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टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते हैं

टेक्निकल एनालिसिस  कैसे करते हैं
फंडामेंटल तौर पर मजबूत स्टॉक की पहचान काफी आसान होता है क्योंकि आप इसे लंबे समय में करते हैं. वहीं टेक्निकल एनालिसिस में एकाएक उतार-चढ़ाव को एनालिसिस करना होता है. (Image- Pixabay)

Technical Analysis Vs. Fundamental Analysis in Hindi | टेक्निकल एनालिसिस और फंडामेंटल एनालिसिस बीच का अंतर

Technical Analysis Vs. Fundamental Analysis

यह एक बड़ा मुद्दा है और इन दोनों के उपयोग कर्ता के बिच बहोत बार इस विषय में तनातनी होती रहती है की कौन बहेतर है| जब भी किसी दो वस्तुओ में अंतर देखना हो तब सबसे पहले उन वस्तु या विषय को अच्छे से समजना चाहिए| Technical Analysis और Fundamental Analysis के बिच में अंतर समजने के लिए हमे Technical Analysis और Fundamental Analysis को अच्छे से समजना पड़ेंगे|

What is Technical Analysis in Hindi?

टेक्निकल एनालिसिस(Technical Analysis in Hindi) को आसान भाषा में समझे तो “बाजार में घटने वाली घटनाओं के आधार पर या शेयर के भूतकाल के भाव और वॉल्यूम का एनालिसिस करके भविष्य में शेयर का मूल्य तय करने की एक प्रक्रिया को Technical Analysis कहा जाता है| “ Technical Analysis के बारेमे अधिक पढने के लिए यहाँ क्लीक करे|

What is Fundamental Analysis in Hindi?

फंडामेंटल एनालिसिस में किसी भी कंपनी की बैलेंस शीट देखकर उसका भविष्य देखा जाता है| कंपनी के द्वारा अच्छा या बुरा प्रदर्शन करने पर उसके शेयर के प्राइस पर उसकी असर देखने को मिलती है| यहाँ हमने आपसे फंडामेंटल एनालिसिस की बारे में सबकुछ जानकारी दी है जिसे पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करे|

Technical Analysis और Fundamental Analysis के बिच में अंतर

Technical AnalysisFundamental Analysis
टेक्निकल एनालिसिस माँ शेयर का भाव उसमे होने वाले उतर चढ़ाव के माध्यम से किया जाता है|फंडामेंटल एनालिसिस में शेयर का भाव शेयर की Intrinsic value के आधार पर किया जाता है|
टेक्निकल एनालिस्ट स्टॉक खरीदने के लिए टेक्निकल एनालिसिस करने के टूल को देखता है और उसके माध्यम से वह तय करता है की शेयर को कब खरीदना चाहिए|फंडामेंटल एनालिस्ट स्टॉक को खरीदने से पहले कंपनी के सभी फंडामेंटल को देखता है उसके अलावा वह सेक्टर और कंपनी के मनाग्मेंट को भी देखता है|
टेक्निकल एनालिस्ट स्टॉक चार्ट का उपयोग पैटर्न और रुझानों की पहचान करने के लिए करते हैं जो यह सुझाव देते हैं कि भविष्य में स्टॉक क्या करेगा।फंडामेंटल एनालिस्ट द्वारा कमाई, खर्च, संपत्ति और देनदारियां सभी जांच करते है।

यहाँ हमने आपसे Technical Analysis Vs. Fundamental Analysis in Hindi (टेक्निकल एनालिसिस और फंडामेंटल एनालिसिस बीच का अंतर) क्या है उस पर जानकारी दी है|हमें आशा है की आपको यहाँ दी गयी जानकारी पसंद आई होगी

Stock Market Tips: किसी शेयर में निवेश से पहले आप खुद भी करें रिसर्च, जानें फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस का फर्क और अहमियत

Fundamental vs Technical Analysis: स्टॉक मार्केट टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते हैं में निवेश को लेकर कई रिकमंडेशंस या टिप्स मिलते हैं लेकिन आपको खुद एनालिसिस करनी चाहिए.

