हेजिंग टूल्स

दुनिया के नामी फार्मा शेयरों के बाद भारतीय निवेशक अब दिग्गज टेक्नोलॉजी शेयरों की ओर
निवेशकों के बीच यह नया चलन हेजिंग टूल्स कितनी तेजी पकड़ रहा है इसका एक सबूत तो यह है कि 2020 में अब तक ग्लोबल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर एक लाख नए अकाउंट खुल चुके हैं.
By: एबीपी न्यूज़ | Updated at : 23 Nov 2020 03:16 PM (IST)
Photo Credit: Google Free Search
नई दिल्लीः दुनिया की नामचीन फार्मा कंपनियों में निवेश के बाद बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों में भी भारतीय निवेशकों की दिलचस्पी काफी बढ़ गई है. फेसबुक, अमेजन, एपल, नेटफ्लिक्स, माइक्रोसॉफ्ट, अल्फाबेट और टेस्ला के शेयरों में निवेश अब भारतीय निवेशकों के बीच आम होने लगा है. निवेशकों की दिलचस्पी FAANG शेयरों ( Facebook, Amazon, Apple, Netflix and Alphabet (पहले Google) में तेजी से हेजिंग टूल्स बढ़ी है. दरअसल कई घरेलू ब्रोकरेज ने अपने ग्लोबल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म लॉन्च किए हैं. इसके बाद ही देशी निवेशक भी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के शेयरों में निवेश कर रहे हैं.
FAANG शेयरों की मांग बढ़ी
निवेशकों के बीच यह नया चलन कितनी तेजी पकड़ रहा है इसका एक सबूत तो यह है कि 2020 में अब तक ग्लोबल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर एक लाख नए अकाउंट खुल चुके हैं. पिछले साल दिसंबर से अब तक टर्नओवर दस गुना बढ़ चुका है. दरअसल Liberalised remittence scheme यानी LRS की वजह से फंड ट्रांसफर आसान हुआ है. साथ ही निवेश की लागतें भी घटी हैं. दूसरी ओर FAANG,Tesla,Nike और कुछ दूसरे शेयरों के मिलेनियल्स की दिलचस्पी ने भी ग्लोबल कंपनियों के शेयरों में उछाल पैदा की है.
फार्मा शेयरों हेजिंग टूल्स में भी खासा निवेश
News Reels
इस बीच, कोरोना वैक्सीन के मोर्चे पर अच्छी खबरों ने अमीर भारतीयों का रुझान बहुराष्ट्रीय फार्मा कंपनियों की ओर बढ़ा दिया है. जिस तरह दुनिया भर के अमीर, फार्मा कंपनियों में पैसा लगा रहे हैं ठीक उसी तरह भारतीय अमीर भी इस खेल में शामिल हो गए हैं. हाल के दिनों में कई एचएनआई औैर यहां तक कि रिटेल निवेशकों ने भी मॉडर्ना, फाइजर, जॉनसन एंड जॉनसन, एस्ट्रा जेनेका, ग्लैक्सो स्मिथक्लाइन, एबॉट और सनोफी के शेयरों में निवेश किया है.
भारत के निवेशकों की ओर से एसेट डाइवर्सिफिकेशन और हेजिंग की इस स्ट्रेटजी की शुरुआत 2014-15 में हुई थी. लेकिन कोरोना संक्रमण के दौर में इस ट्रेंड ने और जोर पकड़ा है. फार्मा कंपनियों के शेयरों में निवेश इसी ट्रेंड का हिस्सा है. घरेलू और इंटरनेशनल मार्केट में फाइजर, एस्ट्रा जेनेका, एबॉट और सनोफी के शेयरों में निवेश कर रहे हैं.
Published at : 23 Nov 2020 03:16 PM (IST) Tags: FAANG Shares Global technology share Pharma Share technology share हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
Daily Current Affairs Adda : Daily Newsletter.
Dear Readers, भारत की प्रमुख नदियाँ ( India's Major Rivers ) भारत की नदियों का देश के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में प्राचीनका.
Dear Readers, की-बोर्ड एक आउटपुट डिवाइस हैं, कम्प्यूटर की-बोर्ड में मौजूद F1 से F12 तक बटन या की को फंक्शन की कहते हैं। Function Keys.
Dear Readers, भारत की नदियों का देश के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में प्राचीनकाल से ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सिन्धु तथा गंगा नदियों .
