ना मिले तो वह भटक सकता है.
बच्चों में क्यों होता है डिप्रेशन?
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- डिप्रेशन की वजह आंतरिक भी होती हैं और बाहरी भी. कई हेल्थ प्रॉब्लम्स भी शरीर में ऐसे हॉर्मोनल इंबैलेंस कर देती हैं कि व्यक्ति पहले एंग्जाइटी और फिर डिप्रेशन की चपेट में आ जाते हैं.
- आंतरिक कारणों में डिप्रेशन की एक वजह कॉन्शियस और अनकॉन्शियस थॉट्स पैटर्न भी होता है. जब लगातार नकारात्मक विचार आने रहते हैं तो बच्चों का कॉन्फिडेंस लेवल डाउन होने लगता है.
- जबकि बाहरी कारणों में सोशियो-इकनॉमिक, अनदेखा किया जाना, माता-पिता की अटेंशन ना मिलना, बुलीइंग, फिजिकल, मेंटल या इमोशल अब्यूज का शिकार होना.
बच्चों में डिप्रेशन के लक्षण
- बहुत तेजी से वजन बढ़ना या तेजी से वजन घट जाना
- एनर्जी की कमी और हर समय थका हुआ दिखना
- नींद ना आना या बहुत अधिक नींद आना
- आत्मविश्वास की कमी कैसे पैटर्न काम करते हैं और खुद को फालतू समझना
- कुछ अच्छा होने पर भी खुशी का अनुभव ना होना
- बात-बात पर गुस्सा आना, गुस्से में चीजें फेंकना
- मोटे-मोटे आंसुओं के साथ जोर से रोना
- परिवार और दोस्तों से दूर रहना
- खुद को चोट पहुंचाना या दूसरों को चोट देना
- आत्महत्या के विचार मन में आना या इस बारे में बात करना
बच्चे को डिप्रेशन से कैसे बचाएं
- बच्चे के साथ प्यार से पेश आएं
- बच्चे को अहसास कराएं कि हर स्थिति में आप उसके साथ हैं
- बच्चे को फिजिकल ऐक्टिविटीज में इंवॉल्व करें
- बच्चे को समय कैसे पैटर्न काम करते हैं दें, उसके साथ बात करें, खेल खेलें या साथ में वॉक पर लेकर जाएं
- बच्चे के टीचर्स से मिलें और पढ़ाई संबंधी फीडबैक लेते रहें
- किसी गलती पर बच्चे को सजा देने के बाद और सजा पूरी होने के बाद उसके साथ प्यार से पेश आएं
- किसी भी गलती के लिए बच्चे को बार-बार टोंट ना मारें या उसे बुरा ना फील कराएं
- जब बच्चा भावनात्मक रूप से कठिस स्थिति से गुजर रहा हो तो उसे हिम्मत बंधाएं और मोटिवेशनल कहानियां सुनाएं.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.
Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )
Published at : 04 Dec 2022 09:21 AM (IST) Tags: Childcare Lifestyle Health हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Lifestyle News in Hindi
विश्व : ब्रिटेन की सौ कंपनियों ने दिया अपने कर्मचारियों को बड़ा तोहफा, ‘सप्ताह में चार दिन काम’ वाली योजना शुरू की
बढ़ती महंगाई और मंदी की चपेट में आई ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए 4 दिन का काम और 3 दिन अवकाश कार्य प्रणाली का परिक्षण शुरू
वैश्विक मंदी की आशंका के बीच कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां कर्मचारियों की छंटनी कर रही हैं। वहीं, कैसे पैटर्न काम करते हैं ब्रिटेन की 100 कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है। यूनाइटेड किंगडम की 100 कंपनियों ने घोषणा की है कि बढ़ती महंगाई और मंदी की चपेट में आई ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए वे अपने कर्मचारियों को 4 दिन का काम, यानी 4 दिन का काम और 3 दिन का अवकाश देंगी। खास बात यह है कि इन कंपनियों ने सभी कर्मचारियों के लिए बिना वेतन काटे स्थायी रूप से सप्ताह में चार दिन काम करने का नियम बना दिया है।
4 दिन काम करने से कंपनियों की प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी
आपको बता दें कि इस बड़े ऐलान को लेकर इन कंपनियों का मानना है कि हफ्ते में 4 दिन काम करके वे देश में बड़ा बदलाव ला सकेंगी। इन 100 कंपनियों में करीब 2,600 कर्मचारी काम करते हैं। यूके की इन कंपनियों का तर्क है कि सप्ताह में 5 के बजाय 4 दिन काम करने से कंपनियां अपनी उत्पादकता में सुधार करने के लिए प्रेरित होंगी, जिसका अर्थ है कि वे कम घंटों का उपयोग करके समान उत्पादन दे सकती हैं।
ब्रिटेन की दो सबसे बड़ी कंपनियां भी शामिल