Stock Market Tips: किसी शेयर में निवेश से पहले आप खुद भी करें रिसर्च, जानें फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस का फर्क और अहमियत

फंडामेंटल तौर पर मजबूत स्टॉक की पहचान काफी आसान होता है क्योंकि आप इसे लंबे समय में करते हैं. वहीं टेक्निकल एनालिसिस में एकाएक उतार-चढ़ाव को एनालिसिस करना होता है. (Image- Pixabay)

Stock Market Tips: स्टॉक मार्केट में निवेश के लिए बेहतरीन शेयरों का चयन करना पहला स्टेप होता है. इसके लिए मुख्य रूप से दो तरीकों से एनालिसिस किया जाता है जैसे कि फंडामेंटल एनालिसिस या टेक्निकल एनालिसिस. हालांकि कभी-कभी कंफ्यूजन होती है कि इन दोनों ही एनालिसिस के जरिए शेयरों का चयन किया जाए या किसी एक एनालिसिस के सहारे स्टॉक मार्केट से मुनाफे की रणनीति अपनाई जाए.

कुछ निवेशक किसी एक एनालिसिस के सहारे शेयरों का चयन करते हैं लेकिन एनालिस्ट्स का मानना है कि टेक्निकल एनालिसिस करते समय भी कुछ फंडामेंटल भी देखना चाहिए और इसी प्रकार फंडामेंटल एनालिसिस करते समय कुछ टेक्निकल भी देखना चाहिए. इसके अलावा स्टॉक मार्केट में निवेश को लेकर कई रिकमंडेशंस या टिप्स मिलते हैं लेकिन आपको खुद एनालिसिस करनी चाहिए. ऐसे में आइए जानते हैं कि दोनों एनालिसिस क्या है और दोनों में क्या फर्क है.

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Fundamental Analysis

इसमें कंपनी के फाइनेंशियल्स और P/E Ratio और P/B Ratio जैसे रेशियो को देखते हैं. इसके अलावा और भी रेशियो को एनालाइज करते हैं. अब अगर जैसे पीई रेशियो की बात करें तो इसकी वैल्यू अगर कम है तो इसका मतलब है कि इसमें ग्रोथ की काफी गुंजाइश है जब पीबी रेशियो कम है तो इसका मतलब हुआ कि स्टॉक अंडरवैल्यूड है. इसके अलावा फंडामेंटल एनालिसिस में बीटा को भी देखते हैं जो अगर एक से अधिक है तो इसका मतलब हुआ कि मार्केट की तुलना में यह अधिक वोलेटाइल है. जो कंपनियां हाई डिविडेंड यील्ड वाली हैं और कर्ज मुक्त हैं, वे फंडामेंटली रूप से बहुत मजबूत हैं.

Technical Analysis

टेक्निकल एनालिसिस फंडामेंटल एनालिसिस की तुलना में थोड़ा अधिक कांप्लेक्स है. इसके तहत रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI), बोलिंजर बैंड्स (Bollinger Bands) जैसे 30-40 टेक्निकल इंडिकेटर्स का एनालिसिस किया जा सकता है. इस एनालिसिस में स्टॉक की मजबूती और रूझानों का अनुमान लगाया जाता है.

Fundamental vs Technical Analysis

फंडामेंटल और टेक्निकल एनालिसिस को कुछ फैक्टर पर किया जााता है जैसे कि समय, रिस्क और ट्रैकिंग.

  • समय- फंडामेंटल एनालिसिस आमतौर पर ऐसे समय में किया जाता है जब आपको लंबे समय के लिए किसी स्टॉक को होल्ड करना है. इसके तहत ऐसे स्टॉक की पहचान की जाती है जो समय के साथ और मजबूत होंगे. इसके विपरीत टेक्निकल एनालिसिस को शॉर्ट टर्म में किसी स्टॉक में पैसे लगाने के लिए किया जाता है. इसमें बुलिश स्टॉक की पहचान की जाती है.
  • रिस्क- फंडामेंटल रूप से मजबूत शेयरों में निवेश पर रिस्क कम होता है जबकि टेक्निकल वैरिएबल्स में ऐसा दावा नहीं किया जा सकता है.
  • ट्रैकिंग- फंडामेंटल तौर पर मजबूत स्टॉक की पहचान काफी आसान होता है क्योंकि आप इसे लंबे समय में करते हैं. वहीं टेक्निकल एनालिसिस में एकाएक उतार-चढ़ाव को एनालिसिस करना होता है.
  • वैल्यू: फंडामेंटल एनालिसिस में किसी कंपनी के कारोबार, इंडस्ट्री और मार्केट के साथ घरेलू व अंतरराष्ट्रीय माहौल का आकलन करते हुए फेयर वैल्यू डेवलप करते हैं. वहीं टेक्निकल में हिस्टोरिकल रिटर्न और भाव में बदलाव के जरिए आगे कीमतों में उतार-चढ़ाव का आकलन किया जाता है.