Silver Price : अब चांदी भी बना सकती है लखपति, जानिए कैसे…
HR BREAKING NEWS. Silver Price : भारत समेत दुनियाभर में ब्याज दरें देर-सबेर बढ़ने की आशंका से इक्विटी मार्केट की तेजी थमने के आसार हैं। दूसरी तरफ माना जा रहा है कि इस साल तीसरी लहर के बाद कोविड महामारी खत्म हो जाएगी। ऐसे में अनिश्चितता घटेगी और सोने को अतिरिक्त सपोर्ट मिलना कम हो
HR BREAKING NEWS. Silver Price : भारत समेत दुनियाभर में ब्याज दरें देर-सबेर बढ़ने की आशंका से इक्विटी मार्केट की तेजी थमने के आसार हैं। दूसरी तरफ माना जा रहा है कि इस साल तीसरी लहर के बाद कोविड महामारी खत्म हो जाएगी। ऐसे में अनिश्चितता घटेगी और सोने को अतिरिक्त सपोर्ट मिलना कम हो जाएगा। इस बीच महंगाई लोगों की जेब काटती रहेगी, जिससे बचाव में चांदी तगड़ी हेजिंग टूल साबित हो सकती है।
3 साल में 250% तक रिटर्न हेजिंग टूल्स की उम्मीद
ज्यादातर विश्लेषकों का मानना है कि 2022 और अगले कुछ वर्षों तक चांदी में (Silver Price) जोरदार तेजी का रुझान रहेगा। केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया का अनुमान है कि इस साल चांदी 80 हजार और अगले तीन साल में 1.5 लाख रुपए तक का लेवल देख सकती है। फिलहाल यह 61 हजार रुपए प्रति किलो के आसपास है। इस हिसाब से चांदी इस साल 33% और अगले तीन वर्षों में 250% तक रिटर्न दे सकती है।
पृथ्वी फिनमार्ट के डायरेक्टर मनोज हेजिंग टूल्स कुमार जैन का अनुमान है कि इस साल चांदी 74 हजार और तीन साल में 1 लाख तक पहुंच सकती है। इस हिसाब से भी चांदी 67% से ज्यादा रिटर्न दे सकती है।
इन तीन कारणों से चांदी में (Silver Price) बड़ी तेजी की संभावना
1. जिस हिसाब से मांग बढ़ रही है उतनी तेजी से चांदी की माइनिंग में इजाफा नहीं हो पा रहा है। 2018-20 तक चांदी की माइनिंग लगातार घटती रही।
2. ऑटोमोबाइल, सोलर और इलेक्ट्रिक व्हीकल इंडस्ट्री से चांदी की अतिरिक्त डिमांड निकल रही है। यह मांग साल-दर-साल बढ़ती जा रही है।
3. अमेरिका के राष्ट्रपति ग्रीन टेक्नोलॉजी को सपोर्ट कर रहे हैं। ग्रीन यानी पर्यावरण के अनुकूल टेक्नोलॉजी में चांदी का ज्यादा इस्तेमाल होता है।
पांच साल से लगातार बढ़ रही डिमांड (Silver Price), लेकिन सप्लाई स्थिर
लंदन स्थित सिल्वर इंस्टीट्यूट के मुताबिक, बीते 5 वर्षों से चांदी की वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है। 2020 इसका अपवाद रहा, जब कोविड महामारी चरम पर थी। इसके उलट 2017 के बाद से चांदी की माइनिंग में लगातार कमी आ रही है। सिर्फ 2021 में सालाना आधार पर चांदी की माइनिंग बढ़ी थी, लेकिन यह 2020 के लो-बेस के कारण हुआ था। तब भी खनन सिर्फ 8.2% बढ़ा था, जबकि उस दौरान चांदी की डिमांड में 15.3% की बढ़ोतरी हुई थी।
ग्लोबलडेटा की एक रिपोर्ट कहती है कि 2022-24 के बीच चांदी की डिमांड 25-30% बढ़ेगी। इसके उलट 2022 से लेकर 2024 तक चांदी की माइनिंग में मात्र 8 फीसदी का इजाफा होने का अनुमान है।
Gold Price News : महंगाई बढ़ने के साथ-साथ बढ़ती रही है सोने की कीमतें, लेकिन इस बार हालात पहले जैसे नहीं
Gold Price News : बीते कुछ महीनों से सोने की कीमत हैरत में डाल रही है, दुनियाभर में महंगाई तेजी से बढ़ने के बावजूद सोने की कीमतों में उछाल नहीं आ रहा, यह 51 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के करीब बना हुआ है.