आपको कैसे पैटर्न काम करते हैं बताते चले कि इन 100 कंपनियों में ब्रिटेन की दो सबसे बड़ी कंपनियां, एटम बैंक और ग्लोबल मार्केटिंग फर्म एविन शामिल हैं, जो 4-दिवसीय कार्य संस्कृति को अपनाती है। यूके में दोनों कंपनियों के करीब 450 कर्मचारी हैं। एविन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एडम रॉस ने द गार्जियन को बताया, "हम एक नए कामकाजी पैटर्न को अपनाकर सबसे ऐतिहासिक बदलाव का नेतृत्व कर रहे हैं। यह न केवल ग्राहक सेवा में सुधार करता है बल्कि कम बोझ वाले कर्मचारियों की प्रतिभा को भी निखारता है।
दुनिया भर की 70 अन्य कंपनियां ट्रायल कर रही हैं
गौरतलब है कि ब्रिटेन की इन 100 कंपनियों के अलावा दुनिया की 70 कंपनियां भी 4 दिनों से पायलट प्रोजेक्ट के तहत काम कर रही हैं। हालांकि, यह अभी ट्रायल स्टेज में है। इन कंपनियों में करीब 3,300 लोग काम करते हैं। वहीं कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड के साथ ही बोस्टन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता इस विषय पर शोध कर रहे हैं।
ट्रायल में अच्छा रहा व्यापार
सितंबर में ट्रायल के बीच में जब इन कंपनियों से पूछा गया कि ट्रायल कैसा चल रहा है तो 80 से ज्यादा कंपनियों ने कहा कि 4 दिन काम करना उनके बिजनेस के लिए अच्छा रहा। यूके के अभियान निदेशक जो राइल ने कहा कि चार दिवसीय सप्ताह को अपनाने से गति बढ़ रही है, हालांकि कंपनियां लंबे समय तक मंदी के लिए तैयार थीं।
BU BHOPAL NEWS- हॉस्टल में इंजीनियरिंग स्टूडेंट की संदिग्ध मौत, छिंदवाड़ा का निवासी था
बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी भोपाल मध्य प्रदेश के हॉस्टल में रह रहे एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट की संदिग्ध मौत हो गई। उसे गंभीर हालत में एम्स भोपाल में भर्ती किया गया था। डॉक्टर उसकी मृत्यु का स्पष्ट कारण नहीं बता पा रहे हैं। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मृत्यु का कारण पता चल सकेगा। मृत स्टूडेंट छिंदवाड़ा का रहने वाला था।
BHOPAL NEWS- छिंदवाड़ा के कैसे पैटर्न काम करते हैं प्रफुल्ल बंसौड़ को साथी स्टूडेंट्स भर्ती करने लाए थे
लोकल पुलिस स्टेशन से मिली जानकारी के अनुसार, छिंदवाड़ा निवासी प्रफुल्ल बंसौड़ पिता महेन्द्र बंसौड़ कैसे पैटर्न काम करते हैं बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से बीई (आईटी) थर्ड ईयर का स्टूडेंट था। वह बीयू परिसर में बने हॉस्टल में रहता था। रविवार सुबह उसे अचानक उल्टी-दस्त होने लगा। शाम तक तबियत अधिक बिगड़ने पर हॉस्टल में रहने वाले साथी स्टूडेंट उसे एम्स लेकर पहुंचे। डॉक्टर्स ने नाजुक हालत को देखते हुए फौरन उसे CPR दिया। वेंटीलेटर पर रखा। थोड़ी देर तक चले उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
BHOPAL NEWS- भाई के पहुंचने से पहले ही प्रफुल्ल की मौत हो गई थी
प्रफुल्ल के बड़े भाई रूपम बंसौड़ ने बताया कि उसका परिवार छिंदवाड़ा जिले के जाम गांव-सौसर थाना क्षेत्र का रहना वाला है। बीते 5 सालों से प्रफुल्ल पढ़ाई की वजह से भोपाल में रह रहा था। रविवार दोपहर उसे भोपाल से प्रफुल्ल के दोस्तों का फोन आया कि उसकी हालात काफी खराब है। उसे एम्स में भर्ती कराया गया है। जिसके बाद वो देर रात अस्पताल पहुंचा, तब तक भाई की मौत हो चुकी थी। डाक्टरों ने बताया कि प्रफुल्ल की शाम 6:30 बजे मौत हुई थी।
MP NEWS- मजदूर का बेटा था प्रफुल्ल, इंजीनियर बनने वाला था
प्रफुल्ल के पिता महेंद्र ने बताया कि वो नागपुर की एक फैक्ट्री में मजदूरी का काम करते हैं। दोपहर करीब 3 बजे प्रफुल्ल के दोस्तों का फोन आया, लेकिन मशीनों की तेज आवाज में उन्हें फोन की आवाज सुनाई नहीं दी। थोड़ी देर बाद उन्होंने मिस कॉल देखकर वापस बैक कॉल किया, तो उन्हें पता चला कि बेटा अस्पताल में भर्ती है। जिसके बाद वो पहले शाम को गांव गए और फिर सुबह भोपाल पहुंचे।