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कैंडलस्टिक को समझने की शुरुवात

4.1 इतिहास अपने को दोहराता है सबसे बड़ी अवधारणा (Assumption)

जैसे कि हम पहले भी बात कर चुके हैं कि टेक्निकल एनालिसिस में सबसे जरूरी अवधारणा (Assumption) यह है कि इतिहास अपने आप को दोहराता है। टेक्निकल एनालिसिस इस अवधारणा को बार-बार इस्तेमाल करता है। यह सबसे महत्वपूर्ण अवधारणा है।

टेक्निकल एनालिसिस की इस अवधारणा को और गहराई से समझना जरूरी है क्योंकि कैंडलस्टिक के पैटर्न पूरी तरीके से इस अवधारणा आधार बनाते हैं।

मान लीजिए आज 7 जुलाई 2014 है और कुछ चीजें बाजार में हो रही है।

  1. घटना एक शेयर पिछले 4 दिनों से लगातार गिर रहे हैं ।
  2. घटना दो आज 7 जुलाई 2014 को पांचवा ट्रेडिंग सेशन है जहां शेयर गिर रहे हैं। शेयर वॉल्यूम भी कम है।
  3. घटना तीन शेयर की कीमत का टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते हैं दायरा भी पिछले दिनों की तुलना में बहुत ज्यादा छोटा है।

इन घटनाओं को ध्यान में रखते हुए अब आप मानिए कि अगले दिन यानी 8 जुलाई 2014 को शेयरों की गिरावट थम जाती है और शेयर थोड़ी सी तेजी के साथ भी बंद होते हैं। तो पिछली तीन घटनाओं के परिणाम में छठवें दिन शेयर बाजार ऊपर की तरफ गया।

कुछ समय बीत जाता है मान लीजिए कुछ महीने , और बाजार में 5 दिनों तक फिर से ऐसी घटनाएं होती हैं जैसी हमने ऊपर देखी थी। अब आप छठवें दिन के लिए क्या उम्मीद लगाएंगे?

हमारी अवधारणा है कि इतिहास अपने आप को दोहराता है। यहां हम अपने अवधारणा में एक और चीज जोड़ देते हैं , वो ये कि जब पिछले कुछ दिनों की घटनाएं इतिहास की किसी और समय की तरह से चल रही है तो हम यह मान सकते हैं कि उन घटनाओं के बाद जो परिणाम दिखा था वही परिणाम फिर से दिखेगा। इसी अनुमान के आधार पर हम कहते हैं कि अब छठवें दिन शेयर ऊपर जाएंगे।

4.2- कैंडलस्टिक पैटर्न और उनसे जुड़ी उम्मीदें

कैंडलस्टिक का इस्तेमाल ट्रेडिंग पैटर्न समझने के लिए किया जाता है। पैटर्न , यानी एक खास तरह की घटना जब एक खास तरीके के संकेत देती है तो उसे पैटर्न कहते हैं। टेक्निकल एनालिस्ट पैटर्न के आधार पर ही अपना ट्रेड यानी सौदा तय करते हैं। किसी भी पैटर्न में दो या दो से ज्यादा कैंडल एक खास तरीके से लगे होते हैं। लेकिन कभी-कभी एक कैंडलस्टिक से भी पैटर्न समझा जा सकता है। इसलिए कैंडलस्टिक पैटर्न को सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न यानी एक कैंडलस्टिक वाले पैटर्न और मल्टीपल कैंडलस्टिक पैटर्न यानी कई कैंडलस्टिक वाला पैटर्न में बांटा जा सकता है। एक कैंडलस्टिक वाले पैटर्न में हम जो चीजें जानेंगे वह हैं।