Gold Price News : बीते कुछ महीनों से सोने का भाव हैरत में डाल रहा है। दुनियाभर में महंगाई तेजी से बढ़ने के बावजूद सोने की कीमतों में उछाल नहीं आ रहा। यह 51 हजार रुपए प्रति 10 ग्राम के करीब बना हुआ है। बता दें कि परंपरागत रूप से महंगाई हेजिंग टूल्स बढ़ने पर सोने की कीमत बढ़ती है। इससे महंगाई के चलते हुए नुकसान की भरपाई हो जाती है, इसीलिए दुनियाभर में सोने को महंगाई से बचाव का साधन (हेजिंग टूल) माना जाता है। इस बार, हालांकि, यह ट्रेंड नहीं है।
सोने के दामों में केवल 3.17% तेजी की संभावना
'दैनिक भास्कर' में छपी एक खबर के अनुसार साल 2020 में वैश्विक महंगाई दर 3.18% थी, जो 2022 में दो गुना से भी ज्यादा 7% से पार हो गई है। अमेरिका, यूरोप और ब्रिटेन में महंगाई दर 40 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर है। फिर भी सोने की कीमत न केवल स्थिर है, बल्कि 2020 के पीक से 10 फीसदी नीचे है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के अनुसार इस साल सोना 1,850 डॉलर प्रति औंस (1.44 लाख रु./28.35 ग्राम) से ऊपर नहीं जाएगा। मतलब सोने में 3.17% तेजी की ही संभावना है। अप्रैल में भारत में महंगाई दर 8 साल के ऊंचे स्तर 7.79% पर पहुंच गई, जो अप्रैल 2021 में 4.23% थी। दूसरी ओर, सोने की कीमत सिर्फ 5% बढ़ी।
सोने की कीमतों में तेजी की संभावना कम
साल 2020 से 2021 तक सोने की कीमत 48600 -48700 रुपए प्रति ग्राम के बीच घूमती रही। एमके वेल्थ मैनेजमेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार इस साल सोने की कीमत 51500 रुपए प्रति 10 ग्राम से ऊपर जाने की संभावना कम है, जो अभी तक 51,170 रुपए के आसपास है।
एमके वेल्थ मैनेजमेंट के अनुसार, अमेरिका, यूरोप और भारत समेत दुनियाभर में ब्याज दरें बढ़ी हैं। यह सिलसिला आगे जारी रह सकता है। ऐसे में निवेश के लिए सोने की खरीद घट जाती है। वैसे भी ब्याज दरें बढ़ने पर डॉलर महंगा होता है, जिसके चलते सोने की कीमत कम नजर आती है।
महंगाई सोने की जगह डॉलर को कर रही है सपोर्ट
'दैनिक भास्कर' की एक खबर के मुताबिक पृथ्वी फिन मार्ट के डायरेक्टर और कमोडिटी एंड करेंसी हेड मनोज जैन का कहना है कि महंगाई सोने की जगह डॉलर को सपोर्ट कर रही है। अमेरिका में महंगाई दर 8.5% तक पहुंचने से फेड लगातार ब्याज दर बढ़ा रहा है। इससे डॉलर इंडेक्स मजबूत हो रहा है। नतीजतन सोने की कीमत नहीं बढ़ रही है।
(जनता की पत्रकारिता करते हुए जनज्वार लगातार निष्पक्ष और निर्भीक रह सका है तो इसका सारा श्रेय जनज्वार के पाठकों और दर्शकों को ही जाता है। हम उन मुद्दों की पड़ताल करते हैं जिनसे मुख्यधारा का मीडिया अक्सर मुँह चुराता दिखाई देता है। हम उन कहानियों को पाठक के सामने ले कर आते हैं जिन्हें खोजने और प्रस्तुत करने में समय लगाना पड़ता है, संसाधन जुटाने पड़ते हैं और साहस दिखाना पड़ता है क्योंकि तथ्यों से अपने पाठकों और व्यापक समाज को रू—ब—रू कराने के लिए हम कटिबद्ध हैं।
हमारे द्वारा उद्घाटित रिपोर्ट्स और कहानियाँ अक्सर बदलाव का सबब बनती रही है। साथ ही सरकार और सरकारी अधिकारियों को मजबूर करती रही हैं कि वे नागरिकों को उन सभी चीजों और सेवाओं को मुहैया करवाएं जिनकी उन्हें दरकार है। लाजिमी है कि इस तरह की जन-पत्रकारिता को जारी रखने के लिए हमें लगातार आपके मूल्यवान समर्थन और सहयोग की आवश्यकता है।