  1. मारूबोज़ू (Marubozu)
    1. बुलिश मारूबोज़ू ( Bullish Marubozu)
    2. बेयरिश मारूबोज़ू (Bearish Marubozu)
    1. हैमर (Hammer)
    2. हैंगिंग मैन (Hanging man)

    मल्टीपल कैंडलस्टिक (Multiple Candlestick) पैटर्न वह होता है जिसमें कई कैंडलेस्टिक से एक पैटर्न बनता है मल्टीपल कैंडलस्टिक पैटर्न में हम जिन चीजों को जानेंगे , वो हैं :

    1. एन्गल्फिंग पैटर्न (Engulfing pattern)
      1. बुलिश एन्गल्फिंग (Bullish Engulfing)
      2. बेयरिश एन्गल्फिंग (Bearish Engulfing)
      1. बुलिश हेरामी (Bullish Harami)
      2. बेयरिश हेरामी (Bearish Harami)

      आप सोच रहे होंगे कि इन नामों का मतलब क्या है? जैसा कि हमने पहले भी बताया, इनमें से कई नाम अभी भी जापानी भाषा से ही आते हैं।

      कैंडलस्टिक पैटर्न एक ट्रेडर को ट्रेड की रणनीति बनाने और एक नजरिया बनाने में मदद करते हैं। हर पैटर्न में रिस्क की रणनीति भी होती है , साथ ही , एन्ट्री और स्टॉप लॉस कीमत के बारे में संकेत होते हैं।

      4.3 – कैंडलस्टिक से जुड़ी कुछ खास मान्यताएं

      हम पैटर्न के बारे में जानना और समझना शुरू करें उसके पहले कुछ और अवधारणाओं / मान्यताओं को अपने दिमाग में रखना जरूरी है। यह अवधारणाएं कैंडलस्टिक से जुड़ी हुई हैं। इन अवधारणाओं को ठीक से अपने दिमाग में बैठा लीजिए क्योंकि आने वाले समय में हम इन पर बार-बार लौटेंगे। हो सकता है कि यह अवधारणाएं अभी आपको पूरी तरीके से समझ ना आएं लेकिन आगे चलते हुए हम इनके बारे में और विस्तार से समझेंगे। इसलिए अभी से इनको से थोड़ा-थोड़ा जान लेना जरूरी है।

      कैसे पकड़ें शेयर बाजार की नब्ज व जानिए टेक्निकल एनालिसिस का अर्थ

      दरअसल अनिश्चितता से भरे शेयर ट्रेडिंग में भावों के उतार-चढ़ाव को समझना ही सबसे बड़ी चुनौती होती है। जो ट्रेडर यह समझते हैं कि मुनाफा कमाना बड़ा लक्ष्य है, वे अक्सर घाटा खाते हैं, जबकि भावों की भाषा को पढ़ने वाले कुल मिलाकर फायदे में रहते हैं, क्योंकि किसी भी शेयर के भावों में ही छिपा रहता है उसका भूत, वर्तमान और भविष्य, बस इसे पढ़ने के लिए सधी और पैनी नजर चाहिए। अब सवाल है कि भावों की भाषा पढ़ी कैसे जाए। इसका एक प्रमुख माध्यम है टेक्निकल एनालिसिस।

      SHARE MARKET FULL GUIDE IN HINDI

      टेक्निकल एनालिसिस का अर्थ है किसी स्टॉक के मार्केट डाटा का सूक्ष्म अध्ययन करके उसकी संभावित कीमत का अनुमान लगाना। इसमें मुख्य रूप से दो बातों पर गौर किया जाता है। भाव और ट्रेडिंग की मात्रा यानी वॉल्यूम। सरल शब्दों में कहा जाए तो टेक्निकल एनालिसिस के तहत देखा जाता है कि किसी खास समय अवधि में किसी स्टॉक की कीमत में कितना उतार-चढ़ाव आया। इस अवधि में इसकी ट्रेड की गई संख्या में क्या कभी कोई बड़ा उतार चढ़ाव देखने को मिल रहा है। यदि किसी स्टॉक में औसतन रोजाना एक लाख शेयर ट्रेड होते हैं और अगर किसी एक दिन अचानक इनकी तादाद बढ़कर एक लाख 70 हजार हो जाए तो इसका मतलब है कि जरूर उस स्टॉक में कोई हलचल मची है।

      टेक्निकल से अलग फंडामेंटल: आगे बढ़ने से पहले हम आपको बता दें कि टेक्निकल एनालिसिस फंडामेंटल एनालिसिस से अलग है। फंडामेंटल एनालिसिस में जहां हम लंबे निवेश के नजरिए से कंपनी के अतीत और वर्तमान को कसौटी पर कसने की कोशिश करते हैं, वहीं टेक्निकल एनालिसिस मूल रूप से भावों की तात्कालिक गणना पर आधारित पद्धति है। इसका उद्देश्य ट्रेडर की मदद करना होता है। फिर चाहे वह ट्रेडर इंट्रा डे हो या फिर शॉर्ट टर्म ट्रेडर। फंडामेंटल एनालिसिस में हम कंपनी की आय, उसके द्वारा दिए गए लाभांश और शोध जैसी बातों को अपने अध्ययन का आधार बना सकते हैं।

      टेक्निकल एनालिसिस में इनमें से कुछ संकेतकों का उपयोग किया जा सकता है लेकिन इसमें मुख्य रूप से कुछ विशेष टूल्स और तकनीक का इस्तेमाल किया जता है। इन विशेष साधनों में एक है चार्ट का अध्ययन। चाटरें के जरिए टेक्निकल एनालिसिस करने वाला ट्रेडर दो अहम चीजों पर ध्यान देता है- पहला प्राइस मूवमेंट और दूसरा शेयर का ट्रेंड। अगर कोई शेयर आपके द्वारा निर्धारित कीमत से दो फीसदी गिर भी जाता है तो मुमकिन है कि वह अपट्रेंड हो। यानी उसमें मुनाफा वसूली या किसी और वजह से थोड़े वक्त के लिए करेक्शन आया हो लेकिन वह जल्द ही फिर से रफ्तार पकड़ सकता है। टेक्निकल एनालिसिस के जरिए हम यह समझने की कोशिश करते हैं कि किस सीमा के बाद कोई शेयर अपनी दिशा बदल सकता है।

      टेक्निकल एनालिसिस को समझने व ट्रेड के लिए चार्ट पैटर्न की मदद कैसे ली जाती है: टेक्निकल एनालिसिस में काम आने वाले चार्ट पैटर्न भी कई तरह के होते हैं। जैसे- हेड एंड शोल्डर, डबल टॉप या बॉटम वगैरह। इसके अलावा जो चीज टेक्निकल एनालिसिस में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, वह है मूविंग एवरेज। मूविंग एवरेज पर अलग से चर्चा करेंगे, फिलहाल हम आपको उसका एक परिचय देते चलें। मूविंग एवरेज का अर्थ है कि कोई शेयर किसी खास अवधि में किस औसत भाव के साथ मूव कर रहा था। इसका आकलन लगाने में हम कुछ और तकनीकी बिंदुओं पर गौर कर करते हैं, जैसे, सपोर्ट और रेजिस्टेंस।


      आगे की पोस्टो में हम टेक्निकल एनालिसिस के एक एक पहलू टेक्निकल एनालिसिस कैसे करते हैं पर विस्तार से गौर करेंगे। हम इसके जरिए शेयर के भावों का अर्थशास्त्र समझने की कोशिश करेंगे। लेकिन ये याद रखिए कि एक सफल ट्रेडर के लिए टेक्निकल एनालिसिस का ज्ञान होना जरूरी है तो फंडामेंटल एनालिसिस की समझ भी आवश्यक है। शेयर बाजार में कीमतें किसी एक सिद्धांत के आधार पर तय नहीं होती हैं। यहां सबसे बड़ा नियम है अनिश्चितता का। इसलिए आप बाजार के विश्लेषण की जितनी ज्यादा विधाओं को समझेंगे, आपका एप्रोच और एक्शन उतना ही सटीक होगा।

      शेयर ट्रेडिंग में किसी भी ट्रेडर को नुकसान क्यों होता है? सीधा जवाब है- वह एंट्री और एक्जिट के सही भाव का अनुमान लगाने में विफल रहा। अगर सही प्राइस प्वाइंट मिल गया तो फिर समझिए कि मंजिल आधी फतह हो गई।

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