सहयोग राशि के रूप में आपके द्वारा बढ़ाया गया हर हाथ जनज्वार को अधिक साहस और वित्तीय सामर्थ्य देगा जिसका सीधा परिणाम यह होगा कि आपकी और आपके आस-पास रहने वाले लोगों की ज़िंदगी को प्रभावित करने वाली हर ख़बर और रिपोर्ट को सामने लाने में जनज्वार कभी पीछे नहीं रहेगा, इसलिए आगे आयें और जनज्वार को आर्थिक सहयोग दें।)
NSE 11 अक्टूबर से डॉलर-रुपया फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट शुरू करेगा, जानें
इसमें सौदे का आकार 1,000 डॉलर का होगा और एक्सचेंज के मुद्रा डेरिवेटिव खंड में कारोबार के लिये उपलब्ध होगा. इससे पहले, एनएसई ने 3 दिसंबर, 2018 को डॉलर-रुपया मुद्रा जोड़े का साप्ताहिक विकल्प कारोबार शुरू किया था.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। प्रमुख शेयर बाजार नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) अमेरिकी डॉलर-भारतीय रुपया (USD-Rupee) करेंसी जोड़े में 11 अक्टूबर से साप्ताहिक वायदा अनुबंध (Weekly Futures Contracts) शुरू करेगा. कारोबार के लिये 11 साप्ताहिक वायदा अनुबंध उपलब्ध होगा. इसमें जहां मासिक अनुबंध शुक्रवार को समाप्त होगा वह 'एक्सपायरी' सप्ताह शामिल नहीं होगा. एनएसई के मुताबिक, इसमें सौदे का आकार 1,000 डॉलर का होगा और एक्सचेंज के मुद्रा डेरिवेटिव खंड में कारोबार के लिये उपलब्ध होगा.
इससे पहले, एनएसई ने तीन दिसंबर, 2018 को डॉलर-रुपया मुद्रा जोड़े का साप्ताहिक विकल्प कारोबार शुरू किया था. कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी के दिन दोपहर 12:30 बजे समाप्त होंगे. विज्ञप्ति में कहा गया है कि तब से USD-INR डेरिवेटिव्स (वायदा और विकल्प) में रोजाना औसत टर्नओवर FY19 में 17,011 करोड़ रुपये से 12 फीसदी बढ़कर FY22 में 19,007 करोड़ रुपये (29 सितंबर, 2021 तक) हो गया है.
वीकली डेरिवेटिव ने बाजार सहभागियों को सरकारी नीतियों, इकोनॉमिक डेटा रिलीज, सरकारी रिपोर्ट या किसी खास समय में होने वाली बाजार की घटनाओं से उपजी विभिन्न अल्पकालिक बाजार आंदोलनों के लिए अपने जोखिम का प्रबंधन करने के लिए एक कम लागत वाला लेनदेन उपकरण प्रदान किया है.
विज्ञप्ति में कहा गया है कि ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का छोटा कार्यकाल भी समय से संबंधित प्रीमियम को सीमित करने में मदद करता है, जिससे बाजार सहभागियों को उनके पोर्टफोलियो के लिए अपेक्षाकृत कम लागत के लिए अल्पकालिक सुरक्षा प्रदान की जाती है.
एनएसई के एमडी और सीईओ विक्रम लिमये ने कहा, USD-INR करेंसी जोड़ी पर वीकली वायदा की शुरुआत मौजूदा मंथली कॉन्ट्रैक्ट का पूरक होगा और बाजार सहभागियों को उनके एक्सपोजर और व्यापार अल्पकालिक बाजार आंदोलनों का प्रबंधन करने के लिए एक लचीला और सटीक हेजिंग टूल प्रदान करेगा.
पिछले हफ्ते पूंजी बाजार नियामक सेबी ने एनएसई की 'को-लोकेशन' सुविधा के संदर्भ में नियमों के उल्लंघन को लेकर मास्टर कैपिटल सर्विसेज लि. पर तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया. 'को-लोकेशन' सुविधा के तहत सदस्यों को शुल्क देकर एनएसई परिसर में अपना सर्वर लगाने की अनुमति मिलती है.
ब्रोकर एनएसई के ई-मेल के बावजूद 2013 और 2014 में (सात अप्रैल, 2014 तक) वायदा एवं विकल्प खंड में कुल 317 कारोबारी दिवस में 256 दिन या 81 प्रतिशत सेकेंडरी सर्वर कनेक्शन से जुड़ा.